वायनाड। केरल के वायनाड जिले में मंगलवार को तड़के मेप्पाडी के पास स्थित पहाड़ी इलाकों में एक के बाद एक चार भूस्खलन। भूस्खलन के बाद पहाड़ों में बहकर आए सैलाब ने भारी तबाही मचाई है। करीब 22 हजार की आबादी वाले 4 गांवों का सिर्फ 4 घंटे में ही नामो निशान मिट गया। सैकड़ों लोग मलबे में दब गए। इतला ही नहीं, मलबे लगातार शव उगल रहे हैं। अब तक 165 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। वहीं 200 से ज्यादा अब भी लापता हैं। जबकि 1 हजार लोगों को रेस्क्यू कर उन्हें रिहैब सेंटर भेजा गया। खास बात यह है कि इस आपदा ने 11 साल पहले आई केदारनाथ त्रासदी की यादें ताजा कर दी हैं। जो रात में सोया था, उसे उठने तक का मौका नहीं मिला और सुबह मलबे में मिला।
गौरतलब है कि वायनाड में यह लैंडस्लाइड सोमवार देर रात 2 बजे और 4 बजे के करीब मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों में हुई थीं। इनमें घर, पुल, सड़कें और गाड़ियां बह गईं। वायनाड का मुंडक्कई गांव लैंडस्लाइड की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यहां चूरलमाला को मुंडक्कई से जोड़ने वाला पुल बह गया है, जिससे क्षेत्र तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। मुंडक्कई में करीब 250 लोगों के फंसे होने की खबर है। यहां कई घर बह गए हैं, जिनमें 65 परिवार रहते थे। पास के एक टी एस्टेट के 35 कर्मचारी भी लापता हैं। लापता लोगों ढूंढ़ने में आर्मी, एयरफोर्स,एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और डॉग स्क्वॉड की टीमें बीते 24 घंटे से ज्यादा समय से लगी हुई हैं। रेस्क्यू का आज दूसरा दिन है। रेस्क्यू में जुटी हैं। देर रात तक 1 हजार लोगों का रेस्क्यू किया गया, 3 हजार लोगों को रिहैब सेंटर में भेजा गया है। रेस्क्यू का आज दूसरा दिन है। मौसम विभाग ने वायनाड समेत 5 जिलों में आज भी भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इससे रेस्क्यू आॅपरेशन में परेशानी आ सकती है।
50 किमी दूर तक मिले शव
बताया जा रहा है कि इन चारों गांव में ज्यादातर चाय बागान के मजदूर रहते हैं। करीब 22 हजार की आबादी है। रात एक बजे जब पहली बार लैंडस्लाइड हुई तब लोग अपने घरों में सो रहे थे। किसी को बचने या भागने तक का मौका नहीं मिला। उसके बाद सिलसिलेवार दो बार और लैंडस्लाइड हो गई। मलबे से ना सिर्फ घर और निर्माण तबाह हुए, बल्कि नींद में सो रहे लोग भी दब गए। क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग और महिलाएं। स्थानीय लोग कहते हैं कि यहां आधी रात को कुदरत का कहर बरपा। भारी बारिश के बीच कई जगह पहाड़ दरक गए। मुंडक्कई में भी पहाड़ों से पानी के साथ मलबा दरक कर नीचे आया। मुंडक्कई उच्च जोखिम वाले आपदा क्षेत्र में आता है। यहां से मिट्टी और बड़ी-बड़ी चट्टानें पूरी रफ्तार से लुढ़क कर चूरलमाला आ गईं। फ्लैश फ्लड की वजह से चार गांव बह गए। हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लैंडस्लाइड वाली जगह से 50 किलोमीटर दूर 10 शव मिले। बुधवार को भी चलियार नदी से दो और शव बरामद हुए। मुंडाकाई में 8 और शव बरामद किए गए।
स्कूल-कॉलेजों की छुट्टी, यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं टलीं
हादसे के बाद राज्य में दो दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। 12 जिलों में स्कूल-कॉलेज में 30 जुलाई को छुट्टी घोषित कर दी गई। केरल यूनिवर्सिटी ने 30 और 31 जुलाई को होने वाली सभी परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। नई तारीखों का ऐलान बाद में किया जाएगा। वहीं वायनाड लैंडस्लाइड के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कंट्रोल रूम बना दिया है। साथ ही दो हेल्पलाइन नंबर 8086010833 और 9656938689 जारी किए। केरल के स्वास्थ्य मंत्री आॅफिस ने बताया है कि वायनाड के चूरलमाला में घायलों का इलाज करने के लिए एक मस्जिद और मदरसे में टेम्परेरी हॉस्पिटल बनाया गया है।
केंद्र ने मुआवजा देने की घोषणा की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल सरकार को केंद्र से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। साथ ही मरने वालों के परिजन को 2-2 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की। घायलों को 50 हजार रुपए दिए जाएंगे। वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने वायनाड की घटना पर सरकार से हर संभव मदद पहुंचाने की अपील की है।
राहुल और प्रियंका जाएंगे वायनाड: खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘हम सबने वायनाड की स्थिति को गंभीरता से लिया है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा वहां जाने वाले हैं। हमारी पार्टी के सभी कार्यकर्ता वहां पुनर्वास के लिए जुटे हुए हैं। यह बहुत बड़ी दुखद घटना है। यह राष्ट्रीय आपदा है और इसपर सभी लोगों को मिलकर काम करना चाहिए…हमने यह मुद्दा कल राज्यसभा में भी उठाया था।’
वायनाड में लैंडस्लाइड की क्या वजह है
वायनाड, केरल के नॉर्थ-ईस्ट में है। यह केरल का एकमात्र पठारी इलाका है। यानी मिट्टी, पत्थर और उसके ऊपर उगे पेड़-पौधों के ऊंचे-नीचे टीलों वाला इलाका। जियोलॉजिकल सर्वे आॅफ इंडिया की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल का 43% इलाका लैंडस्लाइड प्रभावित है। वायनाड की 51% जमीन पहाड़ी ढलाने हैं। यानी लैंडस्लाइड की संभावना बहुत ज्यादा बनी रहती है।
वायनाड का पठार वेस्टर्न घाट में 700 से 2100 मीटर की ऊंचाई पर है। मानसून की अरब सागर वाली ब्रांच देश के वेस्टर्न घाट से टकराकर ऊपर उठती है, इसलिए इस इलाके में मानसून सीजन में बहुत ज्यादा बारिश होती है। वायनाड में काबिनी नदी है। इसकी सहायक नदी मनंतावडी ‘थोंडारमुडी’ चोटी से निकलती है। लैंडस्लाइड के कारण इसी नदी में बाढ़ आने से भारी नुकसान हुआ है।