मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर बड़ी उठापटक देखने को मिल सकती है। यह दावा शिवसेना यूबीटी गुट के नेता संजय राउत के बयान के बयान के बाद किया जा रहा है। यही नहीं, उनके इस बयान के बाद विपक्षी गठबंधन एमवीए में हलचल भी तेज हो गई है। दरअसल संजय राउत ने दावा किया है कि भाजपा के कई नेता चाहते हैं कि शिवसेना (यूबीटी)के साथ फिर गठबंधन हो जाए। संजय राउत का यह बयान उद्घव ठाकरे और भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल के बीच एक शादी समारोह में हुई मुलाकात के बाद आया है। इस मीटिंग में चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि ऐसा मिलन उसके लिए एक स्वर्णिम क्षण होगा।
जानकारी के मुताबिक भाजपा नेता पराग अलवाणी की बेटी की शादी में उद्धव ठाकरे और बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटिल अचानक आमने-सामने आ गए। इस दौरान विधायक मिलिंद नार्वेकर ने पूछा कि गठबंधन कब बनेगा? इस पर चंद्रकांत पाटिल ने जवाब दिया कि मैं इन सुनहरे पलों का इंतजार कर रहा हूं। इसके बाद उपस्थित लोगों में जोरदार ठहाके गूंज उठे। राउत ने यह बयान इसी घटनाक्रम के बाद दिया है। राउत ने कहा,’चंद्रकांत पाटिल हमारे मित्र हैं। वहीं भाजपा की पुरानी पीढ़ी से हैं, जो शिवसेना-बीजेपी संबंधों के महत्व को समझते हैं( इस गठबंधन 25 वर्षों तक अच्छा काम किया।
हमारा हक एकनाथ शिंदे को दे दिया
राउत ने कहा कि बीजेपी में कई लोग पाटिल की ‘स्वर्णिम क्षण’ की भावनाओं को साझा करते हैं. वह हमेशा से भाजपा-शिवसेना गठबंधन के समर्थक रहे हैं। अब भाजपा में बहुत से बाहरी लोग आ गए हैं, जिन्हें हमारे (भाजपा-शिवसेना) 25 साल पुराने गठबंधन के महत्व के बारे में नहीं पता है। ऐसे लोगों का भाजपा या हिंदुत्व से कोई संबंध नहीं है।’ संजय राउत ने कहा,’चंद्रकांत पाटिल की भावनाएं (भाजपा-शिवसेना गठबंधन) भाजपा में कई अन्य लोगों की भी भावनाएं हैं। मैं उनके विचारों की सराहना करता हूं। हम एमवीए में गए इसका कारण भाजपा के कुछ लोग थे। हमारी असली शिवसेना छोड़कर जो नई ‘डुप्लिकेट शिवसेना’ बनी है, उसे बीजेपी ने पूरा समर्थन दिया है। जो हमारा हक था, उसे एकनाथ शिंदे को दे दिया गया।’
लगातार चल रही है बातचीत: राउत
भाजपा और शिवसेना (यूबीटी) के संभावित गंठबंधन को लेकर जब संजय राउत से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बीजेपी में कई ऐसे लोग हैं, जो चंद्रकांत पाटिल की तरह सोचते हैं। हम इस पर लगातार चर्चा कर रहे हैं। लेकिन इस समय हम ‘वेट एंड वॉच’ की नीति पर हैं। हालांकि, हमें पहले से पता है कि आगे क्या होने वाला है। मुझे संदेह है कि एकनाथ शिंदे कितने समय तक भाजपा के साथ रह पाएंगे। वह केवल सत्ता और पैसे के बल पर टिके हुए हैं।’