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मिल्कमेड पनीर का विकल्प एनालॉग, हाई प्रोटीन नहीं हाई रिस्क है

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 पंकज।

तो क्‍या मैं पनीर खाना छोड़ दूं…

उन्‍होंने बड़े अचरज से देखा।

जो प्रॉब्‍लम है, उसके अनुसार तो काफी पहले छोड़ देना चाहिए था।

और जिन्‍हें प्रॉब्‍लम नहीं है, वे तो खा सकते हैं न? सबको बहुत पसंद है।

अगर सेहतमंद रहना तो किसी को नहीं खाना चाहिए पनीर।

यह सुनते ही उन्‍हें यूं लगा जैसे किसी दूसरे ग्रह से आया कोई व्‍यक्ति बड़ी बेतुकी सी बात कर रहा है। मगर सच तो यही है।

यही आज का सच है कि अब वह फलसफा गलत साबित हो रहा है कि हाई प्रोटीन डाइट लो और इसके लिए पनीर खूब खाओ।

बात असली, नकली पनीर की नहीं है। बात तो आगे निकल चुकी है। अब सोचना चाहिए कि जो पनीर खा रहे हैं वह वास्‍तव में पनीर है या पनीर एनालॉग। दोनों को सरकारी मान्‍यता है। बस एक सेहत के लिए कम नुकसानदेह है (आयुर्वेद में पनीर मान्‍य नहीं है) और दूसरा हर पैथी के अनुसार नुकसानदेह।

पनीर एनालॉग क्‍या है? यह मैथेमेटिक्‍स की टर्म नहीं है।

पनीर दूध से बना होता है और पनीर एनालॉग दूध से नहीं बना होता। फिर यह किससे बना होता है?

पनीर एनालॉग दूध से बने पनीर का एक विकल्प है। पनीर एनालॉग बनाने के लिए वनस्पति तेल, स्टार्च, दूध के ठोस पदार्थ और कभी-कभी एडिटिव्स शामिल होते हैं ताकि इसे असली पनीर जैसा ही स्वादिष्ट बनाया जा सके। इसमें वनस्पति तेल, जैसे- पाम ऑयल या सोयाबीन का तेल, स्टार्च, जैसे- आलू या कॉर्न तथा सोया प्रोटीन का भी उपयोग करते हैं। इस पनीर में पोषण की मात्रा भी कम होती है। और इसकी सामग्री की वजह से कीमत भी दूध वाले पनीर से आधी होती है। रूप, रंग, प्रकार भी अलग होता है लेकिन ग्रेवी के साथ मिल कर यह अंतर भी कम हो जाता है।

जिस तरह से पनीर की मांग बढ़ रही है, और नकली पनीर (सिथेंटिक दूध से बना) खपाया जा रहा है तो यह जरूरी था कि सरकार अन्‍य विकल्‍पों को मान्‍यता दे। तो पनीर एनालॉग को मान्‍यता दे दी गई। इस शर्त के साथ कि विक्रेता को स्‍पष्‍ट रूप से बताना होगा कि उक्‍त पनीर दूध से बना नहीं है। लेकिन ऐसी सूचना दे भी दी जाए तो इन पर ध्‍यान कौन देता है?

इसलिए बाजार में धड़ल्‍ले से पनीर एनालॉग बिक रहा है।

वैसे आपको बता दूं कि पनीर एनालॉग में क्‍या होता है:

हाई ट्रांस फैट- कई एनालॉग पनीर हाइड्रोजनेटेड वनस्पति तेलों का उपयोग करके बनाए जाते हैं, जिनमें ट्रांस फैट होते हैं। ये फैट हृदय रोग, मोटापे और सूजन के जोखिम को बढ़ाते हैं। ट्रांस फैट का नियमित सेवन खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर (LDL) को बढ़ा सकता है जबकि अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को कम कर सकता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

लो न्यूट्रिशन- शुद्ध पनीर प्रोटीन, कैल्शियम और हेल्दी फैट्स से भरपूर होता है, जो मांसपेशियों और हड्डियों के लिए जरूरी होता है। वहीं, एनालॉग पनीर में अक्सर ये पोषक तत्व कम होते हैं। वनस्पति तेलों और स्टार्च के उपयोग से इसकी प्रोटीन वैल्यू और अन्य लाभकारी पोषक तत्व भी कम हो जाते हैं।

पाचन समस्याएं- एनालॉग पनीर में इस्तेमाल किए जाने वाले इमल्सीफायर, स्टेबलाइजर और प्रिजर्वेटिव पाचन संबंधी परेशानियां पैदा कर सकते हैं, खासकर पेट की बीमारी से परेशान लोगों के लिए ये चीजें सूजन, गैस और कुछ मामलों में एलर्जी का कारण बन सकती हैं।

अब आप सवाल कर सकते हैं कि जब पाम ऑयल के सेहत को लेकर ज्ञात नुकसान है तो फिर सरकार अनुमति क्‍यों दे रही है? इस सवाल का जवाब जानने के पहले अपने आसपास मौजूद रेडी टू ईट सामग्री का पैकेट देख लीजिए। पाम ऑयल हर जगह दिखाई दे जाएगा। मगर जब ग्राहक इन सूचनाओं, अपनी सेहत को लेकर इतना नादान है तो सरकार को क्‍या पड़ी है? वह तो मांग और पूर्ति को देखेगी। आपके लिए वह इतना कर सकती है कि कैंसर के इलाज के लिए अस्‍पतालों की संख्या बढ़ा दे और इलाज की लागत में छूट दे दे।

भव्य अस्‍पतालों के खुलने पर चिंता की जगह अगर आप तालियां बजा रहे हैं तो पनीर खूब खाइए। जल्‍द इन अस्‍पतालों के उपयोग का नंबर भी आ जाएगा।

बात बुरी है लेकिन सही वक्‍त पर कह, सुन ली जाए तो बुरी बात भी सबक होती है।

अब बताइए, खाएंगे पनीर?

घर का बना खाएंगे?

इस पर फिर कभी बात करेंगे लेकिन अभी इतना जान लीजिए यह भी उसी रास्‍ते ले जा सकता है जिस रास्‍ते पनीर एनालॉग ले जा सकता है।

वेलनेस ईको के फेसबुक पेज से

 

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