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जीबीएस बीमारी से दहशत में महाराष्ट्र : सोलापुर में एक मरीज की मौत, पुणे में 100 से ज्यादा संक्रमित, 16 वेंटिलेटर पर

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मुंबई। महाराष्ट्र में गुलेन बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) नामक बीमारी ने दहशत फैला दी है। इस बीमारी ने जहां पुणे में 100 से अधिक लोगों को अपनी चपेट में लिया है। इनमें 68 पुरूष और 33 महिला मरीज हैं। जिसमें एक दर्जन से अधिक वेंटिलेटर पर है। वहीं सोलापुर में इस बीमारी के संक्रमण से एक मरीज की मौत हो जाने की खबर सामने आई है। वास्थ्य विभाग ने एक बयान जारी कहा है कि सोलापुर में मरने वाले व्यक्ति की मौत गिलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) की वजह से होने का अनुमान है। हालांकि आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। बताया गया है कि मृतक मरीज पुणे में ही संक्रमित हुआ था। बाद वह सोलापुर चला गया था। उसके गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित होने का संदेह था। यहां पर बता दें कि इस बीमारी ने अमेरिका के राष्ट्रपति रहे फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की जान ले ली थी।

पुणे में जीबीएस संक्रमितों की संख्या 101 हो गई है, जिनमें से 68 पुरुष और 33 महिलाएं शामिल हैं। इनमें 16 मरीजों की हालत गंभीर है और वे वेंटीलेटर सपोर्ट पर हैं। रैपिड रेस्पॉन्स टीम और पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का स्वास्थ्य विभाग लगातार सर्विलांस कर रहे हैं। खासकर पुणे के सिंघाद रोड पर विशेष निगरानी की जा रही है क्योंकि वहीं पर सबसे ज्यादा मरीज मिले हैं। अभी तक राज्य के 25,578 घरों का सर्वे किया जा चुका है। इनमें से 15,761 घर पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के और 3,719 घर चिंचवाड़ म्युनिसिपल कॉपोर्रेशन के तहत आते हैं। 6,098 घर ग्रामीण इलाके के हैं।

इस बीमारी ने ली थी अमेरिका के राष्ट्रपति की जान
इस बीमारी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व स्तर पर इससे प्रभावित लोगों में से करीब 7.5% लोगों की मौत हो जाती है। गुलेन बैरी सिंड्रोम एक रेयर बीमारी है, क्योंकि हर साल एक लाख लोगों में एक या दो लोगों में ये बीमारी देखने को मिलती है। यह बीमारी अमेरिका के राष्ट्रपति रहे फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की भी मौत का कारण बनी थी। दरअसल, रूजवेल्ट को इस बीमारी के चलते लकवा हुआ था। उनके कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था। लेकिन उस समय कहा गया कि रूजवेल्ट की मौत पोलियो से हुई है। लेकिन बाद में रिसर्च से सामने आया कि उनकी मौत का कारण गुलेन बैरी सिंड्रोम ही था।

क्या है इसका लक्षण
गुलेन बैरी सिंड्रोम के लक्षण तेजी से बढ़ते हैं, इससे पैरालिसिस (लकवा) की दिक्कत हो सकती है। यह स्थिति दो हफ्तों के भीतर अपने चरम पर पहुंच सकती है। गुलेन बैरी सिंड्रोम की शुरूआत आमतौर पर हाथों और पैरों में झुनझुनी और कमजोरी से होती है। ये लक्षण तेजी से फैल सकते हैं और लकवे में बदल सकते हैं। इसके शुरूआती लक्षण ये हो सकते हैं।।।

हाथों, पैरों, टखनों या कलाई में झुनझुनी।
पैरों में कमजोरी।
चलने में कमजोरी, सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत।
बोलने, चबाने या खाना निगलने में दिक्कत।
आंखों की डबल विजन या आंखों को हिलाने में दिक्कत।
तेज दर्द, खासतौर पर मांसपेशियों में तेज दर्द।
पेशाब और मल त्याग में समस्या।
सांस लेने में कठिनाई।

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