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इस साजिश को ध्यान से समझिये

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न जाने ये षड़यंत्र कब रोके जा सकेंगे। स्कूल में पढ़ी कोर्स की किताबें अकबर के नाम के साथ ‘महान’ लगाना सिखाती थीं। बेशक, इन्हीं किताबों में महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) का भी अध्याय था, किन्तु उसमें उन्हें घास की रोटी खाने को मजबूर ‘बेचारे’ के रूप में चित्रित किया गया था। बड़े हुए तो एक सज्जन बिशम्भर नाथ पांडे जी (Bishambhar Nath Pandey Ji) की किताब के बारे में सुना। केवल ‘सुना’ लेकिन ‘पढ़ा’ इसलिए नहीं कि तब तक सच और झूठ के बीच का अंतर करना आ चुका था। पांडे इतिहास के शायद किसी परनाले का गोता लगाकर एक दूर की कौड़ी ढूंढ लाये थे। उन्होंने लिखा कि महमूद गजनवी (Mahmud Ghaznavi) तो दरअसल महान था। हुआ केवल यह कि जब वह सोमनाथ (Somnath) पहुंचा तो उसे बताया गया कि वहां के शिवालय में एक महिला के साथ कुछ गलत हुआ है। पांडे के मुताबिक चूंकि गजनवी स्त्रियों का बहुत सम्मान करता था, इसलिए वह इस घटना से नाराज हो गया और केवल इस वजह से उसने सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) के विध्वंस का आदेश दे दिया। अब मैं तो ठहरा एक आम आदमी, लेकिन उस समय के खास लोग सच और झूठ के बीच का अंतर खत्म करने की कला में माहिर थे। लिहाजा, पांडे को हिंदू-मुस्लिम (Hindu-Muslim) एकता का प्रतीक बताकर पद्मश्री सम्मान (Padma Shri Award) दे दिया गया। इनामो-इकराम का ये क्रम इन सज्जन को उड़ीसा (वर्तमान में ओडिशा) का लाट साब यानी राज्यपाल बनाकर दिया गया।

अब किताबों की जगह टीवी/कम्प्यूटर/स्मार्ट फोन की स्क्रीन ले चुकी है। तो झूठ के मल को हलुआ बताकर परोसने की डिजिटल कोशिश भी कर दी गयी है। निखिल आडवाणी (Nikhil Advani) उन लोगों में से हैं, जिन्हें मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होने वाला कहा जाता है। उनकी एक मेगा वेब सीरीज ‘द एम्पायर’ (Mega web series ‘The Empire’) 27 अगस्त से शुरू होने जा रही है। यह एलेक्स रदरफोर्ड के उपन्यास (novels by alex rutherford) पर आधारित है। और ये आधार इतना तगड़ा है कि आडवाणी साफ कह चुके हैं कि वह रदरफोर्ड की इस रचना के लिए प्रतिबद्ध हैं।

पहले रदरफोर्ड की प्रतिबद्धता को टटोल लिया जाए। जितना सुना है, उस के अनुसार इस उपन्यास में मुगल आक्रांता जहीरुद्दीन बाबर (Zaheeruddin Babar) को महिमा मंडित किया गया है। उसे महान बताया गया है। उसके भीतर मानवीय गुण कूट-कूटकर भरे दिखाए गए हैं। तो इसी प्रतिबद्धता को अब आडवाणी मजहबी श्रद्धा के साथ अपना कर उसे दर्शकों को परोसने के लिए तैयार हैं। कोई असुविधा न हो, असली मंसूबे एक्सपोज हो जाने के बावजूद किसी किस्म की कानूनी दिक्कत न हो, इसका बंदोबस्त कर लिया गया है। इस वेब सीरीज को ‘फिक्शन’ बताकर। अब कोई विरोध हो तो आडवाणी कह सकते हैं कि मामला काल्पनिक है। विदेशी आक्रांता और लुटेरे बाबर ने भारत को साजिश के साथ तोड़ने का काम किया। बाबर जानता था कि यदि भारत पर राज करना है, तो उसके सांस्कृतिक गौरव के प्रतीकों को ध्वस्त करना होगा। बाबर के कहने पर उसके सेनापति मीर बांकी (General Mir Banki) ने अयोध्या जाकर रामलला का मंदिर तोड़ा। उस जगह बाबरी मस्जिद बना दी। अब देश की सबसे बड़ी अदालत भी यह मान चुकी है कि वहां मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनायी गयी थी।

मुगल-काल कितना काला था, यह किसी से छिपा नहीं है। इस काल की नींव देश में बाबर ने रखी थी और उसके बाद सत्त्ता संभालने वाले हर मुगल ने बाबर के किए को ही दौहराया। हिन्दुओं पर बेहिसाब और अमानवीय अत्याचार किये गए। बाबरनामा पढ़ लीजिये। इसमें बाबर खुद को गर्व से हिंदुओं का हत्यारा बताता है। बाबर की इस आत्मकथा में लिखा गया है, ‘बाबर के युद्ध अभियान में हिन्दू-सिख नागरिकों को निशाना बनाया गया। अनेक नरसंहार हुए और मुस्लिम शविर काफिरों (मूर्ति को पूजने वाले) के सिरों की मीनारों के रूप में जाने जाने लगे। यह भी जान लीजिए कि इस किताब में बाबर ने भारत पर आक्रमण को इस्लामिक जिहाद बताया था।

आडवाणी साधन संपन्न हैं। बाबर पर यदि उन्हें इतना ही प्रेम उमड़ा है तो जाकर अफगानिस्तान (Afghanistan), पाकिस्तान (Pakistan), तुर्की या फिर और किसी कट्टर मुस्लिम राष्ट्र में इस वेब सीरीज का वहां की भाषा में निर्माण करें। कौन उन्हें रोक सकता है? लेकिन कम से कम भारत में तो किसी क्रूर और हत्यारी फितरत को महान बताने जैसा घृणास्पद काम उन्हें नहीं करना चाहिए था। लेकिन नहीं, आडवाणी तो बाबर को देश में नयी संस्कृति के संवाहक के रूप में दिखाने जा रहे हैं। हिंदुओं और सिखों का कत्लेआम कर लाशों का अंबार लगा देने वाली उसकी फौज को वह अनुशासित तथा दयालू के रूप में प्रस्तुत करेंगे। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने के सच को सुप्रीम कोर्ट की स्वीकृति मिल जाने के बावजूद आडवाणी द्वारा बाबर को भारत में वास्तुकला का मसीहा बताया जाएगा।

इस वेब सीरीज की टाइमिंग पर गौर करना भी महत्वपूर्ण हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में राम मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद अयोध्या में विशाल राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है। इस मुकदमे के चलते यह हुआ है कि आज की युवा पीढ़ी भी बाबर सहित पूरे मुगलकाल (Mughal period) की असलियत समझ चुकी है। अब इसी पीढ़ी को विश्व-भर में आडवाणी यह सन्देश देंगे कि नहीं, बाबर तो महान था। घर-घर और फोन-फोन पर प्रसारित होने वाले ऐसे झूठ में सने तथ्यों के माध्यम से एक बार फिर इतिहास को उसी नजरिये से पढ़ाने की कोशिश की जाएगी, जो हमारे देश पर जुल्म की हुकूमत करने वालों को महान बताने से शुरू होकर भगवान श्री राम को काल्पनिक बताती है और पुरजोर तरीके से तमिलनाडु से श्रीलंका के बीच बने राम सेतु को तोड़ने की वकालत करती है। इस साजिश को समझना ही होगा। उस आधार पर यह सुनिश्चित करना होगा कि इस वेब सीरीज के प्रसारण से पूरी तरह विरोध स्वरूप दूरी बनाकर रखी जाए। यह किसी वेब सीरीज का नहीं, बल्कि उस विषाणु का प्रसारण है, जो करोड़ों देशवासियों की आस्था के प्राण हर लेने पर आमादा है। दुख की बात है कि हमारी आस्थाओं को खंडित करने वाला जिहाद संचालित कर रही ताकतों को इस काम में किसी पांडे, आडवाणी या थापर का ही सक्रिय सहयोग मिल जाता है।

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