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जीतू की किसान न्याय से नाथ-दिग्गी ने बनाई दूरी, मोहन के मंत्री के निशाने पर पीसीसी चीफ

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भोपाल। मध्यप्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी और महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार जैसे कई मुद्दों को लेकर सड़क पर उतर चुकी मप्र कांग्रेस अब प्रदेश के किसानों की परेशानियों को लेकर मोहन सरकार को घेरने सड़क पर उतर आई है। इतना ही नहीं, मप्र के अन्नदाताओं को न्याय दिलाने के लिए कांग्रेस ने मंगलवार से किसान न्याय यात्रा शुरू भी कर दी है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने किसान न्याय यात्रा की शुरूआत मंदसौर से की है। 20 सितंबर के बाद यह यात्रा प्रदेश के सभी जिलों में शुरू होगी।

वहीं कल बुधवार को संपूर्ण मप्र में सोयाबीन की फसल का उचित मूल्य न देने के संबंध में प्रदेश भर में युवा कांग्रेस के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता जिला कलेक्ट्रेट पर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे और ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री को वो वादा याद दिलाएंगे। जो चुनावी घोषणा पत्र में किया गया था। खास बात यह है कि पीसीसी चीफ द्वारा मंदसौर से शुरू की गई किसान न्याय यात्रा से मप्र कांग्रेस के दो दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने दूरी बना ली है। इस मुद्दे को लेकर कृषि मंत्री एंदल सिंह कंसाना ने ने जीतू पटवारी को अपने निशाने पर ले लिया है।

जीतू बुजुर्ग नेताओं का कर रहे अपमान: कंसाना
कृषि मंत्री कंसाना ने कहा कि जीतू पटवारी अपने पार्टी के बुजुर्ग नेताओं का अपमान कर रहे हैं, तो किसानों के साथ न्याय कैसे कर सकते हैं। जीतू पटवारी कांग्रेस में थर्ड फ्रंट बनाकर नेता बनना चाहते हैं लेकिन यह संभव नहीं है। केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा महाराष्ट्र में सोयाबीन फसल का एमएसपी बढ़ाए जाने के बयान पर कहा कि शिवराज सिंह चौहान ने सोयाबीन की एसपी बढ़ाने की बात कही है तो वह पूरे देश में लागू होगी। कंसाना ने कहा कि जीतू पटवारी कांग्रेस में थर्ड फ्रंट बनाकर नेता बनना चाहते हैं, लेकिन यह संभव नहीं है। कंसाना ने आगे कहा कि मध्यप्रदेश के किसान खुशहाल है। किसानों को कोई परेशानी नहीं है। कांग्रेस जबरन मुद्दा बनाने का प्रयास कर रही है। आजादी के बाद 50 साल तक केंद्र और राज्यों में कांग्रेस की सरकार रही है आखिर उन्होंने किसानों के सम्मान के लिए क्या किया कांग्रेस के नेता यह बताएं।

युकां प्रदेश अध्यक्ष बोले- भाजपा ने घोषणा पत्र झूठे वादे किए
वहीं मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मितेंद्र सिंह ने कहा है की लागत और मूल्य आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सोयाबीन के लिए लागत,आयोग द्वारा कम आंकी जाती है। जबकि भारत में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश ही सोयाबीन उत्पादन के लिए सबसे बड़े राज्य हैं। मध्य प्रदेश की सरकार बजाय किसानों की आय दोगुना करने के उनके साथ सौतेला व्यवहार करती आ रही है। मध्य प्रदेश में चुनाव जीतने के लिए प्रदेश के किसानों से भाजपा ने घोषणा पत्र में झूठ बोला कि चुनाव जीतने पर गेहूं का समर्थन मूल्य 2700 और धान का 3100 प्रति कुंतल किया जाएगा। सरकार ने ऐसा ना कर किसानों को ठगा है और अपनी कथनी और करनी में कितना अंतर है उसका परिचय दिया है। अगर मुख्यमंत्री जी ज्ञापन के माध्यम से किसानों के बारे में संज्ञान नहीं लेते हैं तो युवा कांग्रेस पूरे प्रदेश भर में उग्र आंदोलन कर किसानों के समर्थन में सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी।

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