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देवड़ा ने सदन में पेश की मप्र की तस्वीर: प्रति व्यक्ति आय में इजाफा, विकास दर ने भी भरी उड़ान

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भोपाल। मप्र सरकार कल यानि बुधवार को विधानसभा में बजट पेश करेगी। यह मोहन सरकार के कार्यकाल का दूसरा बजट है। जबकि वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा लगातार 7वीं बजट पेश करेंगे। साल 2025-26 के वित्तीय बजट को 25 लोगों की टीम ने करीब तीन माह में तैयार किया है। बजट पेश करने से पहले वित्तमंत्री देवड़ा ने मंगलवार को विधानसभा में मप्र का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। सदन में पेश किए आर्थिक सर्वेक्षण में मप्र का सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2024-25 में 15,03,395 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। जो वर्ष 2023-24 में रुपए 1353809 करोड़ था। यानि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में मप्र के जीडीपी में 11.05 फीसदी ज्यादा है।

बीते दो दशकों में मध्य प्रदेश ‘बीमारू’ राज्य से उबरकर तेजी से विकास करने वाला राज्य बन गया है। इसमें कल्याणकारी योजनाओं का बड़ा योगदान है। प्रति व्यक्ति आय में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। 2011-12 में यह 38,497 रुपए थी, जो 2024-25 में बढ़कर 1,52,615 रुपए हो गई। जबकि वर्ष 2023-24 में प्रति व्यक्ति आय एक लाख 39 हजार 713 रुपए थी। यानी एक साल में प्रति व्यक्ति आय 12 हजार 902 रुपए बढ़ गई है। सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि स्थिर भावों पर राज्य में प्रति व्यक्ति आय पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।

वर्ष 2028-29 मप्र का जीएसडीपी होगा दोगुना: देवड़ा
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश ने वर्ष 2028-29 तक राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार कृषि फसल क्षेत्र का प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत योगदान वर्ष 2024-25 में 30.90 प्रतिशत रहा लेकिन प्रचलित भाव पर यह 10.8 प्रतिशत बढ़ा जबकि स्थिर भाव में 1.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसी तरह पशुधन क्षेत्र में 7.45 प्रतिशत का योगदान रहा । इसकी वृद्धि स्थिर भाव पर क्रमश: 11.93 प्रतिशत एवं 8.39 प्रतिशत रही। विकसित भारत” की कल्पना के अनुरूप “विकसित मध्यप्रदेश के रूप में राज्य अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करेगा। प्रदेश की मजबूत बैंकिंग प्रणाली और वित्तीय समावेश की शक्ति से आर्थिक तंत्र निरंतर सशक्त हो रहा है।

प्राइवेट सेक्टर में महिलाओं को 40% कम जॉब
मध्य प्रदेश में पिछले 4 साल में प्राइवेट सेक्टर में नौकरियों की संख्या में कमी आई है। एससी-एसटी वर्ग और महिलाओं को 2021 में 36 हजार 324 नौकरियां मिली थीं। वहीं 2024 में ये आंकड़ा घटकर 21 हजार 054 पहुंच गया है। प्राइवेट सेक्टर में महिलाओं की नौकरियों की बात की जाए तो 2021 में 10 हजार 963 महिलाओं को जॉब मिला था, जो 2024 में घटकर 6 हजार 564 रह गया है। वहीं पिछले साल के मुकाबले प्राइवेट सेक्टर में 3192 कम नौकरियां मिली हैं।

2400 औद्योगिक यूनिट से 1.65 लाख रोजगार
मप्र में सरकार निवेश को आकर्षित करने में कुछ हद तक कामयाब रही है। औद्योगिक यूनिट्स की संख्या में पांच साल में 31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2020 में मप्र में 384 औद्योगिक यूनिट स्थापित हुई थीं। वहीं 2024-25 में इनकी संख्या बढ़कर 554 हो गई। पिछले 5 साल में कुल 2429 औद्योगिक यूनिट स्थापित हुई हैं। जिससे 46 हजार 421 करोड़ का निवेश हासिल हुआ है। इनसे 1 लाख 65 हजार 436 लोगों को रोजगार मिला है।

स्कूल छोड़ने वाली बच्चियों की संख्या 36% घठी
सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले दो साल के मुकाबले इस बार स्कूल छोड़ने वाले छात्र और छात्राओं की संख्या में कमी आई है। 2021 में पहली से आठवीं तक 11.87 लाख छात्र और 11.92 लाख छात्राओं ने स्कूल छोड़ दिया था। 2022 में छात्रों की संख्या में कमी आई लेकिन छात्राओं की संख्या में बढ़ोतरी हो गई। 2022 में पहली से आठवीं तक 11.72 लाख छात्रों ने तो 14.11 लाख छात्राओं ने स्कूल छोड़ दिया था। साल 2024 में 10.05 लाख छात्रों ने और 8.97 लाख छात्राओं ने स्कूल छोड़ा है। ये पिछले साल के मुकाबले 26% कम है।

प्रदेश के हर व्यक्ति को मिल रहा 652 ग्राम दूध
मध्य प्रदेश में दूध से ज्यादा अंडा-मांस का उत्पादन हो रहा है। जबकि राज्य सरकार दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चला रही है। आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल के मुकाबले दूध के उत्पादन में 5.98 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मगर, अंडे और मांस का उत्पादन दूध से ज्यादा हुआ है। मांस का उत्पादन 9.57 फीसदी और और अंडे का उत्पादन 9.65 फीसदी हुआ है। अंडे खाने वालों की संख्या भी पिछले साल के मुकाबले 7.5फीसदी बढ़ी है। वहीं दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 652 ग्राम है।

प्राथमिक क्षेत्र का अधिक योगदान
2024-25 में प्राथमिक क्षेत्र का जीएसडीपी में 44.36% योगदान रहा। द्वितीयक क्षेत्र का योगदान 19.03% और तृतीयक क्षेत्र का 36.61% रहा। इस प्रगति के बावजूद, राज्य की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से कम है। सर्वेक्षण में औद्योगिक निवेश में तेजी का भी जिक्र है। दिसंबर 2024 तक 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रस्तावों को मंजूरी मिली है।

चार लाख नौकरियों की संभावना
वहीं, इनसे 4 लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। पूंजी निवेश और औद्योगिक गतिविधियों से राज्य के विकास को और गति मिलेगी। हालांकि, जीएसडीपी में उद्योग क्षेत्र का हिस्सा 19.36% से घटकर 19.03% हो गया है। कृषि क्षेत्र का योगदान भी 31.10% से घटकर 30.90% रह गया है।

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