भोपाल। मध्यप्रदेश में दुष्कर्म के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इतना ही नहीं 24 घंटे में आधा दर्जन दुष्कर्म के मामले सामने आए हैं। जिसको लेकर प्रदेश का सियासी पारा हाई हो गया है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने तो यहां तक आरोप लगा दिया है कि मप्र रेप की राजधानी बन गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को अपने निशाने पर लेते हुए यह भी कहा है कि ‘जागो मोहन भैया, आप गृहमंत्री भी हो। इन सबके बीच भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री उषा ठाकुर ने भी प्रदेश में बढ़ते दुष्कर्म के मामलों पर जमकर अपनी भड़ास निकली। उन्होंने पीएम मोदी और सीएम मोहन यादव से अनुरोध किया है कि ऐसे दरिंदों को चौराहे पर फांसी दी जाए। चील और कौए इनके शव को नोंच खाएं।
उषा ठाकुर ने मंगलवार को मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि जो छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ गई है। इसको समाज का नैतिक उत्थान ही रोक सकता है। जब तक संस्कार का दृढ़ीकरण नहीं होगा, व्यक्ति में नैतिकता और सात्विकता नहीं होगी। तब तक इन बुराइयों से वह बच नहीं सकता। और कहीं ना कहीं समझ में भौतिकता के आधिक्य के कारण जो अध्यात्म की साधना की कमी आई है उसी की वजह से लोगों में यह दुष्वृत्तियां और दुश्विचार बहुत प्रबल होकर सामने दिखाई दे रहे हैं। इससे सामाजिक ताना-बाना मनुष्यता सब तार – तार हो रही है। उन्होंने कहा कि दुष्कर्मियों को सार्वजनिक चौराहा पर फांसी पर लटकाया जाना चाहिए। न की अंतिम संस्कार किया जाए। समाज का नैतिक उत्थान ही इन घटनाओं को रोक सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री से इसे लेकर उन्होंने अनुरोध भी किया है।
कानून का खौफ ही दुष्कर्मियों को कर सकता है ठी
उन्होंने कहा कि कानून का खौफ ही इन दुष्कर्मियों को ठीक कर सकता है। दंडात्मक प्रक्रिया में भी कुछ सुधार की आवश्यकता है। इनका अंतिम संस्कार भी नहीं करने दिया जाना चाहिए। जिससे दुष्कर्मियों के शव को चील और कौवे नोंच-नोंच कर खाएं। तभी दूसरे लोगों के सामने इस तरह की सजा से मन में डर पैदा होगा और छोटी बच्चियों के साथ घटनाओं पर लगाम लगेगी। हाथ-पांव काटकर फेंकोगे तो ऐसे नरपिशाचों को कौन खाना खिलाएगा। तड़प-तड़प कर मरेंगे तभी उनको अपनी गलती का प्रायश्चित होगा।
फांसी का कानून फिर भी नहीं डर रहे नरपिशाच
विधायक ऊषा ठाकुर ने कहा- ऐसे नर पिशाचों के लिए मैं बार-बार मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री दोनों से अनुरोध करती हूं कि कठोर कानून तो मध्य प्रदेश ने बना दिया है, इसमें यह प्रावधान है कि फास्ट ट्रैक में मुकदमे चलाकर 30 दिनों में इनको फांसी की सजा दी जाएगी। इसके बावजूद यह डर नहीं रहे हैं तो सिर्फ कानून का भय इनकी दुष्प्रवृत्तियां को उखाड़ कर नहीं फेंक सकता। मुझे लगता है कि दंडात्मक प्रक्रिया में कुछ और सुझाव करने होंगे।