भोपाल। सूबे के मुखिया मोहन यादव आज राजस्थान के दौरे पर जा रहे हैं। सीएम मोहन आज जयपुर में आयोजित हो रहे पार्वती- काली सिंध- चंबल लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय अनुबंध कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा भी मौजूद रहेंगे। इन तीनों नेताओं की मौजूदगी में मप्र-राजस्थान और केन्द्र सरकार के बीच पीकेसी प्रोजेक्ट को लेकर एमओयू होगा। इस कार्यक्रम में मप्र के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट मौजूद रहेंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेई के नदी जोड़ो परियोजना की शुरूआत की थी, जो अब मृर्त रूप ले रही है। परियोजना वर्ष-2004 में मध्य प्रदेश एवं राजस्थान को सिंचाई एवं पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रस्तावित की गई थी, परंतु दोनों राज्यों के मध्य जल बंटवारे पर सहमति न बन पाने के कारण परियोजना का क्रियान्वयन नहीं हो सका। पीकेसी परियोजना से एमपी में चंबल से लेकर मालवा तक के 3150 गांवों की 6 लाख 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। एमपी के 11 जिलों- गुना, शिवपुरी, सीहोर, देवास, राजगढ़, उज्जैन, आगर-मालवा, इंदौर, शाजापुर, मंदसौर और मुरैना में पीने का पानी मिलेगा। पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की अनुमानित लागत 72 हजार करोड़ रुपए है। परियोजना से बनने वाले बांधों और जलाशयों की कुल जल भराव क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। 172 मिलियन घन मीटर पानी, ग्रामीणों के लिए पीने और उद्योगों के लिए रिजर्व रहेगा।
दोनों राज्यों के किसानों के लिए वरदान साबित होगी योजना
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश और राजस्थान को समृद्ध और किसानों को खुशहाल बनाने वाली पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के लिये त्रि-पक्षीय अनुबंध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में 17 दिसम्बर को जयपुर में होने जा रहा है। दोनों राज्यों के किसानों और नागरिकों के लिए योजना वरदान साबित होगी। इस परियोजना से किसानों को भरपूर सिंचाई के लिए पानी मिलेगा और विकास के नए द्वार खुलेंगे। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि यह प्रदेश के लिए अत्यंत सौभाग्य का विषय है। इस परियोजना से चंबल और मालवा क्षेत्र की तस्वीर एवं तकदीर बदलेगी। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र तरक्की होगी। इस परियोजना से प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्र में 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त लगभग 60 वर्ष पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर एवं वितरण-तंत्र प्रणाली के आधुनिकीकरण कार्य से भिंड, मुरैना एवं श्योपुर जिले में कृषकों की मांग अनुसार पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
5 साल में पूरा होगा काम
केंद्र सरकार के सहयोग से बनने वाली इस परियोजना का काम अगले 5 साल में पूरा कर लिया जाएगा। 75 हजार करोड़ के खर्च में से 90% केंद्र जबकि 10% एमपी और राजस्थान सरकार देंगी। इसमें बैलेंसिंग रिजर्वायर का निर्माण प्रस्तावित है। इसके साथ ही परियोजना में मध्य प्रदेश, राजस्थान के बीच मौजूदा चंबल दाईं मुख्य नहर (उफटउ) और मध्य प्रदेश क्षेत्र में उफटउ सिस्टम के अंतिम छोर तक मॉर्डनाइजेशन और रीन्यूअल के लिए प्रावधान किया गया है। इससे एमपी के श्योपुर, मुरैना, भिंड जिलों को सिंचाई और पीने के लिए पानी मिलेगा।
21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे
पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना में मध्य प्रदेश से शुरू होने वाली पार्वती, कूनो, कालीसिंध, चंबल, शिप्रा और सहायक नदियों के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा। कुल 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे। श्रीमंत माधवराव सिंधिया सिंचाई कॉम्पलेक्स में 4 बांध (कटीला, सोनपुर, पावा और धनवाड़ी), 2 बैराज (श्यामपुर, नैनागढ़), कुम्भराज कॉम्पलेक्स में 2 बांध (कुम्भराज-1 और कुम्भराज-2), रणजीत सागर, लखुंदर बैराज और ऊपरी चंबल कछार में 7 बांध (सोनचिरी, रामवासा, बचेरा, पदुनिया, सेवरखेडी, चितावद, सीकरी सुल्तानपुरा) बनेंगे। इसके अलावा गांधी सागर बांध की अपस्ट्रीम में चंबल, क्षिप्रा और गंभीर नदियों पर छोटे-छोटे बांधों का निर्माण भी प्रस्तावित है।