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करोड़ों के अवैध खनन से जुड़ा है मामला: अब ईडी के राडार पर आए सोनीपत के कांग्रेस विधायक, देर रात किया गिरफ्तार

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नई दिल्ली। भ्रष्टाचार में लिप्त माननीय केन्द्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के राडार पर है। ऐसे माननीयों पर ईडी लगातार एक्शन ले रही है। इसी कड़ी में अब ईडी ने हरियााणा में अवैध खनन मामले में बड़ा एक्शन लिया है। ईडी ने शुक्रवार-शनिवार की रात सोनीपत से कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार को अरेस्ट किया है। यही नहीं, जांच एजेंसी उनके बेटे को साथ लेकर गई है। ईडी दोनों को अंबाला के स्पेशल कोर्ट लेकर पहुंची है। बाप-बेटे से पूछताछ जारी है।

बता दें कि मामला यमुनानगर क्षेत्र में सिंडिकेट द्वारा लगभग 400-500 करोड़ रुपये के अवैध खनन से जुड़ा है। है। हरियाणा पुलिस द्वारा अवैध खनन के संबंध में पवार और अन्य के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की थी जिसके बाद पिछले साल साल ईडी ने जांच अपने हाथ में ली थी। जिसके बाद ईडी ने इसी साल जनवरी में फरीदाबाद, सोनीपत, यमुनानगर, करनाल, चंडीगढ़ और मोहाली में 20 परिसरों में छापेमारी की थी। ईडी द्वारा आईएनएलडी से पूर्व एमएलए दिलबाग सिंह, सुरेंद्र पंवार और अन्य सहयोगियों के यहां 20 जगहों पर छापे मारे गए थे। ईडी इस मामले में पहले दिलबाग सिंह और कुलविंदर सिंह को गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं अब ईडी ने सोनीपत से कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया गया है।

यह छापेमारी यमुनानगर और हरियाणा के आस-पास के जिलों में रेत, पत्थरों और बजरी के बड़े पैमाने पर अवैध खनन से जुड़े एक मामले से संबंधित था। इस अवैध खनन के काम में कथित तौर पर दिलबाग सिंह (पूर्व विधायक) और सुरेंद्र पंवार (विधायक) और उनके सहयोगी शामिल थे। ईडी ने हरियाणा पुलिस द्वारा कई एफआईआर और अवैध खनन गतिविधियों से संबंधित राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों के आधार पर अपनी जांच शुरू कर की थी। जांच में यमुनानगर जिले में विभिन्न स्क्रीनिंग प्लांट मालिकों और स्टोन क्रशर द्वारा खनिजों की अवैध खनन और बिक्री का पता चला।

ईडी की रेड में हुई थी ये बरामदगी
तलाशी अभियान के दौरान ईडी ने 5.29 करोड़ रुपये नकद, 1.89 करोड़ रुपये मूल्य का सोना, 02 वाहन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, निवेश से संबंधित दस्तावेज (घरेलू और विदेशी दोनों) और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए थे। इसके अलावा परिसर से अवैध हथियार, गोला-बारूद और अतिरिक्त शराब बरामद की गई। इसमें उचित ई-रवाना बिल न बनाने या पहचान से बचने के लिए फेक दस्तावेज बनाने जैसी चोरी की रणनीति शामिल थी।

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