23.3 C
Bhopal

सुखद खबर: एक सिरप ने मिटाया श्योपुर जिले के माथे पर लगा कुपोषण का कलंक

प्रमुख खबरे

श्योपुर। कुपोषण के मामले को लेकर देशभर में विख्यात हो चुके मप्र के श्योपुर जिले में अचानक कुपोषण के काबू में आने से विशेषज्ञ भी भौचक है। लाइलाज माने जाने वाले कुपोषण को काबू में लाने के पीछे रोचक कहानी जुड़ी हुई है। दअरसल जिले के माथे से कुपोषण का कलंक मिटाने के लिए अस्पतालों में नि:शुल्क वितरण होने वाली मल्टी विटामिन सिरप को माना जा रहा है। इस एक सिरप ने पूरे जिले का कुपोषण मिटा कर रख दिया। कुछ सालों पहले तक कुपोषण के मामले में प्रसिद्ध जिले में पूर्व में कराए सर्वे में 2029 सैम और 6901 मैम श्रेणी में शामिल बच्चे हुए पूरी तरह स्वस्थ हुए हैं जो प्रशासन के साथ साथ सरकार के लिए भी सुखद खबर है।

श्योपुर जिले से विगत कई वर्षों बाद यह सुखद खबर सामने आई है। पूर्व में जिले में कुल 8343 कुपोषित बच्चे स्वस्थ हुए हैं। इनमें 1757 सैम (कुपोषण की गंभीर चिकित्सीय अवस्था) श्रेणी में शामिल थे। वहीं, 6314 मैम (कुपोषण की चिकित्सीय अवस्था) श्रेणी थे। अब जिले में सिर्फ 80 बच्चे कुपोषित की श्रेणी में हैं। जिले में अभी कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों के चिह्नांकन के लिए सर्वे जारी है, फाइनल रिपोर्ट आने पर कुपोषित बच्चों की संख्या में और गिरावट आने की संभावना है।

लॉक डाउन के दौरान हाथ लगा कुपोषण मिटाने का रामबाण हथियार
जब कोरोना की प्रथम लहर चली तब आंगनबाड़ियों पर बच्चों को भोजन नाश्ता में परिवर्तन करते हुए रेडी टू ईट (रेडिमेट नाश्ता) दिया जाने लगा था। साथ ही बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए अस्पताल में निशुल्क वितरण होने वाली मल्टीविटामिन सिरप भी दी गई, जिसका असर यह हुआ कि कोरोना काल से पहले जो बच्चे गंभीर और मध्यम श्रेणी के कुपोषित थे वो सामान्य श्रेणी में आकर स्वस्थ होने लगे। विशेषज्ञ ने जब अचानक कुपोषण मिटने के कारण खंगाले तो पता चला कि जिले में कुपोषण एनीमिया बेसिक है, इसके बाद कुपोषण मिटाने की जो योजना बनाई गई उसमें प्रसूता को पोषित करने के काम को कुपोषण मिटाने के अभियान से जोड़ा गया। साथ ही बच्चों में एनीमिया दूर करने के लिए मल्टी विटामिन दवाइयां दी गई। पलायनित परिवारों (फसल कटाई को जाने वाले) को भी दो सिरप दिए जानें लगे। जिसका असर यह हुआ कि दो-तीन साल में ही कुपोषण का ग्राफ 85 फीसद तक गिर गया।

हर गांव स्वास्थ्य सेवा ने खत्म किया कुपोषण
सरकार ने जिले में 100 सीएचओ (कमयूनिटी हेल्थ आॅफिसर) नियुक्त किए हैं जो विभिन्न गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं। महिला बाल विकास विभाग के पास कुपोषण के नाम पर जो गंभीर समस्या थी वह थी संक्रमित कुपोषित यानी कुपोषण के साथ-साथ बीमारी भी। इस समस्या से निपटने के लिए पहले बच्चों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल लाना पड़ता था जहां से उन्हे इलाज के साथ पोषण के लिए एनआरसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) भेजा जाता था। लेकिन अब हर गांव में सीएचओ माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो गई जिसका फायदा यह भी हुआ कि अब ऐसे संक्रमित कुपोषित बच्चों को एनआरसी में लाना भी बंद हो गया उनका गांव में रहकर ही पोषण के साथ इलाज किया जाने लगा। ज्ञात हो कि एनआरसी में उन्हें बच्चों को लाया जाता है जो कुपोषित होने के साथ-साथ बीमारी से संक्रमित भी होते हैं।

असर कारक रही आईएफए सिरप
मल्टीविटामिन सिरप के साथ बच्चों को आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं के माध्यम से नियमित रूप से आईएफएस सिरप भी निर्धारित मात्रा में पिलाई गई। अस्पतालों से निशुल्क उपलब्ध होने वाली इस सिरप को कार्यकतार्ओं ने 6 से 59 महीने, स्वस्थ जीवन की आधारशिला मानकर हफ्ते में दो बार पिलाने का काम किया। इस सिरप के तेजी के साथ सकारात्मक परिणाम सामने आए और उसके साथ ही कुपोषण का ग्राफ जिले में क्यों फैल रहा था इसका रहस्य भी उजागर हो गया इसी आधार पर कुपोषण एनिमिक घोषित होने के बाद विशेषज्ञों को कुपोषण पर लगाम लगाने में सफलता मिली।

- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

ताज़ा खबरे