भोपाल। राजधानी भोपाल के हुजूर विधानसभा क्षेत्र में शनिवार को रक्षाबंधन उत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया। बहनों के इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शिरकत की। उन्होंने बहनों का सम्मान कर उनसे राखी भी बंधवाई और उपहार भी दिए। खास बात यह रही की इन्द्रदेव भी बहनों का हौसला नहीं डिगा पाई। भारी बारिश के बीच बड़ी संख्या में बहनें कार्यक्रम स्थल पर मौजूद रहीं। मुख्यमंत्री को बहनों ने संयुक्त रूप से एक विशाल राखी भी भेंट की। कार्यक्रम में हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा भी मौजूद थे।
रक्षाबंधन उत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम मोहन ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार बहनों के सशक्तिकरण के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नारी सशक्तिकरण का राष्ट्रव्यापी अभियान चल रहा है। प्रदेश में भी नारी कल्याण की अनेक योजनाएं संचालित हैं। समाज के साथ ही सरकार के स्तर पर विभिन्न स्थानों पर रक्षाबंधन उत्सव के सामुहिक आयोजन बहनों के सम्मान और सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे हैं। आने वाले समय में स्थानीय निकायों के साथ ही लोकसभा और राज्य सभा में भी बहनों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा।
भारतीय संस्कृति में धन से अधिक मन का महत्व
सीएम ने कहा कि भारतीय संस्कृति में धन से अधिक मन का महत्व है। धन की अभिलाषा के साथ वर्ष में सिर्फ एक दिन दीपावली पर लक्ष्मी पूजन होता है, जबकि हम वर्ष भर अन्य देवी-देवताओं का मन से सम्मान करते हुए कई त्यौहार मनाते हैं। रक्षाबंधन के बाद भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व जन्माष्टमी आ रहा है। लगभग पांच हजार वर्ष पहले भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को बहन बनाया और भाई-बहन के पावन संबंध के महत्व को स्थापित किया। हमारे प्रत्येक पर्व और त्यौहार का विशेष महत्व है। रक्षाबंधन उत्सव भी बहनों के प्रति सम्मान भाव व्यक्त करने का अवसर है, जो जन्माष्टमी पर्व तक निरंतर चलता है। डॉ. यादव ने कहा कि जन्माष्टमी पर्व मनाने का कुछ संस्कृति विरोधी लोग विरोध कर रहे हैं।
उद्योगों में भी देंगे बहनों को प्राथमिकता
सीएम ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित हो रही हैं। इनका उद्देश्य उद्योगों के माध्यम से भाई-बहनों को रोजागर उपलब्ध करवाना है। जबलपुर में पिछले महीने इंडस्ट्री कॉन्क्लेव हुई थी। आमागी 28 अगस्त को ग्वालियर में कान्क्लेव हो रही है। इसके बाद सागर और रीवा में भी ऐसी ही होने वाली हैं। टेक्सटाइल सहित कई तरह के उद्योगों में बहनों की सहभागिता को बढ़ाया जाएगा। बहनों के लिए रोजगार की दृष्टि से नई औद्योगिक इकाइयां उपयोगी होंगी, इनमें बहनों को प्राथमिकता दी जाएगी।