नई दिल्ली। पड़ोसी देश चीन भारत से सटी सीमाओं पर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। शांति समझौतों के बाद एलएसी पर कुछ न कुछ खुराफात करता ही रहता है। इसी कड़ी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने एलएसी के पास शिनजियांग मिलिट्री कमांड के तहत युद्धाभ्यास किया है। चीन सेना ने यह हरकत ऐसे समय की जब देश सेना दिवस की तैयारियों में डूबा है। चीन के इस कॉम्बैट ड्रिल में सभी इलाकों में इस्तेमाल लाए जाने वाहनों, मानवरहति सिस्टम और ड्रोन सहित सेना की उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया। चालबाज चीन की इस हरकत एक बार फिर सीमा पर माहौल को गरमा दिया है
बता दें कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर 21 अक्टूबर 2024 को एक एग्रीमेंट हुआ था। यह एग्रीमेंट 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव को कम करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम था। भारत के एनएसए अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद यह एग्रीमेंट हुआ था। हालांकि एग्रीमेंट के बावजूद भी दोनों पक्षों के बीच अनिश्चितता बनी हुई है। दोनों देश कठिन परिस्थितियों में भी बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती किए हुए हैं।
एग्रीमेंट के बाद भी दोनों देशों में अनिश्चितता
इस एग्रीमेंट के बावजूद भी दोनों पक्षों के बीच अनिश्चितता बनी हुई है। दोनों देश कठिन परिस्थितियों में भी बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती किए हुए हैं। चीन की ये ड्रिल महज ट्रेनिंग का हिस्सा नहीं है। चीन स्ट्रैटेजिक तरीके से ऐसा कर रहा है। वह विवादित क्षेत्रों में तेजी से सेना जुटा रहा है। उदाहरण के लिए एक्सोस्केलेटन के इस्तेमाल से चीनी सैनिकों को ऊंचाई वाले इलाकों में फायदा मिल रहा है और वे आसानी से सैन्याभ्यास कर पा रहे हैं।
लद्दाख में भारत को सतर्क रहने की जरूरत
ऐसे में भारत को सतर्क बने रहने और लद्दाख में सैन्य आधुनिकीकरण के प्रयासों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। भारतीय सेना भी शीतकालीन युद्धाभ्यास कर रही है, बुनियादी ढांचे को उन्नत कर रही है और चीन के किसी भी तरह के संभावित हमले मुकाबला करने के लिए अपने सर्विलांस सिस्टम क और मजबूत कर रही है। बता दें कि देपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों में गश्ती फिर से शुरू होना दोनों देशों के बीच के संबंधों में नरमी का संकेत देता है, लेकिन चीन की ओर से लगातार किए जा रहे सैन्याभ्यास से पता चलता है कि अभी स्थाई शांति का रास्ता लंबा और चुनौतियों भरा है।