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न्यू क्रिमिनल कानून: दिल्ली में रेहड़ी वाले के खिलाफ दर्ज हुआ पहला केस, एसआई ने खुद दर्ज कराया मामला

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नई दिल्ली। देशभर में आज सोमवार से तीन नए क्रिमिनल कानून लागू हो गए हैं। इसके साथ ही पुलिस ने इन कानूनों के तहत मामला भी दर्ज करना शुरू कर दिया है। पहली दिल्ली पुलिस ने की है। दिल्ली पुलिस ने रेलवे स्टेशन के फुट ब्रिज के के नीचे एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के तहत पहला मामला दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि सख्स अपनी रेहड़ी लगाकर आम रास्ते पर पानी, बिड़ी और सिगरेट पहुंच रहा था। इससे लोगों को वहां से गुजरने में परेशानी हो रही थी। यह मामला दिल्ली के कमला मार्केट इलाके का है। जानकारी के मुताबिक मुताबिक एसआई कार्तिक मीणा ने यह शिकायत दर्ज कराई है।

बताया जा रहा है कि सब इंस्पेक्टर जब क्षेत्र में पेट्रोलिंग कर रहे थे, तब वह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुट ब्रिज के पास डीलक्स शौचालय के नजदीक पहुंचे। यहां पर एक शख्स अपनी रेहड़ी लगाकर आम रास्ते पर पानी, बिड़ी और सिगरेट पहुंच रहा था। इससे लोगों को वहां से गुजरने में परेशानी हो रही थी। इसे देखते हुए एसआई ने रेहड़ी वाले को रास्ते से रेहड़ी हटाने के लिए कहा, लेकिन रेहड़ी मालिक अपनी मजबूरी बताकर वहां से चले गए। इसके बाद सब इंस्पेक्टर ने रेहड़ी वाले के खिलाफ पुलिस थाने में केस दर्ज कराया। बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 12 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक विधियकों को पेश किया था। इन विधेयकों को लोकसभा ने 20 दिसंबर, 2023 को और राज्यसभा ने 21 दिसंबर, 2023 को मंजूरी दी।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सीपी छाया शर्मा ने बताया कि पुराने मामलों को आईपीसी के तहत निपटाया जाएगा। एक जुलाई से जब नए मामले दर्ज किए जाएंगे, तो उन पर बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) की धाराएं लागू होंगी। सभी को इन धाराओं का पालन करना होगा। अब नए मामलों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धाराओं के तहत निपटाया जाएगा।

नए कानून में और क्या नियम?
नए कानून के मुताबिक एफआईआर के 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होगी। चार्जशीट दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे। इसके साथ ही मामले की सुनवाई पूरी होने के 30 दिनों के भीतर जजमेंट देना होगा। जजमेंट दिए जाने के बाद 7 दिनों के भीतर उसकी कॉपी मुहैया करानी होगी। पुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा। आॅफलाइन, आॅनलाइन भी सूचना देनी होगी। 7 साल या उससे ज्यादा सजा वाले मामले में विक्टिम को सुने बिना वापस नहीं किया जाएगा। थाने में कोई महिला सिपाही भी है तो उसके सामने पीड़िता के बयान दर्ज कर पुलिस को कानूनी कार्रवाई शुरू करनी होगी।

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बने कानून
भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। संशोधन के जरिए इसमें 20 नए अपराध शामिल किए हैं, तो 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई है। 83 अपराधों में जुमार्ने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है। राज्यसभा में विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए जाने के बाद ध्वनि मत से पारित किया गया था। इसके बाद 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून बन गए। लेकिन इनके प्रभावी होने की तारीख 1 जुलाई, 2024 रखी गई। संसद में तीनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इनमें सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस किया गया है।

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