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यह क्या बोल गए भाजपा विधायक, शाक्य ने कहा- कालेज की डिग्री से कुछ नहीं होने वाला, पंचर की दुकान से ही चलेगा जीवन

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गुना। एक तरफ जहां मप्र सरकार प्रदेश के छात्र-छात्राओं को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इतना ही नहीं, छात्रों अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए प्रदेश के सभी 55 जिलों में कल रविवार को पीएम कॉलेज आॅफ एक्सीलेंस का भी शुभारंभ हो गया है। इन सबके बीच गुना से भाजपा विधायक पन्नालाल शाक्य ने शिक्षा को लेकर अजीब बयान दिया है। उन्होंने यह बयान भी पीएम कॉलेज आॅफ एक्सीलेंस के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए दिया है।जिसका वीडियो भी वायरल हो रहा है। इस दौरान उनके साथ ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी मौजूद थे।

भाजपा विधायक ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि कॉलेज की डिग्री से कुछ होने वाला नहीं है। मोटरसाइकिल की पंचर की दुकान खोल लेना। उससे कम से कम अपना जीवनयापन चलता रहे। शाक्य यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि यह जो महाविद्यालय हैं, शिक्षण संस्था कोई कंप्रेशर हाउस नहीं है। जिसमें डिग्री के हिसाब से हवा भर दी जाए और वे सर्टिफिकेट लेकर चला जाए। वास्तव में शिक्षण वे संस्थाएं होती है, जिनके ढाई अक्षर पढ़े सो पंडित होय पोती पढ़-पढ़ जगमुआ पंडित भया न कोय।

नालंदा विश्वविद्यालय का किया जिक्र
विधायक ने आगे कहा कि एक विश्वविद्यालय नालंदा विश्वविद्यालय गिना जाता था। इस कॉलेज में तो 18 हजार विद्यार्थी हैं। उसमें 12 हजार और 1200 प्राचार्य थे। 11 लोगों ने उस विश्वविद्यालय को जला दिया था। 12 हजार केवल यह सोचते रह गए कि मैं अकेला क्या करूंगा। हिंदुस्तान का ज्ञान खत्म हो गया। क्या हम ऐसी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं क्या। इस पर प्रश्न वाचक चिन्ह है ये। विधायक ने कहा कि इस महाविद्यालय को जो प्रधानमंत्री श्रेष्ठ महाविद्यालय का हम शुभारंभ कर रहे हैं। मेरा आप सब से निवेदन है कि केवल एक बोध वाक्य पकड़ लेना। ये कॉलेज की डिग्री से कुछ होने वाला नहीं है। मोटरसाइकिल की पंचर की दुकान खोल लेना, जिससे कम से कम अपना जीवनयापन चलता रहे।

सबसे पहले पंचतत्व को बचाने की करो कोशिश
उन्होंने आगे कहा कि सबसे पहले उस पंचतत्व को बचाने की पूरी कोशिश करो जिससे हमारा सब का शरीर बना है- जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी। आज पर्यावरण को लेकर पूरे हिंदुस्तान में चिंता है। पानी को लेकर पूरे हिंदुस्तान में चिंता है। प्रदूषण जो फैला है, उससे भी सब लोग चिंतित हैं। इनमे से कोई निकल ही नहीं रहा उसका कोई श्रेष्ठ फॉमूर्ला लेकर। न कोई आगे काम करने के लिए तैयार है। पेड़ लगाओ, हजारों पेड़ लग रहे हैं। आज पेड़ लगा दिया तो उसका पालन-पोषण कब तक करने वाले हैं आप? पेड़ लगा दिया, रस्म अदा हो गई। कम से कम आदमी की ऊंचाई तक तो बढ़ाओ, तब पर्यावरण बचेगा। अवैध रूप से नदी-नाले सब पर कब्जा हो गया है। सरकारी जमीन पर कब्जा हो गया है। चरनोई की जमीन पर कब्जा हो गया है। इतने भुखमरे हो गए हम? इस स्तर पर हमने पर्यावरण दूषित कर दिया है।

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