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हरियाणा की फिर कमान संभालेंगे सैनी: दशहरे के दिन हो सकती है ताजपोशी, कैबिनेट में इन्हें मिल सकती है जगह

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चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नजीतों की तस्वीर साफ हो गई है। भाजपा ने लगातार तीसरी बार प्रचंड जीत दर्ज की है। 90 सीटों वाले हरियाणा में भाजपा ने 48 सीटें जीती हैं, जो बहुमत के आंकड़े से 2 ज्यादा है। वहीं में सरकार बनाने की हुंकार भर रही कांग्रेस के खाते 37 सीटें आई है। यहां पर यह भी बता दें कि हरियाणा में 57 सालों में ऐसा पहली बार जब भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। इन सरकार के गठन की तैयारी भी शुरू हो गई है। यही नहीं, सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो नायब सैनी दशहरे के दिन यानि 12 अक्टूबर को दोबारा सीएम पद की शपथ ले सकते हैं। बताया यह भी जा रहा है कि हरियाणा में भाजपा को मिली जीत के बाद नायब सैनी पीएम मोदी से मिलने दिल्ली भी पहुंचे गए हैं।

सूत्रों के अनुसार सरकार के गठन को लेकर चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक तैयारियां शुरू हो गई हैं। भाजपा के प्रभारी धमेंद्र प्रधान, सहप्रभारी बिप्लब कुमार देब ने पूर्व सीएम मनोहर लाल के आवास पर बैठक की। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सीएम सैनी से बातचीत भी की। सैनी के नए मंत्रिमंडल में अनिल विज, मूल चंद शमा , महिपाल ढांडा, राव नरबीर, आरती राव, आरती राव, रणबीर गंगवा, कृष्ण कुमार बेदी और हरविंद कल्याणको जगह मिल सकती है। सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि सीएम पद के लिए नायब सिंह सैनी के चेहरे को लेकर किसी तरह की कोई शंका व संशय नहीं है। भले ही सीएम पद के लिए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत व पूर्व गृह मंत्री अनिल विज दावा ठोकते आ रहे हैं।

वहीं हरियाणा में जीत दर्ज करने के बाद केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि इस बारे में हाईकमान और गृह मंत्री पहले ही एलान कर चुके हैं कि नायब सिंह सैनी ही सीएम होंगे। हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने के साथ ही मंत्रिमंडल के चेहरों पर भी चर्चा शुरू हो गई है। पुरानी सैनी सरकार के आठ मंत्रियों के हारने के बाद यह तय हो गया है कि मंत्रिमंडल में अब अधिकतर नए चेहरे होंगे। इसमें पूर्व गृह मंत्री अनिल विज, मूल चंद शर्मा और महिपाल ढांडा का मंत्री बनना तय माना जा रहा है।

जाने संभावित मंत्रियों के बारे में
अनिल विज : सैनी सरकार के मंत्रिमंडल में सबसे बड़े चेहरे के तौर पर अनिल विज शामिल हो सकते हैं। वह सातवीं बार विधायक चुन कर आए हैं। भाजपा के इकलौते ऐसे विधायक हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा जीत दर्ज हासिल की है। मनोहर लाल की सरकार में वह गृह, खेल व स्वास्थ्य मंत्री हो सकते हैं। पंजाबी समुदाय को साधने के लिए भाजपा उन्हें मंत्री बना सकती है।

मूल चंद शमार् : बल्लभगढ़ से तीसरी बार जीते मूल चंद शर्मा का सैनी मंत्रिमंडल में शामिल होना तय है। वह मनोहर लाल के दूसरे कार्यकाल और सैनी सरकार के पहले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। मंत्री के तौर पर उनकी परफार्मेंस काफी अच्छी रही है। ब्राह्मण समुदाय से आने वाले शर्मा को अहम विभाग मिल सकता है।

महिपाल ढांडा : पानीपत ग्रामीण से तीसरी बार विधायक चुने गए महिपाल ढांडा भी मंत्री बनने की रेस में शामिल हैं। वह सैनी सरकार में मंत्री थे। जाट समुदाय से आते हैं। वह भाजपा से उस समय से जुड़े हैं, जब भाजपा प्रदेश में पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रही थी। विधानसभा में वह विपक्ष को करारा जवाब देने के लिए जाने जाते हैं।

राव नरबीर : बादशाहपुर से 60 हजार से ज्यादा वोट हासिल करने वाले राव नरबीर का भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है। वह मनोहर सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री थे। वह राव इंद्रजीत के विरोधी खेमे से आते हैं। ऐसे में भाजपा इंद्रजीत को बैलेंस करने के लिए राव नरबीर का कद बढ़ा सकती है। वह शाह के करीबी भी हैं।

आरती राव : दक्षिण हरियाणा में भाजपा ने 11 में से दस सीटों पर जीत हासिल की है। इससे राव इंद्रजीत का दबदबा दिखता है। इसी इलाके से उनकी बेटी आरती राव भी चुनाव जीतकर आई हैं। युवा चेहरे और अहीरवाल क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देने के लिए आरती राव को मंत्री बनाया जा सकता है।

णबीर गंगवा : डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा ने इस बार 26 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है। भाजपा ने इस बार उनकी सीट नलवा से बदलकर बरवाला कर दी थी। इसके बावजूद उन्होंने बड़ी जीत हासिल की है। वह ओबीसी से आते हैं और सीनियर विधायक हैं। ऐसे में उन्हें मंत्री पद दिया जा सकता है।

कृष्ण कुमार बेदी : मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे कृष्ण कुमार बेदी भी मंत्री बनने की दौड़ में हैं। भाजपा ने शाहाबाद से उनकी सीट बदल नरवाना कर दी थी। इस क्षेत्र से उन्होंने 11 हजार वोटों से जीत हासिल की है। दलित वर्ग से आने की वजह से वह मंत्री की दौड़ में काफी मजबूत दावेदार हैं।

हरविंद कल्याण : घरौंदा से तीसरी बार जीते हरविंद्र कल्याण की दावेदारी भी मजबूत है। अपनी सौम्य छवि की वजह से वह विधानसभा अध्यक्ष भी चुने जा सकते हैं। पिछली बार भी उनका नाम चल रहा था। मगर ज्ञानचंद गुप्ता को मौका मिला। इस बार ज्ञान चंद गुप्ता चुनाव हार गए हैं।

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