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हाथरस में ह्रदय विदारक हादसा: सत्संग में मची भगदड़, 100 से ज्यादा लोगों की गई जान, अस्पताल में लगा शवों का अंबार

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हाथरस। उत्तरप्रदेश के हाथरस जिले में मंगलवार को दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। यहां के सिकंदराराऊ कस्बे के फुलरई गांव में सत्संग के दौरान भगदड़ मचने से अब तक करीब 130 लोगों की मौत हो गई है। हालांकि अलीगढ़ कमिश्नर ने 107 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है। वहीं भगदड़ में 150 लोगों के गंभीर घायल होने की खबर है। जिनको एटा मेटिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। मिली जानकारी के अनुसार भगदड़ में जान गंवाने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इस दर्दनाक हादसे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है।

बताया जा रहा है कि हाथरस जिले के फुलरई गांव में भोले बाबा का सत्संग चल रहा था। ब्सत्संग समाप्त होने के बाद यहां से जैसे भी भीड़ निकलना शुरू हुई तो भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में महिलाएं और बच्चे बुरी तरह कुचलते चले गए। मौके पर चीख-पुकार मच गई। हादसे में कई लोगों की मौत होने की आशंका है। घायलों को मेडिकल कॉलेज एटा भेजा गया है, अब तक करीब 130 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि आंकड़ों की आधिकाकि पुष्टि नहीं हुई है। पोस्टमार्टम कराने के लिए मृतकों के शव शव को एटा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया है। अस्पताल के अंदर और बाहर शवों का ढेर लग गया है।

सीएम योगी ने दिए जांच के निर्देश
इस हादसे पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय ने जिला प्रशासन को घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर उनके उपचार कराने और मौके पर राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने एडीजी आगरा और कमिश्नर अलीगढ़ के नेतृत्व में घटना के कारणों की जांच के निर्देश दिए हैं। वहीं एटा के एसएसपी राजेश कुमार सिंह का कहना है कि हाथरस जिले के मुगलगढ़ी गांव में एक धार्मिक कार्यक्रम चल रहा था, तभी भगदड़ मच गई। एटा अस्पताल में कई लोगों के शव पहुंच चुके हैं, जिनमें महिलाएं, बच्चे और व्यक्ति के शव शामिल हैं। अभी तक कोई भी घायल अस्पताल नहीं पहुंचा हैं। इन सभी शवों की पहचान की जा रही है। इस घटना के कारणों की जांच के लिए एडीजी आगरा और अलीगढ़ कमिश्नर की एक टीम गठित की गई है।

हादसे की चश्मदीद ने बयां किया भयावह मंजर
हादसे को अपनी आंखों से देखने वाली युवती ने बताया कि सत्संग में बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी हुई थी। सत्संग समाप्त हुआ उसके बाद लोग वहां से जाने लगे। इसी दौरान निकलने की जल्दी में भगदड़ मच गई। लोग एक दूसरे को देख ही नहीं रहे थे। महिलाएं और बच्चे गिरते चले गए। भीड़ उनके ऊपर से दौड़ रही थी। कोई बचाने वाला नहीं था। चारों ओर चीख-पुकार मची हुई थी।

प्रशासन की कमजोरी से हुआ हादसा: आयोजक
सत्संग पर आयोजन समिति से जुड़े महेश चंद्र ने से फोन पर हुई बातचीत में कहा कि हमने जिला प्रशासन से अनुमति लेकर कार्यक्रम कराया था। कार्यक्रम में एक लाख से अधिक श्रद्धालु आयोजन मौजूद थे। जब कार्यकम खत्म हुआ तब भगदड़ मच गई। ये हादसा प्रशासन की कमजोरी की वजह से हुआ है। कार्यक्रम खत्म होने के बाद कीचड़ में लोग एक के ऊपर एक गिरते रहे, कोई संभालने वाला नहीं था। मैं भंडारे का काम देख रहा था। उन्होंने बताया कि हाथरस में ये कार्यक्रम 13 साल बाद हुआ है। हमारे पास 3 घंटे की परमिशन थी। 1.30 बजे कार्यक्रम खत्म होने के बाद घटना हुई है। प्रशासन को अनगिनत श्रद्धालुओं के कार्यक्रम में आने की जानकारी दी गई थी। जहां इंतजाम किए गए थे, वहां बहुत भीड़ थी। कार्यक्रम में 12 से साढ़े 12 हजार सेवादार थे। हमने इतने स्तर पर पूरे इंतजाम किए थे। एंबुलेंस नहीं थी। कार्यक्रम खत्म हुआ तो एक साथ भागने लगे और भगदड़ मची। बरसात के मौसम में कीचड़ की वजह से लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे थे।

उपराष्ट्रपति ने जताया दुख
हाथरस की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हाथरस में दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में लोगों की मौत के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ। मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।

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