राहुल गांधी अपनी जुबान की हद की लंबाई को नहीं नाप सके और आज खुद ही नप गए। ‘मोदी’ सरनेम को लेकर चार साल पहले की गयी टिप्पणी के चलते आज गांधी कोर्ट के सामने लाचार हो गए। उन्होंने दलील दी कि वह केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे थे, लेकिन उनकी दाल नहीं गली। सूरत के सत्र न्यायालय ने कांग्रेस सांसद को दो साल की सजा सुनाई है। आप बेशक कह सकते हैं कि गांधी को जमानत भी मिल गयी है, लेकिन ऐसा होने से पहले का यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष को अदालत ने दोषी मान लिया है।
अब कांग्रेस की खलबली देखते ही बन रही है। पार्टी ट्वीट कर कह रही है, ‘गांधी डरते नहीं हैं।’ यह बात और कि पूर्व में ऐसी ही सजा के डर से इन्हीं गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ वाले वाक्य के लिए कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी थी। यह सजा का खौफ ही तो है कि नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल अपनी माताजी सोनिया गांधी के साथ जमानत का सहारा लेकर जेल जाने से बचने में सफल रहे।
सनातनी परंपरा में विश्वास किया जाता है कि आप जो बोलते हैं, वह किसी न किसी रूप में आपके साथ की घटना का हिस्सा बन जाता है। पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा था, ‘जो जैसा सोचता और कहता है, वह वैसा ही बन जाता है।’ राहुल ने हाल ही में कहा था कि वह दुर्भाग्य से सांसद हैं। देखिए आज के फैसले के साथ ही उनका यह ‘दुर्भाग्य’ दूर होने की तस्वीर भी बनती दिखने लगी है। क्योंकि इस सजा के बाद राहुल की सांसदी छिन जाने के पूरे आसार जताए जा रहे हैं। हिंदुत्व के विरोध में कांग्रेस के जो लोग खुद को सनातनी बताते हैं, उनके लिए इस घटनाक्रम के बाद सनातन परंपरा के प्रति विश्वास में निश्चित ही और वृद्धि हुई होगी। पता नहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस मामले में खुद को क्या मानते हैं। वरना तो वह भी कई बार कह चुके हैं कि उन्हें किसी भी समय जेल भेजा जा सकता है। यदि केजरीवाल भी कांग्रेस के चरित्र वाले ही हिंदू हैं तो राहुल की दशा के बाद वे भी अपनी भावी दुर्दशा को लेकर निश्चित ही असहज महसूस कर रहे होंगे। तभी तो गांधी की सजा का ऐलान होते ही केजरीवाल ने दन्न से कह दिया कि वह इस फैसले से असहमत हैं।
सच कहें तो आज का निर्णय समूची कांग्रेस के लिए चिंता और चिंतन वाला विषय होना चाहिए। बात केवल यह नहीं कि राहुल के सिर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को महात्मा गांधी का हत्यारा बताने वाले मामले की भी तलवार लटक रही है। यह भी कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कथित तौर पर ज्यादती से पीड़ित युवतियों से मुलाक़ात वाले दावे के बाद पुलिस गांधी के चक्कर काट रही है। बात यह भी कि ‘ज़ुबानी बवासीर’ वाले ऐसे उदाहरण राहुल के चरित्र का हिस्सा बन गए हैं और इसके चलते वह आम लोगों के बीच गंभीरता के लिहाज से अपनी विश्वसनीयता से तेजी से दूर होते चले जा रहे हैं। स्थिति यह है कि राहुल कुछ भी बोल कर इधर-उधर हो लेते हैं और फिर कांग्रेस के प्रवक्ताओं की फ़ौज उनका बचाव करने के लिए इधर से उधर मीडिया हाउस के चक्कर लगाने को मजबूर हो जाती है। इस धैर्य और परिश्रम के लिए इन प्रवक्ताओं के साथ सभी की पूरी सहानुभूति है।
उम्मीद की जाना चाहिए कि आज के घटनाक्रम के बाद सीखचों के मुहाने तक पहुंचे राहुल गांधी भविष्य के लिए कुछ सजग और सबक वाली मुद्रा में नजर आएँगे। वरना तो पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का एक बार पुनः श्रद्धा स्मरण किया जा सकता है, क्योंकि ‘उन्होंने यह भी लिखा था, ‘विद्वान बोलने से पहले सोचता है और मूर्ख बोलता पहले तथा सोचता बाद में है।’ अब ये आप ही तय कीजिए कि इस वाक्य में राहुल को किस जगह विराजित किया जाना उचित होगा।