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दत्तोपंत ठेंगड़ी संस्थान के नए भवन का भूमि-पूजन, सीएम बोले- आशा भरी नजरों से दुनिया देख रही भारत की ओर

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भोपाल। मुख्यमंत्री मोहन यादव सोमवार को दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के नवीन भवन के भूमि-पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए। सीएम ने दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान की वार्षिक स्मारिका ‘संकेत रेखा’ का विमोचन किया। इसके साथ ही संस्थान द्वारा दिनांक 01 से 03 मार्च 2025 तक आयोजित नेशनल रिसर्चर्स मीट के पोस्टर का भी विमोचन किया। कार्यक्रम में विचारक एवं लेखक सुरेश सोनी और उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार भी मौजूद थे। सीएम ने कहा कि बसंत पंचमी के अवसर पर ज्ञान की देवी मां सरस्वती के पूजन के साथ हुआ दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान का भूमि-पूजन ज्ञान की ऊर्जा और सामर्थ्य का उपयोग समाज हित में करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि ऋषि स्वरूप व्यक्तित्व के दत्तोपंत ठेंगड़ी ने दीपक के समान स्वयं जलकर विचारों का प्रकाश समाज को प्रदान किया। कृषि, श्रमिकों की स्थिति और स्वदेशी के क्षेत्र में उनका विचार उज्जवल नक्षत्र के समान हैं, जो समाज को निरंतर मार्गदर्शन प्रदान करते रहेंगे। विद्यार्थी परिषद के संस्थापक सदस्य के रूप में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। वे हिंदुत्व को राष्ट्रीयता से आगे विश्व बंधुत्व के रूप में देखते थे।

शोध के क्षेत्र में समाज को भी योगदान देना होगा
सीएम ने कहा कि ठेंगड़ी का मानना था कि चराचर जगत में हिंदुत्व के विचार का विस्तार मनुष्य, समाज, राष्ट्र और मानवता तक है। वर्तमान समय में उनके विचार अधिक समसामयिक हो जाते हैं, सम्पूर्ण विश्व विभिन्न समस्याओं में मार्गदर्शन और उनके समाधान के लिए भारत की ओर आशा की दृष्टि से देख रहा है। भारत अपनी यह भूमिका प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा के आधार पर ही निभा सकता है। इस परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परम्परा के विभिन्न आयामों पर शोध की आवश्यकता अधिक बढ़ जाती है, शोध के क्षेत्र में शासन के साथ-साथ समाज को भी योगदान देना होगा।

ज्ञान की ऊर्जा और सामर्थ्य का उपयोग समाज हित में करना जरूरी
सीएम ने आगे कहा कि ऐतिहासिक रूप से भारत में विद्यमान गुरूकुल और विश्वविद्यालय भारतीय समाज के ज्ञान सामर्थ्य को अभिव्यक्त करते हैं। जीवन के प्रत्येक पल का उपयोग व्यक्ति समाज हित में कर पाए, यही भारतीय संस्कृति के अनुसार, जीते जी मोक्ष प्राप्ति की भावना है। भारतीय विचार, व्यक्ति को संघर्ष के स्थान पर प्रेम और बंधुत्व के लिए प्रेरित करते हैं। जनजातीय समाज सहित भारतीयता के विभिन्न पहलुओं पर समग्रता में शोध के लिए दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान जैसी पहल की अत्यधिक आवश्यकता है। सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लागू नई शिक्षा नीति पुस्तकीय ज्ञान के स्थान पर व्यवहारिक अनुभूति को अधिक महत्व देती है। इसका उपयोग करते हुए मानवता के हित और लाभ सुनिश्चित करने वाले शोध की ओर अग्रसर होना होगा।

भारतीय दृष्टिकोण को विकसित करने भारतीयता को समझने की जरूरत
विचारक सुरेश सोनी ने कहा कि दत्तोपंत ठेंगड़ी जी भारतीय ऋषि प्रज्ञा की अभिव्यक्ति थे। जीवन के सभी क्षेत्रों में भारतीय दर्शन को केन्द्र में रखना उनकी विशेषता थी। व्यक्तिगत जीवन से लेकर विश्व शांति के विषय उनके विचारों की परिधि में थे। विस्मरण और सही जानकारियां न होना भारतीय अकादमिक जगत की समस्या है। मैकाले की शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आत्मकेन्द्रितता, भोगवाद जैसे जीवन मूल्यों के स्थान पर त्याग, संयम, समर्पण जैसे भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना और भारतीय दृष्टिकोण को विकसित करना भारतीयता को समझने के लिए आवश्यक है।

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