फिरोज खान के पोते राहुल भले ही मूलत: गांधी न हों, लेकिन प्रचार तंत्र तो उन्हें महात्मा गांधी के समकक्ष ही रखता है। खैर, कांग्रेस के अघोषित माई-बाप और देश के घोषित बापू के बीच तुलना नहीं की जा सकती। गांधी जी की आवाज पर देश एकजुट हो गया था और राहुल की सियासी परवाज का आलम यह कि कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े होने की कगार पर आ गई है।