श्योपुर। यूं तो मंदिर का निर्माण के लिए पैसो का दान करना तो आम बात है, लेकिन मप्र में एक एक गांव ऐसा भी है,जहां के ग्रामीण मंदिर को संवारने के लिए हर साल अपने पशु चारे को दान कर रहे हैं। खास बात यह है कि भूसे के दान से न सिर्फ मंदिर संवर रहा है,बल्कि भव्य मंदिर बन गया है। यह अनोखा मंदिर श्योपुर विकासखंड के जैनी गांव में मौजूद श्री क्षेत्रपाल बाबा का मंदिर है। जो मप्र का ऐसा इकलौता मंदिर बन गया है,जो भूसे के दान से जुट रही राशि से भव्य आकार ले चुका है।
बता दें कि जैनी के ग्रामीण हर साल सरसों के भूसे को सामूहिक बोली लगाकर बेचते है और फिर उसकी राशि को मंदिर समिति को दान कर देते है। इस साल भी जैनी के ग्रामीणों ने अपने सरसो के चारे को 16 लाख 21 हजार रूपए में ज्वालापुर के एक व्यापारी को बेचकर उसकी राशि को मंदिर समिति को दान कर दिया है। मंदिर समिति इस राशि को उपयोग मंदिर की भव्यता बढ़ाने और यहां यात्रियों के लिए सुविधाएं बढाने पर करेगी।
श्री क्षेत्रपाल बाबा मंदिर जिले का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल
दरअसल ग्राम जैनी स्थित श्री क्षेत्रपाल बाबा मंदिर जिले का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां रविवार को दर्शनों के लिए दूर-दूर के श्रद्धालु जुटते है। श्री क्षेत्रपाल बाबा के मंदिर के प्रति जैनी गांव के ग्रामीणों की विशेष आस्था है। अपने आस्था स्थल को जैनी के ग्रामीण ऐसा भव्य बनाना चाहते है,ताकि यहां आने वाले दूर दराज के श्रद्धालुओ को किसी तरह की कोई परेशानी न हो और वे यहां आकर अपने आपको धन्य समझे। इसके मंदिर को भव्य बनाने के लिए गांव के सारे ग्रामीण, सरसों के भूसे को सामूहिक रूप से बेचकर उसकी राशि को मंदिर निर्माण के लिए दान करने का अनोखा काम कर रहे है। जैनी के ग्रामीणों ने भूसे के दान की अनोखी परपंरा 17 साल पहले शुरू की थी, तब से ही यह पहल निरंतर चली आ रही है। इस पहल से अब तक पौने दो करोड से अधिक की राशि जुट गई है। जिसके चलते यह मंदिर पहले की तुलना में अब काफी भव्य हो गया है।
वर्ष 2008 से शुरू हुई भूसा दान की मुहिम
श्योपुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम जैनी के ग्रामीणों की सरसों का भूसा दान करने की मुहिम वर्ष 2008 में शुरू हुई। डेढ दशक पहले तक सरसों के भूसे का कोई उपयोग नहीं होता था। सरसों की फसल तैयार करने के बाद ग्रामीण इस भूसे को खेत में ही जला देते थे। र्इंट भट्टों में सरसों के भूसे का उपयोग होने के बाद इस अनुपयोगी भूसे की कीमत हो गई। वर्ष 2008 में जैनी के ग्रामीणों ने सामूहिक बैठक कर यह निर्णय लिया कि सभी लोग सरसों के चारे को मंदिर समिति को दान करेंगे। मंदिर समिति इस चारे को बेचेगी, जिससे जो राशि प्राप्त होगी, उसका उपयोग मंदिर को भव्य बनाने में किया जाएगा। समिति के मुताबिक वर्ष 2008 में समिति को दान में मिले सरसों के चारे से 1 लाख 61 हजार की आय हुई थी। 2008 से ही गांव के लोग सरसों के भूसे का दान मंदिर समिति को करते आ रहे है, जो आज भी जारी है।
बढ़ेगी मंदिर की भव्यता, आकर्षक बनेगा कथा पांडाल
भूसे की दान की राशि से अभी तक न सिर्फ मंदिर भव्य हो गया, बल्कि धर्मशालाएं भी बन गई है। श्री क्षेत्रपाल बाबा मंदिर समिति के अध्यक्ष धनजीत पटेल, उपाध्यक्ष मदन मोहन मीणा, सचिव परीक्षित मीणा,कोषाध्यक्ष रघुवीर शर्मा सहित अन्य पदाधिकारियों ने बताया कि भूसे के दान से जो राशि मिलती है, उसका उपयोग मंदिर को भव्य बनाने और श्रद्धालुओ के लिए सुविधाओ के विस्तार पर किया जा रहा है। मंदिर का रंगरोगन किए जाने के बाद लेखन कार्य भी करा दिया गया है। वहीं भागवत कथा के आयोजन के लिए एक कथा पांडाल का निर्माण भी किया जा रहा है। जिसे आकर्षक बनाया जाएगा, इस कथा पांडाल के चारो तरफ शीशे लगाए जाएंगे। वहीं एसी की सुविधा भी इसमें उपलब्ध कराई जाएगी। ताकि इसमें बैठकर श्रद्धालुओ को कथा सुनने में आनंद मिले। इसके अलावा कच्ची रसोई के लिए रसोई का निर्माण, वाहन पार्किंग स्थल सहित अन्य कई यात्री सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा,इसकी योजना बना ली गई है।