इंदौर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दो दिवसीय दौरे पर मध्यप्रदेश पहुंच गई है। वह बुधवार को शाम करीब 4 बजे वायुसेना के विमान से इंदौर पहुंची। देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने राष्ट्रपति की अगवानी की। इसके बाद तय कार्यक्रम के अनुसार राष्ट्रपति मुर्मू एयरपोर्ट से सीधे मृगनयनी एंपोरियम पहुंचीं। जहां वह वहां के कारीगरों से रूबरू हुर्इं। इस दौरान उन्होंने जनजातीय क्षेत्र के हस्तशिल्पी, बुनकरों एवं जनजाति कारीगरों की कला को सराहा। वहीं कलाकारों ने राष्ट्रपति को अपने हाथों से निर्मित पेंटिंग भेंट भी किया। मुर्मु ने शिल्पकारों के आग्रह पर उनके साथ तस्वीर भी खिंचवाई। मुर्मू ने यहां पर दो साड़ियां भी खरीदी, जिसकी कीमत 33 हजार रुपए है। यहीं नहीं सीएम मोहन ने भी राष्ट्रपति को चंदेरी की साड़ी भेंट की।
महामहिम ने शिल्पकारों से चर्चा के दौरान कहा कि हमारी पुरानी संस्कृति एवं परम्परा को संजो कर संरक्षित रखने की जरूरत है। यहां के शिल्पकार इसमें अच्छा योगदान दे रहे हैं। इन्हें प्रोत्साहन देने की जरूरत है, जिससे इन्हें रोजगार के अवसर मिल सकें। मुर्मु ने धार जिले के कारीगर मुबारिक खत्री से चर्चा के दौरान उनकी कला बाग प्रिन्ट के बारे में जानकारी ली और पूछा कि वे कब से यह काम कर रहे हैं। कारीगर मुबारिक खत्री ने बताया कि उनकी 11 पीढ़ियों से बाग प्रिंट का कार्य किया जा रहा है। वे अपनी इस कला को आने वाली पीढ़ियों को भी सिखा रहे हैं। उन्होंने कॉटन के कपड़े पर बाग प्रिंट कैसे किया जा सकता है, यह करके भी दिखाया। उन्होंने बताया कि अब बांस एवं सिल्क की साड़ियों पर भी बाग प्रिंट किया जाता है।
अलाउद्दीन की कलाकारी से प्रभावित हुर्इं मुर्मू
राष्ट्रपति मुर्मु को खरगोन जिले के महेश्वर के बुनकर अलाउद्दीन अंसारी ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हथकरघा साड़ी के बारे में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि नर्मदा नदी में दोपहर के समय सूर्य की जो किरणें पड़ती हैं और उनसे नदी में जो लहरें चमकती हैं, उन्हीं लहरों का प्रिंट हथकरघा साड़ियों की बॉर्डर पर उतारा जाता है। मुर्मु इस कलाकारी से बहुत प्रभावित हुई और उन्होंने पूछा कि वे यह काम कब से कर रहे हैं। श्री अंसारी ने बताया कि उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी यह कार्य कर रहा है। वर्तमान समय में वे अपने इस कार्य से 300 से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं, जिसमें 70 महिलाएं शामिल हैं।
पद्मश्री दुर्गाबाई ने बताया अपनी कला के बारे में
वर्तमान में भोपाल निवासी एवं मूलत: डिंडोरी की निवासी गोंड भित्तिचित्र की कलाकार पदमश्री दुगार्बाई श्याम की कला को देखकर राष्ट्रपति मुर्मु बहुत प्रभावित हुई और सराहना की। उन्होंने कहा दुगार्बाई संस्कृति एवं कला को जीवित रखने और उसे आगे बढ़ाने के लिये कार्य कर रही हैं। पद्मश्री दुर्गा बाई ने बताया कि वे बच्चों को इस कला को सीखा रही है और एक संस्था के माध्यम से अन्य लोगों को भी नि:शुल्क इस कला का प्रशिक्षण दे रही है।
झाबुआ डाल्स के बारे में राष्ट्रपति ने ली जानकारी
राष्ट्रपति मुर्मु ने झाबुआ जिले के कलाकार दंपत्ति पदमश्री रमेश एवं शांति परमार द्वारा निर्मित झाबुआ डॉल्स को देखकर पूछा कि क्या यह गुड़िया मिट्टी से बनाई गई है। कलाकारों ने बताया कि उनके द्वारा कपास एवं कपड़े से आकर्षक गुड़ियों का निर्माण किया जाता है। वे अपनी इस कला को जीवित रखने के लिये अन्य लोगों को भी नि:शुल्क प्रशिक्षण देते हैं। उन्होंने बताया कि बाजार और मेलों में वे जितनी गुड़िया लेकर जाते हैं, वे सभी बिक जाती हैं।