मुंबई। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और एनसीपी (एसपी) चीफ शरद पवार दिल्ली के कार्यक्रम में एक मंच पर दिखाई दिए थे। जिसको लेकर सियासत गरमा गई थी। शिवसेना यूबीटी ने पवार पर तंज कसा था। इस बीच राज्य की राजनीति से जुड़ी एक और बड़ी खबर सामने आई है। खबर भी चौंकाने वाली है। दरअसल भाजपा को लेकर शिवसेना यूबीटी सुर बदल गए हैं। इतना ही पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने मुखपत्र सामना में महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस की जमकर तारीफ की है।
संजय राउत ने ‘फिक्सर’ को मंत्रियों का ओएसडी या पीएस नहीं बनने देने के लिए सीएम फडणवीस की तारीफ की है। राउत ने कहा, जिन लोगों को पदों के लिए नजरअंदाज किया गया, उनमें से अधिकांश शिवसेना (शिंदे) के मंत्री थे। राउत ने मुखपत्र सामना में लिखा कि एकनाथ शिंदे का पैसे जमा करने वाला मुख्य व्यक्ति 10 हजार करोड़ लेकर दुबई भाग गया। क्योंकि फडनवीस ने राज्य में गलत काम करने वालों को साफ करने का फैसला लिया है। शिंदे के सीएम रहने के दौरान हुए काले कारनामों को खत्म करने का पवित्र कार्य शुरू हो गया है।
मंत्रियों से अधिकार छीनकर उचित कदम उठाया
सामना में आगे लिखा कि सीएम फडणवीस ने मंत्रियों ने उनके ओएसडी और पीएस नियुक्त करने का अधिकार छीनकर उचित कदम उठाया है। डिसिप्लिन लाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। सीएम फडणवीस ने जो काम हाथ में लिया है वह आसान नहीं है। क्योंकि फसल पर का दाढ़ी वाला दीमक कह रहा है- मुझे हल्के में मत लो। फिक्सरों के मारे सिक्सर को रोकना ही होगा।
‘फिक्सर’ के नामों को मंजूरी नहीं
यहां पर बता दें कि फडणवीस ने सोमवार को कहा, हमने पीएस या ओएसडी के रूप में नियुक्ति के लिए कैबिनेट मंत्रियों द्वारा भेजे गए 125 नामों में से 109 को मंजूरी दे दी, लेकिन अन्य को मंजूरी नहीं दी क्योंकि वे या तो पूछताछ का सामना कर रहे हैं या फिक्सर के रूप में जाने जाते हैं। फडणवीस ने कहा, शेष (16) के नामों को मंजूरी नहीं देने के पीछे या तो उन अधिकारियों के खिलाफ कोई जांच चल रही है या उन्हें प्रशासनिक हलकों में फिक्सर के रूप में जाना जाता है।
3 सालों में भ्रष्टाचार का गटर बहता रहा
राउत ने सामना में लिखा कि देवेंद्र फडणवीस ने शासन में अनुशासन लाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। पिछले 3 सालों में भ्रष्टाचार का गटर बहता रहा। जिसके चलते महाराष्ट्र जैसे राज्य की राजनीति सड़ गई। आर्थिक अनुशासनहीनता चरम पर पहुंच गई। विधायकों, सांसदों, नगरसेवकों, सच्चे शिवसेना पदाधिकारियों को खरीदने और फिर पालने के लिए आवश्यक धन सड़कों, निर्माण ठेकेदारों, एमएमआरडीए, एमएमआरडीसी, एमएएचडीए, एसआरए, शहरी विकास विभाग को लूटकर इकट्ठा किया गया।
शिंदे पर निशाना साधते राउत ने लिखा कि कई लोगों ने लूटे गए पैसे उनकी जेब में आ जाएं इसी उद्देश से दल बदला। धन का यह प्रवाह कहां से आया? यह धन फर्जी टेंडर्स, फर्जी कार्यों, धन आवंटन में कमीशन, लैंड स्कैम, गृहनिर्माण में दलाली जैसे ‘आशर’ तरीकों से जुटाया गया। ताजा खबर है कि शिंदे के मुख्य कलेक्टर (आशर प्रा। लिमिटेड) दस हजार करोड़ रुपए लेकर दुबई भाग गए। अगर शिंदे और उनके लोगों की हालत पतली नहीं हो तो आश्चर्य है।