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जड़ में जाकर इस गलती को सुधारे भाजपा

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यह अंहकार है? मूर्खता है? मदहोशी है? या फिर है इन सबका मिला-जुला असर? राष्ट्र और राष्ट्रवाद (nation and nationalism) को अपनी प्राथमिकता में रखने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भोपाल (Bhopal) के प्रदेश कार्यालय दीनदयाल परिसर (State Office Deendayal Complex) में राष्ट्रीय ध्वज (National flag) का विशुद्ध रूप से अपमान किया है। पार्टी के मुख्यालय पर स्वतंत्रता दिवस (Independence day) पर भाजपा के झंडे (BJP flags) को तिरंगे से ऊपर स्थान दे दिया गया। झंडावंदन (flag hoisting) करने वालों ने इस पर ध्यान देना ही जरूरी नहीं समझा कि राष्ट्रध्वज (National flag) से ऊपर पार्टी का झंडा लहरा रहा है। ऐसा ही प्रदेश के आगर-मालवा (Agar Malva) के भाजपा कार्यालय पर भी देखा गया। राजगढ़ (Rajgarh) में प्रभारी मंत्री डॉ. मोहन यादव (In-charge Minister Dr. Mohan Yadav) ने जिस वाहन पर खड़े होकर परेड की सलामी ली, उस वाहन पर राष्ट्रीय ध्वज उलटा लगाया गया था।

यह घटनाक्रम शर्मनाक हैं। खासकर BJP पर सवाल उठाने के लिए तो ये आधार पर्याप्त हैं। क्या टीम वीडी शर्मा (VD Sharma) उस समय गहरी नींद में सो रही थी, जब मुख्यालय की इमारत पर तिरंगे को फहराने के लिए लगाया जा रहा था? या फिर ऐसा हुआ कि जाने-अनजाने में ही भाजपा के ध्वज को National flag से अधिक महत्वपूर्ण मानने की फितरत को मूक स्वीकृति दे दी गयी? इसमें कोई दो राय नहीं है कि भाजपा आज देश का सबसे ताकतवर और प्रभावशाली राजनीतिक दल है। केन्द्र में पूरे बहुमत से उसकी सरकार है। देश के कई राज्यों में उसकी सरकारें है या वो सहयोगी दलों के साथ सरकार में है। अपनी सदस्यता को लेकर यह दल दावा करता है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन है। बेशक भाजपा अपनी इन उपलब्धियों के लिए इतरा सकती है। अभिमान भी कर सकती है। पर अगर राष्ट्रवाद का गाना जोर से बजा ही रहे हो तो कम से कम, कम से कम एक दिन तो अपनी पार्टी के झंडे को राष्ट्रध्वज से छोटा हो जाने दो। भाजपा मुख्यालय में हुई इस गलती के लिए ध्वज लगाने वाले छोटे स्टाफ को नहीं, बल्कि उन दिग्गजों को दंडित किया जाना चाहिए, जिनके ऊपर वहां की गतिविधियों पर नजर रखने का जिम्मा है।

कांग्रेस (Congress) ने बगैर कोई मौका गंवाए इस पर कटाक्ष किया है। उसने ट्विटर (Twiter) पर इस गलती को राज्य सरकार की ‘राष्ट्रीय ध्वज के अपमान की आदत’ बता दिया है। जिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) की इस घटनाक्रम में कोई गलती/जिम्मेदारी नहीं है, उनसे कांग्रेस ने सवाल पूछ लिया है, ‘आपने कोई फिरौती ले रखी है क्या?’ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेवजह आलोचना का शिकार हो गए। उनकी यह स्थिति अपने उस संगठन के कारण से हुई, जिसकी सजगता और सक्रियता को भाजपा की शक्ति का आधार माना जाता है। यह घटनाक्रम इस आशंका की चुगली करता है कि प्रदेश भाजपा मुख्यालय (State BJP Headquarters) में किसी न किसी स्तर पर भाजपा के राष्ट्रवादी विचारों के संप्रेषण में ठहराव वाली स्थिति बनी है। यदि आप उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) में समाजवादी पार्टी (SP) के एक सांसद द्वारा राष्ट्रगान भूलने पर उसकी हंसी उड़ा रहे हैं तो उसी स्तर का व्यवहार भाजपा के इस कृत्य के लिए किया जाना चाहिए। प्रदेश संगठन के कर्ताधर्ताओं की इस लापरवाही ने भाजपा के विरोधियों को यदि उस पर हमला करने का मौका दिया है तो इससे वह लोग भी भौचक्के हो गए होंगे, जो इस दल की राष्ट्रीयता के प्रति विचारधारा के चलते इसे पसंद करते हैं।

अब संगठन क्या करेगा? हो सकता है कि इस गलती की किसी पर गाज गिर जाए। लेकिन इससे क्या होगा? क्या ऐसा करने से भाजपा मुख्यालय पर दोयम दर्जे वाली स्थिति में दिख रहे तिरंगे के फोटो सोशल मीडिया से खुद-ब-खुद डिलीट हो जाएंगे? क्या ऐसा हो जाएगा कि यकायक लोगों की स्मृति से ये वाकया ही मिट जाएगा? या कुछ ऐसा होगा कि वल्लभ भवन (Vallabh Bhawan) के सामने फहराए जाते विशाल राष्ट्रीय ध्वज को देखने वाले यह नहीं बोलेंगे कि इसी सरकार वाली पार्टी ने अपने राज्य मुख्यालय पर तिरंगे का महत्व घटाने का काम किया था? ऐसा कुछ भी नहीं होगा। कुछ लोगों की लापरवाही के चलते भाजपा पर यह एक ऐसा लांछन लगा दिया गया है, जिसे हटाने में पार्टी को खासा परिश्रम करना होगा।

हां, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव वाला मामला अलग है। यहां तिरंगे का मंत्री की गाड़ी पर उलटा लगाना अपराध की श्रेणी में है। ऐसा अपराध, जिसके लिए राजगढ़ के कलेक्टर तथा एसपी (Collector and SP of Rajgarh) को दोषी माना जाना चाहिए । दोष में संस्पेंड कर दिए गए किसी सिपाही को नहीं। क्योंकि परेड की व्यवस्थाओं का जिम्मा उनके ऊपर था। ध्वज संहिता के उल्लंघन के ये दोनों अफसर दोषी हैं। मंत्री से यह उम्मीद बेमानी है कि वह जिस वाहन पर सवार हों, उस पर वह ही यह सुनिश्चित करें कि ध्वज सही तरीके से लगाया गया है या नहीं। लेकिन भोपाल में जो कुछ हुआ, वह भले ही किसी कानूनी कार्यवाही की जद में न आये, किन्तु उसकी जड़ में जाकर उस प्रवृत्ति को भाजपा को ठीक करना ही होगा, जो अभिमान, मूर्खता या मदहोशी से प्रेरित लगती हो सकती है।

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