38.2 C
Bhopal

भोपाल से होगा भारतीय भाषा सत्याग्रह का शंखनाद

प्रमुख खबरे

भारत की स्वाधीनता को संपूर्णता प्रदान करने के लिए भारत में भाषा- स्वराज अपरिहार्य है। ‘अपनी भाषा पर अभिमान, सब भाषाओं का सम्मान’ के सामंजस्यपूर्ण उद्घोष के साथ भोपाल से भारतीय भाषा सत्याग्रह का शंखनाद होगा।

माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान की इस पहल को अखिल भारतीय स्तर पर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग और राष्ट्रभाषा प्रचार समितिए वर्धा का समर्थन और सहभागिता प्राप्त है। मध्यप्रदेश में श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति इंदौर, मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, तुलसी मानस प्रतिष्ठान, गांधी भवन न्यास और मध्यप्रदेश लेखक संघ इस अभियान में सक्रिय सहभागी हैं। हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के आणन्द में संपन्न 76वें अधिवेशन में सर्वसम्मति से भाषा-स्वराज का प्रस्ताव स्वीकार किया गया है। इसका मूल मंत्र है- संकल्प का विकल्प नहीं होता। अर्थात मूल राजभाषा अधिनियम का बिना किंतु-परंतु के अनुपालन हो।

सप्रे संग्रहालय के संस्थापक विजयदत्त श्रीधर ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा में भाषा विषयक प्रावधान बहुत स्पष्ट हैं। इसमें मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा तथा समुन्नत प्रादेशिक भाषाओं और हिन्दी में उच्चतर शिक्षा की व्यवस्था है। यह सभी भारतीय भाषाओं को महत्व देती है। परंतु राजनीतिक स्वार्थ और सत्ता के दुष्चक्र में भाषा के सवाल को जिस तरह सन 1965 से उलझाया गया है, उसमें समाधान का मार्ग दृढ़ राष्ट्रीय संकल्प से ही निकल सकता है। भारतीय भाषाओं के बीच परस्पर सम्मान और सौहार्द्र से यह गुत्थी सुलझ सकती है। टालमटोल की रीति-नीति से गुत्थी और अधिक उलझ रही है। ‘स्किल’ के रूप में अंग्रेजी और अन्य प्रमुख विश्व भाषाओं के पठन-पाठन से कोई असहमति नहीं है। परंतु शिक्षा के माध्यम, प्रशासनिक काम-काज, राज-काज, संसदीय कार्य व्यवहार और न्यायालयों की भाषा के रूप में अंग्रेजी का प्रयोग तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाए। अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त हुए बिना स्वाधीनता संपूर्ण नहीं हो सकती।

भारतीय भाषा सत्याग्रह के सूत्र इस प्रकार हो सकते हैं-

  1. हर भारतीय अपनी भाषा पर अभिमान रखे। अन्य भारतीय भाषाओं का सम्मान करे।
  2. दैनन्दिन जीवन के प्रत्येक क्रियाकलाप में अपनी भाषा का प्रयोग करे। शुद्ध वर्तनी और सही उच्चारण पर ध्यान दे। अपनी भाषा के अंकों को व्यवहार में लाए।
  3. जिनकी मातृभाषा कोई जनपदीय लोकभाषा हो, वे घर-परिवार और विवाह आदि सामाजिक कार्यों में उसी का प्रयोग करें।
  4. भारतीय भाषाओं के बीच शब्दों का आदान-प्रदान बढ़ाएँ। हिन्दी का शब्द भाण्डार बढ़ाने के लिए अन्य भारतीय भाषाओं से उपयुक्त शब्द ग्रहण करना चाहिए। इसी तरह अन्य भारतीय भाषाएँ भी हिन्दी से शब्द ग्रहण करें।
  5. हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच श्रेष्ठ साहित्य का आदान-प्रदान बढ़े।
  6. शिक्षा के लिए यह भाषा नीति व्यावहारिक और राष्ट्रीय हितों की पोषक हो सकती है
- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

ताज़ा खबरे