भोपाल। राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन मंगलवार को बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह आयोजित किया। कार्यक्रम में राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री मोहन यादव शामिल हुए। समारोह में राज्यपाल और सीएम ने जहां स्वर्ण पदक विजेताओं और उपाधि प्राप्त विद्यार्थियों को सम्मानित किया। वहीं डिजिटल मार्कशीट और नि:शुल्क डिग्री वितरण प्रणाली का शुभारंभ किया। राज्यपाल ने डिजिटाइजेशन का शुभारंभ किया। बता दें कि बीयू ऐसा करने वाला देश का पहला संस्थान बना है। इस मौके पर कुछ विद्यार्थियों को डिजिटल डिग्री प्रदान भी की गई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि बीयू में नि:शुल्क डिग्री मिलेगी।
राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी को 100 करोड़ मिले हैं। मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च एंड एजुकेशन यूनिवर्सिटी के रूप में डेवलप करने के लिए पीएम उषा योजना के तहत राशि मिली है। डिग्रियां वितरण में बेटी पढ़ाओ की झलक देखने को मिली है। राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में दीक्षांत शपथ का हर दिन मनन करें, सत्य का हमेशा पालन करें। अपने माता-पिता और गुरूजनों का सम्मान करें। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा युवाओं को उनकी मौलिक प्रतिभा को निखारने का अवसर देकर विकसित भारत के निर्माण की महती जिम्मेदारी सौंपी है। शिक्षक इस दिशा में विद्यार्थियों का मार्ग दर्शन करें। स्वयं को नवीनतम ज्ञान और तकनीक से अपडेट रखें। चुनौतियों के समाधान के लिए उन्हें प्रेरित करें।
सीएम ने डिजिटल मार्कशीट और डिग्री वितरण प्रणाली को सराहा
वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय द्वारा शुरू की गई डिजिटल मार्कशीट और डिग्री वितरण प्रणाली की सराहना करते हुए इसे एक ऐतिहासिक पहल बताया। साथ ही छात्र-छात्राओं को उपाधियां नि:शुल्क रूप से प्रदान करने की घोषणा की। सीएम ने कहा कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के अध्ययन-अध्यापन से दीक्षित होने के बाद संसार से जुड़ने का महत्वपूर्ण पड़ाव है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त सभी विद्यार्थियों को बधाई और शुभकामनाएं दी। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि विद्यार्थी, भारतीय संस्कृति के अनुरूप संस्कारों का निर्वहन करते हुए जीवन पथ पर अग्रसर हों और देश के परिवेश को सकारात्मक बनाए रखने में हर संभव योगदान दें। नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा पर विशेष ध्यान दिया गया है।
भारत ने की थी अमेरिका की खोज: परमार
समारोह में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि हमें गलत पढाया गया कि वास्कोडिगामा ने भारत की खोज की। उन्होंने कहा कि पढाया यह जाना चाहिए था कि भारत ने अमेरिका की खोज की थी। 8 हजार साल पहले से हमारे पूर्वजों ने सूर्य को स्थिर माना और पृथ्वी को परिक्रमा लगाना बता दिया था। भारत का ज्ञान परंपरा के आधार पर है। मंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वज पहले से खेलों से परिचित थे। खुदाई में खेलों के मैदान मिले हैं।
डिग्री और स्वर्ण पदक विजेताओं का सम्मान
दीक्षांत समारोह में स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी के छात्रों को उपाधियां प्रदान की गईं। साथ ही विभिन्न संकायों में उच्चतम अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में 310 पीएचडी, 28 को गोल्ड मेडल, स्नातक 18892 और स्नातकोत्तर 65569 अवॉर्ड और डिग्री दी गई। राज्यपाल ने शिक्षकों से कहा कि उन्हें नवीनतम तकनीक और ज्ञान से अपडेट रहना चाहिए, ताकि वे विद्यार्थियों का सही मार्गदर्शन कर सकें। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित करना चाहिए।
100 करोड़ रुपये से यूनिवर्सिटी को उन्नयन
यूनिवर्सिटी को पीएम-ऊषा योजना के तहत 100 करोड़ रुपये की राशि शोध, अधोसंरचना विकास और तकनीकी उन्नयन के लिए प्रदान की गई है। राज्यपाल ने इस राशि का सदुपयोग कर नवीनतम शोध सुविधाओं को बेहतर बनाने पर जोर दिया। समारोह में विद्यार्थियों को तैतरेय उपनिषद के 11वें अनुच्छेद से लिए गए अंश पर आधारित शपथ दिलाई गई, जिसमें सत्य के मार्ग पर चलने और जीवन में उच्च आदर्शों को अपनाने की बात कही गई।