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लोकसभा स्पीकर के लिए जंग: एनडीए और इंडिया दोनों की आज होगी अग्निपरीक्षा

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नई दिल्ली। 18वीं लोकसभा के पहले सत्र का आज तीसरा दिन है। दो दिनों तक चली सांसदों की शपथ के बाद आज नए लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। डिप्टी स्पीकर को सहमति न बन पाने के कारण पक्ष और विपक्ष दोनों ने ही अध्यक्ष पद के लिए अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। एनडीए ने जहां ओम बिरला को तो वहीं विपक्षी इंडिया गठबंधन ने के. सुरेश को अपना प्रत्याशी बनाया है। स्पीकर के लिए वोटिंग 11 बजे होगी। इससे पहले दोनों ही पक्ष रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। एनडीए की तरफ से जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह मोर्चा संभाले हुए हैं। वहीं इंडिया ब्लॉक की ओर से राहुल गांधी भी गठबंधन की पार्टियों से बात कर रहे हैं।

बता दें कि 543 सदस्यीय लोकसभा में वर्तमान में 542 सांसद हैं, क्योंकि केरल की वायनाड सीट राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद खाली है। सदन में 293 सांसदों वाले एनडीए को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है। वहीं विपक्षी इंडिया ब्लॉक के पास 233 सांसद हैं। वहीं अन्य दल जो न एनडीए का हिस्सा हैं और न इंडिया ब्लॉक के उनके 16 सांसद हैं। इनमें कुछ निर्दलीय भी शामिल हैं। अगर ये 16 सांसद इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार का समर्थन करते हैं, तब भी उसकी संख्या 249 तक पहुंचेगी। जबकि चुनाव जीतने के लिए 271 वोटों की जरूरत होगी।

अमित शाह तैयार कर रहे रणनीति
लोकसभा स्पीकर की कुर्सी पाने के लिए राजग की ओर से रणनीति की कमान गृह मंत्री अमित शाह के हाथ में है। उन्होंने मंगलवार को राजग के सहयोगी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर गठबंधन की एकता सुनिश्चित की। नेताओं को मतदान के नियम बताए गए और सभी सांसदों की हर हाल में उपस्थिति सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं। वहीं खबर आई है कि राहुल गांधी ने आज टीएमसी चीफ ममता बनर्जी से बात की है। बता दें कि मंगलवार को जब विपक्षी गठबंधन ने लोकसभा स्पीकर पद के लिए के सुरेश का नामांकन कराया था तो टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा था कि उनकी पार्टी से इस बारे में कोई चर्चा नहीं की गई। बनर्जी के इस बयान को गठबंधन में मतभेद के तौर पर देखा गया। हालांकि राहुल गांधी के फोन के बाद अब टीएमसी के सुरेश का समर्थन में वोट कर सकती है।

…तो पर्चियों से होगा मत विभाजन
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य के मुताबिक नए सदन के सदस्यों को अभी सीटें आवंटित नहीं की गई हैं तो इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले प्रणाली का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। पेश किए गए प्रस्तावों को उसी क्रम में एक-एक करके रखा जाएगा, जिस क्रम में वे प्राप्त हुए हैं। यदि आवश्यक हुआ तो उन पर मत विभाजन के माध्यम से निर्णय लिया जाएगा। यदि अध्यक्ष के नाम का प्रस्ताव पारित हो जाता है (सदन द्वारा ध्वनिमत से स्वीकृत हो जाता है), तो पीठासीन अधिकारी घोषणा करेगा कि सदस्य को सदन का अध्यक्ष चुन लिया गया है और बाद के प्रस्ताव पर मदतान नहीं होगा। यदि विपक्ष मत विभाजन पर जोर देता है तो वोट कागज की पर्चियों पर डाले जाएंगे। इसमें परिणाम आने में थोड़ा वक्त लगेगा।

इसलिए विपक्ष को नहीं दे रहे उपाध्यक्ष पद
भाजपा विपक्ष को उपाध्यक्ष का पद देती तो उसे अध्यक्ष पद भी गंवाना पड़ता। अध्यक्ष पर अपने उम्मीदवार के समर्थन के बदले भाजपा ने उपाध्यक्ष पद राजग के दूसरे सबसे बड़े दल टीडीपी को देने का वादा किया है। अगर वह उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देती तो अध्यक्ष पद टीडीपी को देने का दबाव बढ़ जाता। सदन में बहुमत से 32 सीट दूर भाजपा, अध्यक्ष पद किसी हाल में अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती।

सुरेश को 235 तक का समर्थन संभव
नई लोकसभा में छोटे दलों के नौ और सात निर्दलीय सांसद चुन कर आए हैं। इनमें अकाली दल को छोड़कर अन्य सभी का झुकाव कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में हो सकता है। चूंकि टीडीपी राजग गठबंधन में है। कांग्रेस को वाईएसआरसीपी के साथ की उम्मीद थी, लेकिन वह राजग के समर्थन में है।

कांग्रेस के लिए एकता की चुनौती
कांग्रेस के सामने चुनौती विपक्षी गठबंधन में एकता कायम रखते हुए राजग में सेंध लगाने और निर्दलीय व दूसरे छोटे दलों के 13 सांसदों को अपने खेमे में लाने की है। तीन निर्दलीयों पप्पू यादव, विशाल पाटील और मोहम्मद हनीफ के समर्थन के बाद विपक्षी गठबंधन के सांसदों की संख्या 235 हो गई है।

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