पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ (State Congress President Kamal Nath) एक बार फिर आक्रामक हो गए दिख रहे हैं। कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग (Backward Classes) से संबंधित सम्मलेन में नाथ ने राज्य के अफसरों State officers() को चेताया कि वे जेब में बीजेपी का बिल्ला (BJP Badge) रखकर काम न करें। वरना आगामी चुनाव के बाद इन सभी से इसका हिसाब लिया जाएगा। इस सम्मेलन में कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग के अन्य नेताओं सहित अरुण यादव (Arun Yadav) भी शामिल हुए। नाथ जब आयोजन स्थल से चले गए, तब यादव ने कहा कि पार्टी को विभिन्न जातियों की आबादी के आधार पर सत्ता में उनकी भागीदारी तय करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी याद दिला दिया कि राज्य में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 53 प्रतिशत है। पार्टी के पिछड़ा वर्ग के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैप्टन अजय सिंह यादव (National President Captain Ajay Singh Yadav) ने भी अरुण यादव की इस बात का समर्थन किया। फिर एक बात और हुई। कैप्टन यादव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) को ‘फर्जी ओबीसी’ (‘Fake OBC’) करार दिया और शायद यह मान कर खुश हो गए कि उनके इस एक कथन ने राज्य सरकार को कांग्रेस की तरफ से करारा जवाब दे दिया है।
या तो नाथ को आयोजन के बीच ही दिल्ली जाने की जल्दी थी या फिर वह पूरी तैयारी के साथ यहां नहीं आये थे। वरना वह यह भी कहते कि भाजपा का बिल्ला जेब में रखकर घूमने वाले कांग्रेसी भी हिसाब देने को तैयार रहें। सारे देश में सियासी पतझड़ का मौसम है और इसने कांग्रेस की हरियाली को ही सर्वाधिक बुरी तरह से प्रभावित किया है। फिर शिवराज ने तो चौथी पारी के पहले से लेकर कुछ समय पहले तक इस पतझड़ का वो चक्र चलाया कि कांग्रेस छोड़कर BJP में आने वालों की झड़ी ही लग गयी थी। इसी चक्र के और गति पकड़ने की आशंका निश्चित ही नाथ को अब भी सताती होगी।
आशंका तो अरुण यादव को भी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर सता रही है। अंदरखाने की खबर बताती है कि नाथ के चलते यादव के राज्यसभा (Rajya Sabha) में जाने का रास्ता निरापद नहीं है। इसीलिए उन्होंने आबादी के आधार पर सत्ता में स्थान सुरक्षित होने का मुद्दा उठाया है। यह बात कर है कि इसका कोई खास असर (यादव के हित में) होने की उम्मीद नहीं है। वजह यह कि अरुण यादव Congress में लंबे समय तक पर्याप्त सम्मान एवं अवसर मिलने के बाद भी स्वयं को ओबीसी वर्ग (OBC Category) का जनाधार वाला नेता साबित नहीं कर सके। इसलिए कांग्रेस के एक नेता का यह कथन असहमति के लायक नहीं लगा कि, ‘अरुण जी ने बात सही कहीं, लेकिन यही बात उनके पिता सुभाष भाई (दिवंगत सुभाष यादव (Late Subhash Yadav)) ने कही होती तो अब तक कांग्रेस के स्तर पर भोपाल की बड़ी झील से लेकर दिल्ली की यमुना तक की लहरों में आग लग गयी होती।’ इसीलिए कैप्टन अजय यादव की संगत मिलने के बाद भी अरुण यादव के इस सियासी राग को लेकर महफिल जमने जैसा मामला बनता नहीं दिख रहा है। लहरों में आग लगे न लगे, लेकिन यदि दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने यादव के बयान पर कोई प्रतिक्रिया दी तो मामला शांत पानी में पत्थर की हलचल जैसा जरूर हो सकता है।
वैसे इस मसले को उठाकर अरुण यादव ने भाजपा के लिए और अधिक सुविधा का प्रबंध कर दिया है। चौथी पारी में शिवराज ने ओबीसी वर्ग को आरक्षण का मुद्दा पूरी ताकत से उठाया है। जहां भाजपा सरकार इस वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण (27% reservation) देने की कोशिश का श्रेय लेने में कहीं भी नहीं चूक रही, वहीं वह इस बात को लेकर भी कांग्रेस को तगड़े तरीके से घेर रही है कि नाथ की सरकार के समय 27 प्रतिशत आरक्षण देने में अड़ंगे लगाए गए। मामले का एक पक्ष यह भी कि शिवराज सरकार (shivraj government) के तथ्य कांग्रेस के दावों पर भारी पड़ रहे हैं। क्योंकि अब तो वह दस्तावेज भी सामने आ चुका है, जिसमें नाथ सरकार के समय राज्य में ओबीसी वर्ग की आबादी को वास्तविकता से कम बताया गया था। यह जानकारी नाथ सरकार ने विधानसभा में दी थी। उस पर तीन भर्ती परीक्षाओं को छोड़कर बाकी सभी जगह 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू कर भाजपा सरकार (BJP government) ने इस रेस में कांग्रेस से बहुत अधिक बढ़त बना ली है। यादव ने भी तो एक तरह से OBC Category की उपेक्षा की बात कहकर अपनी पीड़ा का इजहार ही किया है। तो क्या ऐसा नहीं लगता कि इस वर्ग के मामले में कांग्रेस बाहर और भीतर से तेजी से घिरने लगी है? यादव का छलका दर्द क्या कांग्रेस का सिर दर्द बन जाएगा?