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बिहार कोकिला पंचतत्व में विलीन: गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार, हजारों ने नम आंखों से दी विदाई

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पटना। बिहार कोकिला के नाम से मशहूर रहीं शारदा सिन्हा छठ पर्व के तीसरे दिन यानि आज गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गई हैं। गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। बेटे अंशुमान सिन्हा ने अपनी मां को मुखाग्नि दी। वहीं शारदा की अंतिम यात्रा में उमड़ी हजारों की भीड़ ने उन्हें नम आखों से विदाई दी। घाट पर ‘शारदा सिन्हा अमर रहे’ के साथ-साथ छठी मईया के जयकारे भी गूंजते रहे। यहीं नहीं अंतिम यात्रा में बिहार कोकिला का गाया आखिरी छठ गीत भी बजाया गया।

अंतिम यात्रा के दौरान बेटे अंशुमान ने मां की अर्थी को कंधा दिया। उनके साथ भाजपा के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव और विधायक संजीव चौरसिया ने शारदा सिन्हा की अर्थी को कांधा दिया। बता दें कि 5 नवंबर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में सिंगर ने अंतिम सांस ली थी। इसके बाद बुधवार को दिल्ली से उनके पार्थिव शरीर को पटना लाया गया था। जहां आज उन्हें गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। सुबह करीब 9 बजे पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास से उनकी अंतिम यात्रा निकली, जो गुलबी घाट पहुंची। बड़ी संख्या में शारदा सिन्हा के प्रशंसक भी शामिल हुए हैं। वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा गुरुवार शाम शारदा सिन्हा के राजेन्द्र नगर स्थित घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे।

गुलबी घाट पर ही दाह संस्कार की अंतिम इच्छा थी
22 सितंबर को लोकगायिका शारदा सिन्हा के पति ब्रज किशोर सिन्हा का निधन हुआ था। उनका अंतिम संस्कार गुलबी घाट पर ही किया गया था। बेटे अंशुमान सिन्हा ने बताया कि पिताजी के जाने के बाद मां का मनोबल पूरी तरह टूट चुका था। उन्होंने एक दिन बात ही बात में कहा कि मुझे भी गुलबी घाट में ही अंतिम विदाई दी जाए। इसलिए मां की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए गुलबी घाट पर ही दाह संस्कार किया जाएगा।

छठ गीत गाकर मिला था फेम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत फिल्म और म्यजिक जगत से जुड़े लोगों ने शारदा के निधन को सबसे बड़ी क्षति बताया है। भोजपुरी स्टार्स ने भी शारदा के निधन पर शोक जताया। उनके छठ गीतों के बिना ये पर्व हमेशा ही अधूरा माना गया है। शारदा ने अपने पूरे करियर में 9 एल्बम में 62 छठ गीत गाए थे। छठ पर्व के बीच शारदा का दुनिया छोड़ जाना फैंस को बड़ा झटका दे गया है। सिंगर ने भले ही दुनिया छोड़ दी, लेकिन अपने गानों की विरासत फैंस को देकर वो हमेशा के लिए अमर हो गई हैं। बिहार के सुपौल जिले में 1 अक्टूबर, 1952 का जन्मीं शारदा ने करियर मैथिली गानों से शुरू किया था। उन्होंने भोजपुरी, मैथिली, हिंदी, मगही भाषा में गाने गाए थे। सलमान खान की मूवी ‘हम आपके हैं कौन’ का विदाई सॉन्ग ‘बाबुल’ उन्होंने गाया था। मूवी ‘मैंने प्यार किया’ में उन्होंने सॉन्ग ‘कहे तोसे सजना’ गाकर दिल जीता था। संगीत जगत में अपने योगदान के लिए शारदा को 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

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