उज्जैन। मुख्यमंत्री मोहन यादव समतामूर्ति अलंकरण सम्मान से नवाजे गए हैं। रविवार को उज्जैन के रामानुज कोट आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में धर्माचार्य संत स्वामी गादी जी महाराज ने सीएम को सम्मानित किया । कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जीके माहेश्वरी को भी समतामूर्ति अलंकरण से सम्मानित किया गया इस अवसर पर आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी श्री रंगनाथाचार्य महाराज सहित अन्य संत आचार्य भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में सीएम यादव ने पीठाधीश्वर स्वामी श्री रंगनाथाचार्य महाराज सहित अन्य धर्माचार्यों को पुष्पमाला और अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित भी किया।
समतामूर्ति अलंकरण सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए सीएम मोहन ने कहा कि बाबा महाकाल की नगरी अवंतिका अनंत है। यह नगरी हर काल और हर युग में अपने गुणों, कीर्ति और प्रसिद्धि से सदैव अलंकृत होती आ रही है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा और गौरवशाली लोकतंत्र है, जिसके तीन आधार स्तंभों में न्यायपालिका प्रमुख आधार स्तंभ है, जो महाराजा विक्रमादित्य की न्यायप्रियता के समान हमारी ताकत को कई गुना बढ़ाती है। महाराजा विक्रमादित्य की न्याय और समानता से प्रेरित मध्य प्रदेश सरकार सभी वर्गों के कल्याण के लिए कृत संकल्पित है।
सिंहस्थ की छटा निराली
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि 12 वर्षों में आयोजित होने वाले सिंहस्थ की छटा निराली होती है। समारोह में उपस्थित देवतुल्य धमार्चार्यों के दर्शन से परमात्मा की अनुभूति हो रही है। स्वामी श्री रामानुज जी महाराज ने अपने अलौकिक दर्शन से सनातन धर्म के संरक्षण के साथ मानव से मानव को जोड़कर जनसेवा का मार्ग भी दिखाया है। समाज में आने वाली विभिन्न चुनौतियों के बावजूद स्वामी जी द्वारा भक्ति मार्ग का निरंतर प्रसार किया गया, जिसकी अविरल धारा आज भी प्रवाहित हो रही है।
सनातन संस्कृति वेद-पुराणों के साथ हमारे संविधान में भी उल्लेखित: न्यायाधीश
वहीं सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माहेश्वरी ने कहा कि समानता हमारे सनातन संस्कृति में वेद-पुराणों के साथ हमारे संविधान में भी उल्लेखित है। भारत के संविधान में समानता का अधिकार मानव को प्राप्त पहला अधिकार है। ईश्वर का समभाव भी सभी के लिए समान है। अगर कोई व्यक्ति महत्वपूर्ण पद पर आसीन होता है तो वहां बिना देवीय कृपा के संभव नहीं है। ईश्वर ने उसे जनहित के लिए चुना है। इसीलिए उसे सदैव मानव सेवा के कार्य में संलग्न रहना चाहिए।