भोपाल। यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पीथमपुर भेजे जाने को लेकर जमकर सियासत हो हो रही है। बुधवार को जहां एक और मोहन सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर में बड़ी बैठक की। वहीं पीसीसी चीफ जीतू पटवारी पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से मुलाकात की। इंदौर में हुई इन बैठकों के बीच सूबे मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी पीथमपुर में कचरे के निष्पादन को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
सीएम यादव ने गुरुवार को मीडिया से चर्चा के दौरान कहा है कि कचरे के निपटान की प्रक्रिया को लेकर शासन पूरी तरह से संवेदनशील हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मध्यप्रदेश प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही सभी संबंधित टीमों की सतत निगरानी में निष्पादन की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन के लिये सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कार्रवाई की जा रही है। कचरे का निष्पादन जनता की शंकाओं को दूर कर सावधानी पूर्वक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनता के सरोकार प्राथमिकता में सबसे ऊपर है, कचरे के विनिष्टीकरण की कार्रवाई सतत निगरानी में की जायेगी। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को भी अपने निशाने पर लिया। सीएम ने कहा कि- कांग्रेस सरकार के कारण भोपाल गैस कांड हुआ था। पीथमपुर में विरोध करती है कांग्रेस, भोपाल आकर कुछ नहीं बोलते कांग्रेस के नेता।
कचरे का हानिकारक प्रभाव हो गया खत्म
सीएम ने कहा कि हादसे के 40 वर्ष बीतने के बाद भोपाल में रखा लगभग 337 मीट्रिक टन कचरे का हानिकारक प्रभाव खत्म हो गया है। उन्होंने बताया कि बचे हुए शेष कचरे में 60 प्रतिशत से अधिक केवल स्थानीय मिट्टी, 40 प्रतिशत में 7-नेपथॉल, रिएक्टर रेसिड्यूज और सेमी प्रोसेस्ड पेस्टीसाइड्स का अपशिष्ट है। इसमें मौजूद 7-नेपथॉल रेसीड्यूस मूलत: मिथाइल आइसो साइनेट एवं कीटनाशकों के बनने की प्रक्रिया का सह-उत्पाद होता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका विषैला प्रभाव 25 साल में लगभग समाप्त हो जाता है।
सफल ट्रायल रन का प्रतिवेदन कोर्ट में किया गया पेश
सीएम ने बताया कि कचरे के निष्पादन की प्रक्रिया का केन्द्र सरकार की विभिन्न संस्थाओं जैसे- नीरी नेशनल इन्वॉयरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, नागपुर, नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीटयूट हैदराबाद, इंडीयन इंस्टीट्यूट आॅफ केमीकल टेक्नोलॉजी तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समय-समय पर गहन परीक्षण किया गया है। उनके अध्ययन तथा सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तुत प्रतिवेदनों के आधार पर भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय को मार्च, 2013 में दिये गये निदेर्शानुसार केरल कोच्चि स्थित हिंदुस्तान इनसेक्टीसाइड लिमिटेड के 10 टन यूनियन कार्बाइड के समान कचरे का परिवहन कर पीथमपुर स्थित टीएसडीएफ में ट्रायल रन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में किया गया। सफल ट्रायल रन का प्रतिवेदन सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया।
कोर्ट ने वीडियो ग्राफी कराने दिए थे निर्देश
सीएम ने बताया कि ट्रायल रन के निष्कर्षों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल, 2015 में यूसीआईएल के 10 मीट्रिक टन कचरे का एक और ट्रायल रन केन्द्र सरकार की निगरानी में टीएसडीएफ पीथमपुर मे किये जाने के निर्देश दिये। सुप्रीम कोर्ट ने इस ट्रायल रन की वीडियोग्राफी भी सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये थे। निर्देशानुसार अगस्त, 2015 में ट्रायल रन के बाद केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रायोगिक निपटान की समस्त रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय में पेश की गई। रिपोर्ट्स में यह स्पष्ट हुआ कि इस प्रकार के कचरे के निपटान से वातावरण को कोई नुकसान नही हुआ है। हाईकोर्ट ने सभी रिपोर्ट के गहन परीक्षण के बाद ही यूसीआईएल के कचरे के निपटान की कार्यवाही को आगे बढ़ाने एवं उन्हें नष्ट करने का निर्देश जारी किया।