नई दिल्ली। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में महायुति ने जहां ऐतिहासिक जीत दर्ज की है, तो वहीं महाविकास आघाड़ी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। 288 सीटों में से जहां महायुति ने 230 सीटों पर प्रचंड जीत दर्ज की है, तो वहीं एमवीए सिर्फ 46 सीटों पर सिमट ही सिमट गई है। एमवीए अपनी शर्मनाक हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ रहा है। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी दो दिन पहले ही एमवीए के इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए बेबुनियाद करार दे दिया था। इसके बावजूद आयोग ने 1,440 वीवीपैट में पर्चियों को मिलान किया तो नतीजे 100 फीसदी सही निकले हैं। दरअसल वीवीपैट और ईवीएम के मिलान में कोई अंतर देखने को नहीं मिला है। जो एमवीए के लिए बड़ा झटका है। बता दें कि इस मामले को एमवीए सुप्रीम कोर्ट जाने की भी तैयारी कर रहा है।
महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी किरण कुलकर्णी ने बताया कि पिछले महीने हुए राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान कुल 1,440 वोटर वेरिफिएबल पेपर आॅडिट ट्रेल्स (वीवीपैट) का सत्यापन किया गया और उनके परिणाम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की गिनती से पूरी तरह मेल खाते हैं। किरण कुलकर्णी ने ईवीएम की विश्वसनीयता की पुष्टि करते हुए कहा कि वे स्टैंडअलोन डिवाइस हैं जिनमें हैकिंग की कोई संभावना नहीं है। यह दावा कुछ विपक्षी दलों द्वारा इन मशीनों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने और मतपत्रों की वापसी की मांग की पृष्ठभूमि में आया है।
मतदान केन्द्रों पर किसी भी व्यवधान को तुरंत किया गया हल
किरण कुलकर्णी ने विपक्ष के आरोपों पर निशाना साधते हुए कहा कि ईवीएम की शुरूआत ने ऐसे दावों को अप्रासंगिक बना दिया है क्योंकि मतदान केंद्रों पर किसी भी व्यवधान को तुरंत हल कर दिया गया है। वहीं कुछ ईवीएम में 99 प्रतिशत बैटरी चार्ज दिखाने और इसे संभावित छेड़छाड़ से जोड़ने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “पावर पैक के बारे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह मोबाइल बैटरी की तरह नहीं है। इसकी लाइप पांच वर्ष है और इसकी क्षमता बहुत अधिक है।” उन्होंने कहा, “निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (ईवीएम बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में से एक) जैसी कंपनियों द्वारा दी गई जानकारी के माध्यम से इन तकनीकी विवरणों को समझाया है। आप ईसीआई की वेबसाइट पर पावर पैक के बारे में उत्तर पा सकते हैं, खासकर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों को लेकर।” आईएएस अधिकारी ने कहा कि पावर पैक का उपयोग वोल्टेज पर निर्भर नहीं करता है और कोई भी इस जानकारी को तकनीकी रूप से सत्यापित कर सकता है।
हैकिंग सभव नहीं
ईवीएम के बारे में विपक्षी दलों द्वारा लगाए जा रहे छेड़छाड़ के आरोपों और उनकी विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर सवाल उठाने के बारे में पूछे जाने पर, कुलकर्णी ने उनकी चिंताओं को दूर करने की कोशिश की और कहा कि ये उपकरण छेड़छाड़-रोधी हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “ये मशीनें स्टैंडअलोन डिवाइस हैं, जिनमें कोई बाहरी कनेक्टिविटी नहीं है, जिससे हैकिंग असंभव है। ईवीएम में चिप एक बार प्रोग्राम करने योग्य है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। सख्त सुरक्षा और प्रशासनिक प्रोटोकॉल किसी भी तरह की छेड़छाड़ को रोकते हैं।”
रैंडम तरीके से ऐसे होता है मिलान
कुलकर्णी ने बताया, “चुनाव आयोग जनता और राजनीतिक दलों के साथ विश्वास बनाने के लिए वीवीपैट सत्यापन भी करता है। यह प्रक्रिया मतगणना के दौरान होती है। मतगणना के बाद, ईवीएम से सभी वोटों, कई मतदान केंद्रों से एक निश्चित संख्या में वीवीपैट की जांच की जाती है। इसके लिए चुनाव आयोग ने एक प्रक्रिया तय की है।” उन्होंने पूरी मतदान प्रक्रिया में विश्वसनीयता की पुष्टि करने की कोशिश की और कहा, “वे प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केंद्रों से पांच वीवीपैट को काउंटिंग एरिया में ले जाते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान मतगणना एजेंट, उम्मीदवार और अधिकारी जैसे लोग मौजूद रहते हैं। वीवीपैट पर्चियों को उम्मीदवार के अनुसार छांटा जाता है और प्रत्येक उम्मीदवार को मिले वोटों की गिनती की जाती है। फिर इन गणनाओं की तुलना ईवीएम में दर्ज वोटों से की जाती है।