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भारत की कूटनीतिक चाल में फंसा पड़ोसी, धरी रह गई शहबाज सरकार की तैयारी, पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स के मुंह से निकली ऐसी चीख

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नई दिल्ली। 76वें गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली के लाल किले पर आयोजित की गई परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने भारत आए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबिअंतो का यह दौरा चर्चा का विषय बन गया है। इसकी सबसे बड़ी वजह भी बना है हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान। दरअसल भारत का दौरा पूरा कने के बाद प्राबोवो सुबिअंतो का विमान लाहौर में लैंड होना था, लेकिन भारत की कूटनीतिक दबाव के चलते इंडोनेशिया की सरकार ने अपना प्लान बदल लिया और राष्ट्रपति प्राबोवो सुबिअंतो पाकिस्तान न जाकर मलेशिया की यात्रा पर निकल गए। खास बात यह है कि पाकिस्तान को इस बात का अंदाजा नहीं था कि भारत के दबाव में आकर प्राबोवो लाहौर के दौरे पर नहीं जाएंगे। हालांकि पाकिस्तान ने अब तक इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन वहां के कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि भारत ने हमसे बदला लिया है।

सूत्रों की मानें तो शहबाज सरकार ने तो इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के स्वागत की तैयारी भी शुरू कर दी थी। यहां तक कि सरकार के एक मंत्री को भी तैयारियों का जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन आखिर में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के दौरे पर ना जाना चुना। जाहिर है, पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार को भारत की यह कूटनीतिक सफलता हजम तो नहीं हुई होगी। पाकिस्तान के एक थिंक टैंक संस्था के सदस्य और विदेशी मामलों के जानकार कमर चीमा का कहना है कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को भारत में 26 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पाकिस्तान आना था। इंडिया ने उन पर इंडोनेशिया पर दबाव बनाया और उनको इस्लामाबाद आने से रोक दिया।

बांग्लादेश में पाकिस्तान का दखल बढ़ने से भारत परेशान
चीमा ने कहा कि भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रबोवो को रोककर पाकिस्तान से बदला लिया है। चीमा ने कहा कि पाकिस्तान जितना बांग्लादेश के करीब होगा उसी हिसाब से भारत भी अलग-अलग तरह से अपनी ओर से बदला लेगा। इसलिए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के इस्लामाबाद न आने में पाकिस्तान का कोई कुसूर नहीं है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में पाकिस्तान का दखल बढ़ने से भारत परेशान हो गया है और इसके बदले वह दिखाना चाहता है कि वह क्या कर सकता है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की पाकिस्तान यात्रा को रोककर भारत ने यह दिखा भी दिया कि वह क्या कर सकता है।

पाकिस्तानी पत्रकार और एक्सपर्ट्स भड़के
वहीं पाकिस्तान की यू्ट्यूबर और विदेशी मामलों की जानकार आरजू काजमी ने इस मामले में कहा कि, गणतंत्र दिवस के लिए भारत को कोई और मेहमान नहीं मिला। उन्होंने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को ही 26 जनवरी पर बुलाया। जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने 26 जनवरी को इस्लामाबाद आ रहे इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी थी। उन्होंने सरकार के एक मंत्री एहसन इकबाल की ड्यूटी भी लगा दी थी। आरजू काजमी ने आगे कहा कि, नरेंद्र मोदी सरकार को यह तो पता ही होगा कि पाकिस्तान पहले ही इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को बुला चुका है। इसके बावजूद भी नरेंद्र मोदी सरकार ने जानबूझकर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को भारत बुलाया।

मोदी सरकार ने दिया होगा लालच
आरजू काजमी ने कहा कि, नरेंद्र मोदी सरकार ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति को ट्रेड का लालच दिया होगा, इसके साथ ही कई और भी अलग-अलग तरह का लालच देकर, बहला-फुसलाकर उन्हें भारत बुला लिया। आरजू काजमी ने आगे कहा कि, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने भी सोचा होगा कि पाकिस्तान से ज्यादा तो भारत जाने का ही फायदा है। वहां से कुछ न कुछ तो मिल ही जाएगा। आरजू ने आगे कहा कि, यूं तो इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भारत के बाद भी पाकिस्तान जा सकते थे लेकिन भारत ने जानबूझकर ऐसा नहीं करने दिया।

कैसी है इस मामले में पाकिस्तान के आम लोगों की प्रतिक्रिया?
पाकिस्तान की एक प्रसिद्ध यूट्यूबर सना अमजद ने जब वहां के आम लोगों से इस बारे में सवाल पूछे तो एक युवक साहिम ने कहा कि, अगर वह भारत के प्रभाव में आकर पाकिस्तान नहीं आ रहे तो वह अपना कारोबार और अपना फायदा देख रहे हैं। पाकिस्तान तो दुनिया को कुछ दे नहीं पा रहा है, हम दुनिया के सामने भीख मांग रहे हैं। हमारी इतनी ताकत ही नहीं है कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भारत के सामने हमें चुन पाते। साहिम ने आगे कहा कि, इंडोनेशिया मुस्लिम देश है सिर्फ इस वजह से वहां के राष्ट्रपति का भारत की जगह पाकिस्तान आने का कोई मतलब नहीं बनता था। आज के समय में देश धर्म नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर रिश्तों को बनाते हैं।

वहीं एक अन्य युवक ने कहा कि, अगर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति हमारे यहां नहीं आए तो समझ लेना चाहिए कि हम ही गलत हैं। युवक ने आगे कहा कि, अगर लोग भारत को चुन रहे हैं तो वह इतना काबिल है। इंडोनेशिया को भी यह देखना है कि कौन उसके लिए ज्यादा आर्थिक लाभ देने वाला साबित होगा। हर कोई अपना फायदा देखता है। पाकिस्तानी युवक ने आगे कहा कि, भारत की दुनिया में डिमांड है लेकिन पाकिस्तान की नहीं है। पाकिस्तान की कोई वैल्यू ही नहीं है। पाकिस्तान को भारत की तरह पूंजीवादी भी बनना चाहिए। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सिर्फ इसलिए भारत गए क्योंकि पाकिस्तान उन्हें जाते समय वैसे भी कुछ नहीं दे पाता। जबकि भारत से उन्हें काफी कुछ मिलेगा।

एक दूसरे पाकिस्तानी युवक ने कहा कि, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के प्लान कैंसिल करने के मामले में शहबाज शरीफ सरकार की भूमिका है कि वह देखे कि वह लोगों को किस तरफ लेकर जा रही है। अगर वह वहां गए हैं तो जाहिर है कि भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और ज्यादा क्रेडिबल है। इसिलए उन्होंने भारत को चुना है।

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