मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर करीब दो हफ्ते तक चली रस्साकशी गुरुवार को खत्म हो गई है। मुंबई के आजाद मैदान में जहां देवेन्द्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो वहीं पूर्व सीएम एकनाथ शिंदे और अजीत पवार ने डिप्टी सीएम की शपथ ली। इसके तुरंत बाद ही तीनों नेताओं ने राज्य सचिवालय जाकर कैबि नेट बैठक की। इस दौरान कई बड़े निर्णय भी लिए गए। कैबिनेट बैठक खत्म होने के बाद देर शाम सीएम देवेन्द्र फडणवीस मीडिया से मुखातिब हुए और कई बड़ी बातें भी कही। एक ओर उन्होंने जहां दावा किया सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति अगले पांच सालों तक स्थिर सरकार देगी। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में पिछले कुछ सालों की तरह राजनीतिक उथल-पुथल नहीं देखने को मिलेगी।
फडणवीस ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर मैं कहता हूं कि महाराष्ट्र जिस गति से आगे बढ़ रहा है, हम रुकेंगे नहीं। हमें यह सुनिश्चित करना है कि सभी फैसले अच्छे से सोच-समझ कर लिए जाएं, एक ही गति से लिए जाएं।’ वहीं उन्होंने विपक्ष यानि महाविकास आघाड़ी पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘साल 2019 से 2022 के मध्य तक हमने काफी बदलाव देखे हैं। हमें उम्मीद है कि भविष्य में इस तरह की चौंकाने वाली घटनाएं नहीं देखने को मिलेंगी। उन्होंने पदों की बदलती प्रकृति का जिक्र करते हुए कहा कि इससे उनके समन्वय पर कोई फर्क नहीं पड़ता। इससे पहले भी उन्होंने पद को तकनीकी करार दिया था।
‘हमारी भूमिकाएं बदल गईं, लेकिन…’
उन्होंने आगे कहा, ‘साल 2014 में मैं मुख्यमंत्री था और शिंदे हमारे साथ थे। साल 2019 में 72 घंटे के लिए अजित दादा और मैं मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री थे। इसके बाद, शिंदे मुख्यमंत्री थे और अजित दादा व मैं उपमुख्यमंत्री। अब मैं मुख्यमंत्री हूं और वो दोनों उपमुख्यमंत्री हैं।’ उन्होने आगे कहा, ‘हमारी भूमिकाएं बदल गई हैं लेकिन दिशा वही है, गति वही है। जब आप हम तीनों के बीच संबंधों के बारे में बात करेंगे तो आपको कुछ अलग नजर नहीं आएगा। यह बहुत तेजी से फैसलों की सरकार है।
चौंकाने वाली घटनाएं शिवसेना और एनसीपी से जुड़ी
बता दें कि ऊपर फडणवीस ने जिस ‘चौंकाने वाली’ घटना की बात की, वह 2022 में शिंदे और उनके विद्रोही समूह द्वारा शिवसेना में विभाजन से जुड़ी थी, जिसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बनाई। उस साल के बाद, अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को विभाजित कर दिया, जिससे राज्य की राजनीति में तीसरा बड़ा बदलाव आया और वे सरकार में शामिल हो गए। सत्तारूढ़ गठबंधन ने लोकसभा चुनाव के दौरान शुरूआती पराजय के बाद सफलतापूर्वक अपनी राह बदली और विधानसभा चुनावों में व्यापक जीत हासिल की। फडणवीस ने एक बार फिर कहा कि यह राज्य में उपलब्ध कराई गई सुशासन की जीत है और भविष्य बेहतर होगा।