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महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता की सीढ़ी तक ऐसे पहुंचाएगा संघ, वोटरों को जारुक करने तीन लाख से अधिक बैठकें करेगा आयोजित

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नई दिल्ली। महाराष्ट्र में भगवा लहराने के लिए भाजपा के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने कमर कस ली है। यही नहीं संघ ने महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचाने के लिए हरियाणा वाली रणनीति अपनाएगा। सूत्रों की मानें तो संघ ने हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी सघन जनसंपर्क कार्यक्रम आयोजित करने की रणनीति तैयार की है। सूत्रों की मानें तो संघ पूरे महाराष्ट्र में तीन लाख से अधिक बैठकें करने की योजना बनाई है। इसके अलावा आरएसएस ने संविधान पर कांग्रेस के नैरेटिव का भी जवाब देने की रजणनीति तैयार की है। बता दें कि महाराष्ट्र की 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे आएंगे।

सूत्रों के अनुसार संघ राज्य के मतदाताओं को जागरुक करने के लिए राज्य भर में 300,000 से अधिक छोटी बैठकें आयोजित करने वाला है। इस रणनीतिक बदलाव के तहत आरएसएस एक सुव्यवस्थित मशीनरी के रूप में काम करेगा, जो जनमत को प्रभावित करने और चुनावी परिदृश्य को आकार देने के लिए अपने विशाल नेटवर्क का लाभ उठाएगा। पिछले चुनावों में जहां आरएसएस ने मुख्य रूप से मतदाता जागरूकता पर ध्यान केंद्रित किया था वहीं इस बार इसके उलट कार्यक्रमों को रिजल्ट में तब्दील करने के लिए अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपना रहा है। सूत्रों ने बताया कि आरएसएस अपने अभियान के हिस्से के रूप में तीन बड़े कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है। ‘

1-संविधान सम्मान: कांग्रेस के ‘संविधान बचाओ’ अभियान का जवाब?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) “संविधान सम्मान” नामक एक विशाल अभियान शुरू करने जा रहा है। इसे कांग्रेस पार्टी के “संविधान बचाओ” अभियान के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। आरएसएस के इस अभियान का उद्देश्य यह उजागर करना है कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने कथित तौर पर बार-बार संविधान का अपमान किया है, साथ ही समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के खिलाफ जाकर बाधाए भी पैदा की हैं।

आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कांग्रेस पार्टी की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब आप संविधान के मूल के खिलाफ जा रहे हैं तो आप संविधान को बचाने की बात कैसे कर सकते हैं?” पदाधिकारी ने इस बात पर भी निराशा व्यक्त की कि कांग्रेस पार्टी ने अपने 70 साल के शासन के दौरान भारतीय संविधान के निमार्ता बाबा साहेब अंबेडकर की शिक्षाओं का कभी सम्मान नहीं किया। पदाधिकारी ने कहा, “बाबा साहेब अंबेडकर के खिलाफ साजिश रचने वाले और उनकी शिक्षाओं के खिलाफ जाने वाले लोग यह दावा नहीं कर सकते कि वे भारत के संविधान का सम्मान करते हैं। बहुत से लोग नहीं जानते कि आज भी आरएसएस की सुबह की प्रार्थना में बाबा साहेब अंबेडकर का नाम होता है।”

2- लोकमत परिष्कर
यह लोकतंत्र को मजबूत करने पर केंद्रित एक अभियान होगा। इसमें आरएसएस द्वारा उम्मीदवारों के अच्छे और बुरे पहलुओं को उजागर किया जाएगा और विभिन्न राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों पर चर्चा की जाएगी।

3- सजग बनो
‘सजग बनो’ एक बैठकों की एक सीरीज है, जिसमें आरएसएस लोगों से वोट डालने से पहले सावधानी से सोचने का आग्रह करेगा, लोकतंत्र की पवित्रता बनाए रखने के महत्व पर जोर देगा। हरियाणा में अपनी सफलता को दोहराने के लिए, आरएसएस ने महाराष्ट्र में अपने स्वयंसेवकों के माध्यम से 50,000 से अधिक छोटी बैठकें और जनसंपर्क प्रयास शुरू कर दिए हैं। अभियान की सफलता आरएसएस की भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन, महायुति के पक्ष में जनमत करने और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के सत्ता हासिल करने के प्रयासों का मुकाबला करने की क्षमता पर निर्भर करेगी।

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