नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का आज शनिवार को दिल्ली निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार होगा। केन्द्र सरकार के इस फैसले कांग्रेस नाराज हो गई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मांग की है उनका दिल्ली में एक अलग स्मारक बनाया जाए। साथ ही केन्द्र सरकार को इस मुद्दे पर सियासत नहीं करने की भी सलाह दी है। खड़गे द्वारा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का स्मारक बनाने की मांग करने पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उनके मांग की अलोचना की है। साथ ही अपना दर्द भी बयां किया है। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि उनके पिता और पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर कांग्रेस ने एक शोक सभा आयोजित करने की जहमत भी नहीं उठाई थी। शर्मिष्ठा ने उस दौरान कांग्रेस नेतृत्व पर इस मुद्दे पर उन्हें गुमराह करने का भी आरोप लगाया।
बता दें कि डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया था। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वहीं अगस्त 2020 में देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया था। भाजपा नेता के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘जब बाबा का निधन हुआ, तो कांग्रेस ने शोक सभा के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाने की भी जहमत नहीं उठाई। एक वरिष्ठ नेता ने मुझे बताया कि राष्ट्रपतियों के लिए ऐसा नहीं किया जाता। यह बिलकुल बकवास है क्योंकि मुझे बाद में बाबा की डायरी से पता चला कि केआर नारायणन की मृत्यु पर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी और शोक संदेश बाबा द्वारा ही तैयार किया गया था।’ बता दें कि मनमोहन सिंह के निधन के बाद कांग्रेस की कर्नाटक के बेलगावी में चल रही कार्यसमिति की बैठक रद्द कर दी गई और शुक्रवार को कार्यसमिति की बैठक बुलाकर मनमोहन सिंह के निधन पर शोक जताया गया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
खरगे ने लिखा पीएम मोदी को पत्र
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी को प्रस्ताव दिया है कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के सम्मान में स्मारक का निर्माण किया जाना चाहिए। मनमोहन सिंह का गुरुवार को नई दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया था। खरगे ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों के स्मारक बनाने की परंपरा रही है। खरगे के इस पत्र पर भाजपा नेता सीआर केसवन ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस की आलोचना की और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव का जिक्र किया, जिनका दिल्ली में स्मारक नहीं बनाया गया।
कांग्रेस नेता के तर्क को बताया था बकवास
शर्मिष्ठा के मुताबिक, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने तब उनसे कहा था कि भारत के राष्ट्रपतियों के निधन पर पार्टी की कार्य समिति द्वारा शोक सभा बुलाने की परम्परा नहीं रही है। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस नेता के इस तर्क को पूरी तरह से बकवास बताते हुए यह भी दावा किया कि उन्हें अपने पिता की डायरियों से पता चला है कि एक और पूर्व भारतीय राष्ट्रपति केआर नारायणन के निधन पर सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई गई थी और शोक संदेश का मसौदा किसी और ने नहीं बल्कि खुद उनके पिता प्रणब मुखर्जी ने तैयार किया था।
शर्मिष्ठा ने कांग्रेस की अन्य पोस्ट का दिया हवाला
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पूर्व कांग्रेस नेता सी.आर. केसवन की एक अन्य पोस्ट का हवाला दिया है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि कैसे कांग्रेस ने पार्टी के अन्य राजनेताओं की सिर्फ इसलिए उपेक्षा की क्योंकि वे ‘गांधी’ परिवार के सदस्य नहीं थे। शर्मिष्ठा ने इस मुद्दे पर, 2004 से 2009 तक डॉ. मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार और फाइनेंशियल एक्सप्रेस के पूर्व प्रधान संपादक डॉ. संजय बारू द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के एक अध्याय का संदर्भ दिया। बारू ने अपनी किताब में उल्लेख किया है कि कैसे कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के लिए दिल्ली में कभी कोई स्मारक नहीं बनाया, जिनका 2004 में निधन हुआ था। संजय बारू की किताब में यह भी बताया गया है कि 2004 से 2014 तक सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस ने कभी पी.वी. नरसिम्हा राव के लिए राष्ट्रीय राजधानी में स्मारक बनाने की पहल नहीं की। बारू ने अपनी किताब में यह भी दावा किया था कि कांग्रेस यह भी नहीं चाहती थी कि राव का अंतिम संस्कार उनके पैतृक स्थान हैदराबाद की जगह, नई दिल्ली में हो।
निगम बोध घाट पर होगा पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार नई दिल्ली के निगमबोध घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पूर्व पीएम के अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए उपयुक्त जगह का चयन न करके देश के पहले सिख प्रधानमंत्री का अपमान किया जा रहा है।