नई दिल्ली। एक देश एक चुनाव से जुड़ा बिल मोदी सरकार ने आज मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को सदन के पटल पर रखा। इस बिल को नाम दिया ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024’। इस दोरान कांग्रेस और सपा समेत कई विपक्षी पार्टियों ने बिल का विरोध किया। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन बिल, बीजेपी की देश में तानाशाही लाने की कोशिश है। वहीं एनडीए की सहयोगी पार्टियों तेदेपा, जदयू और शिवसेना ने इस विधेयक का समर्थन किया। जदयू ने विधेयक को राष्ट्रहित में बताया।
बिल के लिए पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई। कुछ सांसदों की आपत्ति के बाद वोट संशोधित करने के लिए फिर पर्ची से मतदान हुआ। पक्ष में जहां 269 वोट पड़े तो विरोध में 198 डाले गए। सरकार इस बिल को पेश करने के बाद संसद की संयुक्त समिति के पास भेजने की सिफारिश करने जा रही है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सदन के नेता को अपने विचार रखने का समय मिलेगा। वहीं केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बिल जब कैबिनेट में आया था, तब प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजना चाहिए। कानून मंत्री ऐसा प्रस्ताव कर सकते हैं।
कांग्रेस बोली- बिल पर सरकार को बहुमत नहीं मिला
वहीं कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने कहा कि संसद में सरकार को विधेयक के लिए दो-तिहाई बहुमत (307) चाहिए था, लेकिन सिर्फ 263 वोट मिले। इसके विरोध में 198 वोट पड़े। ये बिल जरूरी बहुमत नहीं जुटा सका है। वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि वन नेशन, वन इलेक्शन बिल कोई चुनाव सुधार नहीं है। यह एक व्यक्ति की महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए लाया गया है। बता दें कि एक देश एक चुनाव से जुड़े विधेयक को लेकर भाजपा ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया था। वहीं, कांग्रेस ने सुबह इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और तीन लाइन की व्हिप जारी किया था।
बिल संविधान के खिलाफ: मनीष तिवारी
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ये बिल संविधान के खिलाफ है। संविधान के मूलभूत ढांचे के खिलाफ है। हम इस बिल का विरोध करते हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ये संविधान बदलने का बिल बिगुल है। सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, हम इस बिल का विरोध करेंगे। ये बिल संविधान के खिलाफ है। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने कहा, ये बिल संविधान के खिलाफ है। ये संविधान पर हमला है। चुनाव की प्रक्रिया के साथ छेड़खानी है। बीजेपी पावर सेंट्रलाइज्ड करना चाहती है। कितना कॉस्ट इफेक्टिव रहेगा, हमें ये पता नहीं है। हम इस बिल का विरोध करेंगे।
पीडीपी ने भी रुख कर दिया साफ
वहीं टीडीपी ने भी साफ कर दिया है कि वो एक राष्ट्र एक चुनाव के बिल को पूरा समर्थन करेगी। पार्टी ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है। वहीं, एसआरसीपी के सांसद पीवी मिथुन रेड्डी ने कहा, हम पहले से ही आम चुनावों के साथ-साथ राज्य चुनाव भी करा रहे हैं। हमारे पास ज्यादा मुद्दे नहीं हैं। हम बिल का समर्थन करेंगे।
देश के लिए जरूरी वन नेशन वन इलेक्शन: शिवराज
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, वन नेशन वन इलेक्शन, आज देश की आवश्यकता है। बार-बार होने वाले चुनावों से देश की प्रगति और विकास कार्य प्रभावित होते हैं। आजादी के बाद कई वर्षों तक एक साथ लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव होते रहे लेकिन कांग्रेस ने अपने स्वार्थ के लिए विधानसभाओं को भंग करना शुरू कर दिया और देश को बार-बार चुनाव कराने की प्रक्रियाओं में उलझा दिया। कांग्रेस तो संवैधानिक नियमों और प्रक्रियाओं का निरंतर उल्लंघन करती रही है।
पर्ची से मतदान होने के बाद पक्ष में वोट बढ़े
12:10 बजे केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में वन नेशन, वन इलेक्शन बिल पेश किया। विपक्षी सांसदों ने बिल का विरोध किया, जिसके बाद स्पीकर ओम बिड़ला ने बिल पेश करने को लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई। इसमें 369 सदस्यों ने वोट डाला। पक्ष में 220, विपक्ष में 149 वोट पड़े। इसके बाद विपक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई।
सीपीआई नेता डी राजा ने कहा- देश में एक चुनाव संभव नहीं
विजयवाड़ा में सीपीआई नेता डी राजा ने ने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एक राष्ट्र, एक चुनाव बिल का विरोध करती है। हमारी पार्टी ने अपने विचार कोविंद और उनकी अध्यक्षता वाली समिति को सौंपे हैं। भारत जैसे देश में, जहां कई विविधताएं हैं, एक राष्ट्र, एक चुनाव अव्यावहारिक है और बिल्कुल भी संभव नहीं है। सरकार को इस प्रस्ताव के पीछे का उद्देश्य स्पष्ट करना चाहिए।
पूर्व राष्ट्रपति बोले- ये मॉडल देश के विकास में योगदान देगा
पूर्व राष्ट्रपति और समिति के अध्यक्ष रामनाथ कोविंद ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के बारे में कहा- जिस दिन हमारी अर्थव्यवस्था 10%-11% तक बढ़ेगी, हमारा देश दुनिया की तीसरी-चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की कतार में होगा। भारतीय जनसंख्या के विकास के लिए यह मॉडल सक्षम है। अन्य पहलुओं में भी, इस मॉडल को अपनाना राष्ट्र के लिए सहायक होगा।