वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अप्रत्याशित जीत दर्ज करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप अपनी टीम को आकार देने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में उन्होंने अपने प्रशासन के लिए अहम नियुक्ति की है, जो भारत के लिए भी अहम साबित हो सकता है। दरअसल उन्होंने माइक वॉल्ट्ज को अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया है। इसकी घोषणा ट्रंप ने सोमवार को की है। अमेरिकी सीनेट में इंडिया कॉकस के प्रमुख वॉल्ट्ज अमेरिका की मजबूत डिफेंस स्ट्रैटेजी की वकालत करते हैं। गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप इससे पहले सूजी विलेस को व्हाइट हाउस का चीफ आॅफ स्टाफ नियुक्त कर चुके हैं। इस पद पर नियुक्त होने वाली सूजी विलेस पहली महिला हैं। साथ ही ट्रंप ने स्टीफन मिलर को अपना वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया है। अब ट्रंप ने माइक वाल्ज को अपना राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाने का एलान किया है।
बाइडन की विदेश नीति के रहे हैं कट्टर आलोचक
यहां पर यह भी बता दें कि माइक वॉल्ट्ज ने 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान कैपिटल हिल में उनके ऐतिहासिक भाषण की व्यवस्था कराने में भी अहम भूमिका निभाई थी। 50 वर्षीय माइक वाल्ट्ज एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी हैं। माइक वाल्ज अमेरिकी सेना के विशेष बल ग्रीन बेरेट में काम कर चुके हैं। माइक वाल्ज साल 2019 में अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए थे। माइक वाल्ज को राष्ट्रपति बाइडन की विदेश नीति का कट्टर आलोचक माना जाता है। माइक वाल्ज हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमेटी, हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी और हाउस इंटेलीजेंस कमेटी में भी बतौर सदस्य काम कर चुके हैं। वह देश की सुरक्षा को और मजबूत करने के ट्रंप के वादों के पुरजोर हिमायती हैं। माइक वॉल्ट्ज रूस-यूक्रेन युद्ध और मिडिल ईस्ट में लंबे समय से चल रहे युद्ध के बीच अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। बता दें कि सीनेट के इंडिया कॉकस मे कुल 40 सदस्य हैं। इसका गठन 2004 में न्यूयॉर्क की तत्कालीन सीनेटर हिलेरी क्लिंटन और सीनेटर जॉन कॉर्निन ने किया था। यह सीनेट में सबसे बड़ा कॉकस है।
भारत को मिल सकता है फायदा
माइक वाल्ज अमेरिकी संसद में इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष हैं। यह अमेरिकी संसद में किसी देश पर केंद्रित सबसे बड़ा समूह है। इंडिया कॉकस एक द्विदलीय समूह है। इसमें वर्तमान में सीनेट के 40 सदस्य शामिल हैं। वाल्ज का भारत के प्रति रुख नरम रहा है। ऐसे में अमेरिका की हिंद प्रशांत महासागर को लेकर बनने वाली रणनीति में भारत की भूमिका अहम हो सकती है। वाल्ज भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और चीन का मुकाबला करने के मामले में मजबूत रणनीति बनाने के समर्थक रहे हैं। वह अनुभवी विदेश नीति विशेषज्ञ हैं। उन्हें अमेरिका-भारत गठबंधन का प्रबल समर्थक माना जाता है। उन्होंने भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने की वकालत की है। उनका कहना है कि अमेरिका और भारत को रक्षा व सुरक्षा सहयोग के मामले में आगे बढ़ना चाहिए।
कौन हैं माइक वॉल्ट्ज?
माइक के पास मिलिट्री वेटेरन के तौर पर व्यापक अनुभव है। उन्होंने वर्जीनिया मिलिट्रई इंस्टीट्यूट से ग्रैजुएशन किया है और फ्लोरिडा गार्ड से जुड़ने से पहले चार सालों तक सेना में सेवाएं दी थीं। वह अफगानिस्तान, मिडिल ईस्ट और अफ्रीका में युद्ध के मोर्चे पर जा चुके हैं। वह पेंटागन में नीति सलाहाकर के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं। मालूम हो कि ट्रंप ने 2016 में अपने पहले कार्यकाल में चार एनएसए बदले थे। इनमें से पहले एनएसए तो सिर्फ 22 दिन ही पद पर रह पाए थे। लेफ्टिनेंट जनरल एच।आर। मैकमास्टर और जॉन बोल्टन समेत बाकी सलाहकारों को ट्रंप ने कुछ नीतिगत मुद्दों पर मतभेदों के चलते हटा दिया था। ट्रंप के आखिरी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन कोविड-19 महामारी और 6 जनवरी 2021 को कैपिटल हिल पर हुए दंगे के दौरान इस पद पर बने रहे थे।
वहीं, ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी के राजदूत पद के लिए एलिस स्टेफैनिक का चुनाव किया है। एलिस की कट्टर समर्थक हैं। इससे पहले ट्रंप ने सुजन उर्फ सूजी विल्स को व्हाइट हाउस का चीफ आॅफ स्टाफ नियुक्त किया था। जानकारी के मुताबिक वह व्हाइट हाउस की चीफ आॅफ स्टाफ बनने वाली पहली महिला होंगी। जनवरी में संभावित शपथ ग्रहण से पहले विल्स की नियुक्ति ट्रंप का पहला बड़ा फैसला है।