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आदिगुरु की शरण में पहुंचे में सीएम मोहन, लिया आशीर्वाद, कहा- वे ज्ञान परंपरा में सूर्य के समान हैं प्रकाशमान, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में भी टेका माथा

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भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सोमवार को ओंकारेश्वर के दौरे पर पहुंचे। जहां वह एकात्म धाम पहुंच कर आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। वहीं बटुकों ने मंत्रोच्चारों के साथ पूजन विधि संपन्न कराई। मुख्यमंत्री ने एकात्म धाम क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्यों और एकात्म दर्शन की प्रदर्शनी को भी देखा। साथ ही उन्होंने एकात्म धाम को चरणबद्ध तरीके से पूर्ण करने के निर्देश दिये। इस दौरान महामंडलेश्वर दत्तात्रेय आश्रम पूज्य स्वामी विवेकानंद पुरी भी मौजूद थे। सीएम ने ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मां नर्मदा के विहंगम दृश्य का अवलोकन कर मां नर्मदा को प्रणाम किया।

एकात्म धाम में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम यादव ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य जी की किसी से तुलना नहीं हो सकती, वे ज्ञान परंपरा में सूर्य के समान प्रकाशमान है। उनका यहां विराजना ही शुभता का सूचक है, वर्तमान में हिंसा का दौर चल रहा है ऐसे में आचार्य शंकर का जीवन दर्शन हमें शांति की प्रेरणा देता है। उन्होंने संतो को प्रणाम करते हुए कहा कि शंकराचार्य जी की परिकल्पना को पूर्ण रूप से साकार करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी संस्कृति के संरक्षण के लिए सदैव हमारा मार्गदर्शन करते है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सभी उत्सवों एवं पर्वों में समाज के साथ सहभागी है।

आदिगुरु ने एकात्मवाद का अद्भुत संदेश जन-जन तक पहुंचाया
डॉ. यादव ने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य ने एकात्मवाद का अद्भुत संदेश जन-जन तक पहुंचाया। सनातन धर्म परम्परा की रक्षा एवं उसके सिद्धांतों के वैश्विक प्रचार-प्रसार में उनकी अहम भूमिका रही। कठिनाइयों और संघर्षों का सामना करते हुए वे अपने गुरु से दीक्षा लेने के लिए केरल से ओंकारेश्वर आए। उन्होंने गुरु दक्षिणा को अपने आचरण एवं कृतित्व से सार्थक किया और देश को एक रूप में जोड़ने की नई दिशा दिखाई। आदिगुरु शंकराचार्य ज्ञान परम्परा के बड़े वाहक थे। आदिगुरू शंकराचार्य ने देश की चारों दिशाओं में पीठ की स्थापना कर सबको एकता के सूत्र में पिरोया।

ओंकारेश्वर-ममलेश्वर अद्वैत एकात्मता का धाम : महामंडलेश्वर
वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर दत्तात्रेय आश्रम पूज्य स्वामी विवेकानंद पुरी ने कहा कि ओंकारेश्वर-ममलेश्वर अद्वैत एकात्मता का धाम है। यह आदिगुरू शंकराचार्य और भारत को एक पहचान देने का केंद्र है। उन्होंने कहा ओंकारेश्वर, आदिगुरू शंकराचार्य जी की दीक्षाभूमि और साधना स्थली रही है। ओंकारेश्वर को पांचवें पीठ के रूप में विकसित किए जाने की आवश्यकता है।

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