नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। अगर वह अपने ऐलान पर अडिग रहे तो कल 17 सितंबर को पद से इस्तीफा दे देंगे। केजरीवाल के इस कदम से दिल्ली की सियासत में उबाल गा गया है। सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर हो रही है आम आदमी पार्टी दिल्ली की कमान किसी सौंपेंगी। हालांकि सीएम पद की रेस में कई नाम बताए जा रहे हैं। इसमें मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज और अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले कुलदीप कुमार का नाम सबसे ऊपर है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो आप कुलदीप यादव पर दांव खेल सकती है। आप अगर इस रणनीति पर आगे बढ़ती है तो पार्टी को हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में फायदा मिलने की भी उम्मीद है। इसके अलावा पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ा फायदा मिल सकता है। सूत्रों की मानें तो शीर्ष नेतृत्व ने अभी अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं। अगले दो दिन में आप संभावित विकल्पों में से सबसे बेहतर का चुनाव करेगी।
बता दें कि जेल से जमानत पर बाहर आए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। साथ उन्होंने यह भी कहा है कि मनीष सिसोदिया भी कोई पद नहीं लेंगे और विधायक दो दिन में अपना नया मुख्यमंत्री चुनेंगे। सूत्रों का कहना है कि नया सीएम बनने से नेताओं के भीतर खींचतान हो सकती है। इसे रोकने के लिए दो दिन में पार्टी नेतृत्व अपने नेताओं से सहमति बनाएगा। हालांकि, मंत्री आतिशी ने कहा कि सोमवार को भी छुट्टी है। ऐसे में मुख्यमंत्री मंगलवार इस्तीफा देंगे।
आतिशी पर केजरीवाल को बहुत भरोसा
सूत्रों की माने तो आतिशी पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भरोसा करते हैं। उनके पास सरकार में रहने का अनुभव भी है। तिहाड़ जेल में जाने के बाद दिल्ली सरकार से जुड़े सभी फीडबैक भी केजरीवाल ने आतिशी से लिया था। साथ ही 15 अगस्त पर तिरंगा फहराने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हीं का नाम आगे किया था। रविवार अपने भाषण में भी केजरीवाल ने जिक्र किया कि तिरंगा फहराने के लिए जेल से लिखी गई इकलौती चिट्ठी उपराज्यपाल तक नहीं पहुंच सकी। दूसरी तरफ दिल्ली की महिलाओं को हर माह एक हजार रुपये देने की महिला सम्मान योजना को भी मंत्री आतिशी ही देख रही हैं। संभव है कि नई सरकार बनने के बाद पहला फैसला इस योजना को लागू करने का हो। ऐसे में मुख्यमंत्री की नजर में आतिशी भी एक प्रमुख दावेदार हो सकती हैं। इसके अलावा सौरभ भारद्वाज का नाम भी चर्चा में है।
एक भी मुख्यमंत्री एससी से नहीं
दिल्ली में 1952 से अभी तक सात मुख्यमंत्री बन चुके हैं। पहले मुख्यमंत्री ब्रम्ह प्रकाश यादव समुदाय से आते थे। दूसरे मुख्यमंत्री गुरमुख निहाल सिंह सिख समुदाय से थे। उसके बाद 1993 में मदन लाल मुख्यमंत्री बने पंजाबी थे। फिर साहिब सिंह वर्मा, सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने। इनमें से कोई एससी चेहरा नहीं था। लोकसभा चुनावों में आप ने एससी कार्ड खेला भी था। पूर्वी दिल्ली की सामान्य सीट से अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले आप विधायक कुलदीप कुमार पर दांव चला था। वह अरविंद केजरीवाल के भरोसेमंद होने के साथ वाल्मीकि समुदाय से आते हैं। ऐसे में उनके चेहरे पर भी आप दांव लगा सकती है। वहीं, 12 आरक्षित सीटों के दूसरे 11 विधायक भी अपने स्तर पर काम कर रहे हैं।
दिल्ली में फरवरी में होगा विधानसभा चुनाव
माना जा रहा है कि दिल्ली में फरवरी में चुनाव होने हैं। ऐसे में नए मुख्यमंत्री की शासनिक से ज्यादा अहमियत सियासी होगी। अगले पांच महीने में उसको चुनावी मोड में ही काम करना होगा। इस बीच संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत आप के सभी वरिष्ठ नेता जनता के बीच होंगे। इससे नए मुख्यमंत्री के अनुभव या अनुभवहीनता का ज्यादा असर आप और उसकी सरकार की छवि पर नहीं पड़ेगा। इसमें आप को नुकसान होने का अंदेशा कम है।