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संसद में संविधान पर बहस: रक्षामंत्री का कांग्रेस पर जोरदार वार, कांग्रेस नेत्री ने भी किया पलटवार, पढ़े दोनों नेताओं के बयान

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नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र का आज 14वां दिन रहा। शुक्रवार को संविधान के 75 साल पूरे होने पर लोकसभा में चर्चा हुई है। सत्ता पक्ष की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चर्चा की शुरुआत की और विपक्ष पर जमकर वार किया। उन्होंने कहा, कांग्रेस की तरह हमने कभी संविधान को राजनीतिक हित साधने का जरिया नहीं बनाया। हमने संविधान को जिया है। वहीं विपक्ष की ओर से प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला और रक्षामंत्री द्वारा विपक्ष पर किए गए हमलों का जवाब दिया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने करीब सवा घंटे के संबोधन में कांग्रेस पर संविधान बदलने, चुनी हुई सरकारों को गिराने, संविधान से ऊपर अपना स्वार्थ पूरा करने, इमरजेंसी के जरिए संविधान को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। रक्षामंत्री ने यह भी कहा कि हमने संविधान की रक्षा के लिए कष्ट भी सहे। 2003 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, तब हमने 91वें संशोधन से मंत्रिपरिषद के आकार को सीमित कर दिया था। कांग्रेस ने सिर्फ संविधान संशोधन ही नहीं किया है, बल्कि धीरे-धीरे बदलने का प्रयास किया है।

समझने की जरूरत की संविधान का अपमान किया किसने
उन्होंने कहा कि जब जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे, तब 17 बार संशोधन किए गए। इंदिरा गांधी के समय पर 28 बार बदलाव किए गए। राजीव गांधी के समय 10 बार बदलाव किया गया। मनमोहन सिंह के समय 7 बार संशोधन किए गए। ये संशोधन गलत नीतियों को लागू करने के लिए किए गए। राजनाथ ने कहा कि आज संविधान की रक्षा की बात की जा रही है। लेकिन हमें ये समझने की जरूरत है कि किसने संविधान का अपमान किया है और किसने सम्मान किया है।

संविधान को लेकर ऐसा माहौल तैयार किया गया
राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देश में एक ऐसा माहौल बनाने का प्रयास किया गया है कि संविधान किसी एक पार्टी की देन है। इसे हाईजैक करने की कोशिश होती रही है। संविधान निर्माण में कई लोगों की भूमिका को भुला दिया गया है। इस देश में एक ऐसा राज्य भी था, जहां संसद के कानून और संविधान लागू नहीं होता था। हमने वहां पर भी सब लागू किया। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस और विपक्ष के लोग संविधान की प्रति जेब में लेकर घुम रहे हैं। पीढ़ियों से उन्होंने संविधान को अपनी जेब में ही रखा। नेहरू, इंदिरा, राजीव, मनमोहन सिंह के समय संवैधानिक संशोधन किए गए। ये विरोधियों को चुप कराने के लिए किए गए। कांग्रेस की तरह हमने कभी संविधान को राजनीतिक हित साधने का जरिया नहीं बनाया।

कांग्रेस नेताओं ने संविधान से अधिक सत्ता और अपने निजी स्वार्थों को ऊपर रखा
वहीं इंदिरा गांधी को अपने निशाने लेते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने संविधान से अधिक सत्ता और अपने निजी स्वार्थों को ऊपर रखा। 1975 में 3 सीनियर जजों को सुपरसीड करने से राष्ट्रपति वीवी गिरि सहमत नहीं थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने जिद के चलते ऐसा नहीं किया। इंदिरा गांधी ने 356 का दुरूपयोग करके चुनी हुई सरकारों को गिराने का काम किया। राजनाथ ने कहा कि कांग्रेस संविधान में संशोधन किया। प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री शपथ लें तो उनके सभी अपराध माफ होंगे। लोकसभा का कार्यकाल 6 साल कर दिया गया। क्या ये तानाशाही नहीं थी? आज उसी पार्टी के लोग ऐसी बातें कर रहे हैं। राजनीति करनी है तो जनता की आंखों में आंख डाल कर करो। उनकी आंखों में धूल झोंककर नहीं।

कांग्रेस ने बर्खास्त कराई थी कल्याण सिंह की सरकार
सरकारों को गिराने को लेकर भी रक्षामंत्री कांग्रेस पर जमकर वार किया। उन्होंने कहा कि 1992 में अयोध्या में विवादित गुम्बद में क्षति की जानकारी मिली। शाम 5 बजे कल्याण सिंह सरकार ने इस्तीफा दिया। इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया। उसे बर्खास्त कर दिया गया। 1997 में हमने बहुमत साबित किया। विधानसभा अध्यक्ष ने उसे मान लिया। कांग्रेस का एक झुंड राज्यपाल के पास गया और कहा गया कि बहुमत नहीं है। उस सरकार को बर्खास्त कर दिया गया।

प्रियंका के स्पीच की बड़ी बातें
प्रियंका ने राजनाथ सिंह के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार हारते-हारते जीती तो पता चला कि संविधान बदलने की बात नहीं चलेगी। जातिगत जनगणना का जिक्र आपने इसीलिए किया कि चुनाव के नतीजे आपके विपरीत आए। इनकी गंभीरता का प्रमाण यह है कि जब चुनाव में पूरे विपक्ष ने जातिगत जनगणना की बात लाई तो इन्होंने कहा कि भैंस चुरा लेंगे, मंगलसूत्र चुरा लेंगे। संविधान ने ही आपको नारी शक्ति का मतलब समझाया। इसलिए आपने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पास किया। 10 साल सरकार के हो गए, इसे लागू कब करेंगे।

कांग्रेस नेत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री सदन में संविधान की किताब को माथे से लगाते हैं। संभल-हाथरस-मणिपुर में जब न्याय की बात उठती है तो माथे पर शिकन तक नहीं आता। एक कहानी होती थी- राजा भेष बदलकर बाजार में आलोचना सुनने जाता था कि प्रजा क्या कह रही है। मैं सही रास्ते पर हूं या नहीं। आज के राजा भेष तो बदलते हैं। न जनता के बीच जाते हैं, न आलोचना सुनते हैं।

प्रियंका ने आरोप लगाते हुए कि आप अच्छे काम के लिए पंडित नेहरू का नाम नहीं लेते। जहां आपको जरूरत होती है, वहां जरूर लेते हैं। नेहरूजी ने तमाम पीएसयू बनाए। उनका नाम पुस्तकों से, भाषणों से हटाया जा सकता है, लेकिन जो उनकी भूमिका आजादी और देश निर्माण के लिए रही, उनका नाम कभी नहीं मिटाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष अतीत की बातें करता है। 1921 में क्या हुआ, नेहरू ने क्या किया। अरे वर्तमान की बात करिए। देश को बताइए कि आप क्या कर रहे हैं। आपकी जिम्मेदारी क्या है। क्या सारी जिम्मेदारी नेहरू जी की है।

प्रियंका ने तंज कसते हुए कहा कि सत्ता पक्ष के साथी ने 1975 कि बातें गिनाईं, सीख लीजिए आप भी। आप भी अपनी गलती के लिए माफी मांग लीजिए। बैलेट पर चुनाव कर लीजिए दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। आप सरकारों को पैसे के दम पर गिरा देते हैं। उन्होंने कहा कि देश का किसान भगवान भरोसे है। हिमाचल में सेब के किसान रो रहे हैं। एक व्यक्ति के लिए सबकुछ बदला जा रहा है। देश देख रहा है कि एक अडाणी को बचाने के लिए 142 करोड़ जनता को नकारा जा रहा है। बंदरगाह, एयरपोर्ट्स, सड़कें, रेलवे का काम, कारखाने,खदानें सरकारी कंपनियां सिर्फ एक व्यक्ति को दी जा रही है।

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