वॉशिंगटन। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को शपथ लेंगे। ट्रंप को सत्ता सौंपने से पहले राष्ट्रपति जो बाइडेन ने आज आखिरी बार देश की जनता को संबाधित किया। अपने ओवल आफिस से देश की जनता को संबोधित करते हुए बाइडेन ने अपने विदाई भाषण में देश की सुपर रिच क्लास (दौलतमंद) पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी समाज में दौलतमंदों का बोलबाला बढ़ रहा है, जो खतरनाक रूप ले रहा है। साथ ही कहा कि यह हमारे लोकतंत्र, मूल अधिकारों, स्वतंत्रता और सभी के आगे बढ़ने के निष्पक्ष अवसर को खतरे में डाल रहा है। ऐसे लोगों के हाथों में सत्ता का होनादेश के घातक हो सकता है।
बाइडेन ने कहा किआज ताकत मुट्ठीभर लोगों के हाथों में सिमटकर रह गई है। मुट्ठीभर दौलतमंद लोगों के हाथों में शक्ति का केंद्रीकरण खतरनाक है जिससे देश के लोकतंत्र को खतरा बना हुआ है। इससे लोगों के बुनियादी अधिकारों को भी खतरा है क्योंकि इससे आगे बढ़ने के लिए सभी को मिलने वाले निष्पक्ष मौके खत्म हो जाएंगे। बाइडन ने कहा कि अगर सत्ता को अनियंत्रित छोड़ दिया गया तो इसके खतरनाक परिणाम होंगे। उन्होंने तकनीकी औद्योगिक परिसर के प्रभाव पर भी चिंता जताई। राष्ट्रपति ने कहा कि मैं एक तकनीकी औद्योगिक परिसर के संभावित उदय के बारे में भी चिंतित हूं जो हमारे देश के लिए भी वास्तविक खतरे पैदा कर सकता है।
जो ने कमला का भी किया समर्थन
उन्होंने कहा कि देश को इनके चंगुल से बाहर निकालना होगा। अमेरिका होने का मतलब यही है कि सभी को निष्पक्ष मौके मिलें। लेकिन आप मेहनत करना नहीं छोड़ना क्योंकि आपकी मेहनत और आपकी प्रतिभा ही आपको आगे ले जा सकती है। राष्ट्रपति बाइडन ने व्हाइट हाउस छोड़ने से पहले अपने कार्यकाल में अमेरिकियों के विचारों को आकार देने पर बात की। बाइडन ने कहा कि हमने साथ मिलकर जो कुछ किया है उसका प्रभाव महसूस करने में समय लगेगा। लेकिन बीज बोए गए हैं और वे बड़े होंगे और आने वाले दशकों तक खिलते रहेंगे। राष्ट्रपति बाइडन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का भी समर्थन किया।
अमेरिका होने का मतलब लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान करना
बाइडेन ने कहा कि मैं हमेशा सोचता रहा हूं कि हम असल कौन हैं और हमें क्या बनना चाहिए? उन्होंने न्यूयॉर्क में स्थापित स्टैच्यू आॅफ लिबर्टी का हवाला देते हुए कहा कि इस प्रतिमा की तरह अमेरिका का विचार सिर्फ एक व्यक्ति की उपज नहीं है बल्कि इस दुनियाभर के अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोगों ने मिलकर सींचा है। बाइडेन ने कहा कि अमेरिका होने का मतलब लोकतांत्रिक संस्थानों का सम्मान करना है। लगभग पचास सालों के राजनीतिक जीवन के बाद मैं कह सकता हूं कि अमेरिका होने का मतलब लोकतंत्र का सम्मान है। खुला समाज और स्वतंत्र प्रेस इसकी आधारशिला हैं। शक्तियों और कर्तव्यों का संतुलन बनाए रखना हमेशा परफेक्ट नहीं हो सकता लेकिन इसने लगभग 250 सालों तक हमारे लोकतंत्र को मजबूत किया है।
वादे अधूरे रह गए
राष्ट्रपति जो बाइडन ने स्वीकार किया कि उनके वादे अधूरे रह गए। उन्होंने पत्र में लिखा कि मैं राष्ट्रपति पद के लिए दौड़ा क्योंकि मेरा मानना था कि अमेरिका की आत्मा दांव पर थी। हम कौन हैं उसकी प्रकृति ही खतरे में थी। अभी भी यही स्थिति है। इसके अलावा उन्होंने उपलब्धियों पर भी जोर दिया। उन्होंने पत्र में लिखा कि पृथ्वी पर कहीं और ऐसा नहीं हो सकता। स्क्रैंटन, पेंसिल्वेनिया और क्लेमोंट, डेलावेयर में मामूली शुरूआत से हकलाने वाला बच्चा एक दिन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में ओवल कार्यालय में रेसोल्यूट डेस्क के पीछे बैठ सकता है। मैंने अपना दिल और अपनी आत्मा हमारे देश को दे दी है। बदले में मुझे अमेरिकी लोगों के प्यार और समर्थन से लाखों बार आशीर्वाद मिला है।
क्या होता है ‘ओलिगार्की’ का मतलब?
‘ओलिगार्की’ सामाज के ऐसे लोगों के संगठन को कहा जाता है, जहां राजनीतिक शक्ति मुख्य रूप से गिनेचुने धनवान लोगों के पास होती है। यह दौलतमंद वर्ग पूरी आबादी का एक छोटा सा हिस्सा होता है। ऐसे लोग इस राजनीतिक शक्ति का इस्तेमाल अपने ही वर्ग के फायदे और हितों की रक्षा के लिए करते हैं।