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भोजशाला विवाद: ASI ने हाईकोर्ट में पेश की हजारों पन्नों की सर्वे रिपोर्ट, अब 22 को होगी सुनवाई, हिन्दू पक्ष के वकील ने किया यह दावा

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इंदौर। मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक भोजशाला का विवाद अब हल होता दिखाई दे रहा है। दरअसल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भोजशाला का चार महीने तक लगातार सर्वे कर दो हजार पन्नों की सर्वे रिपोर्ट इंदौर हाईकोर्ट में पेश कर दी है। अब इंदौर बेंच इस मामले में 22 जुलाई को सुनवाई करेगा। हाईकोर्ट में रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर रोक लगाई है। सभी पक्षों को बंद लिफाफे में रिपोर्ट दी जायेगी। बता दें कि इंदौर हाईकोर्ट ने 11 मार्च को भोजशाला का एएसआई सर्वे करने के आदेश दिए थे। 22 मार्च को सर्वे शुरू हुआ था और 28 जून तक चला है। जानकारी के अनुसार सर्वे में 1700 से ज्यादा हिंदू देवी देवता और मंदिर होने के पुरातत्विक अवशेष मिले है। वहीं हिंदू पक्ष के वकील की ओर से दावा किया गया कि सर्वे के दौरान कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो साबित करता है कि यहां मंदिर था।

हिंदू फ्रंट आफ जस्टिस के वकील एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इस मामले में एएसआई रिपोर्ट महत्वपूर्ण है। एएसआई रिपोर्ट ने हमारे केस को मजबूत किया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच के सामने हमने कहा था कि यह परिसर एक हिंदू मंदिर का है। इसका इस्तेमाल मस्जिद की तरह हो रहा है। 2003 में एएसआई ने जो आदेश पारित किया था, वह पूरी तरह गलत है। देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन है। हमने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने एएसआई को साइंटिफिक स्टडी के निर्देश दिए थे। दो हजार पेज की रिपोर्ट में हमारा पक्ष मजबूत हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की कार्यवाही पर स्टे दे रखा है। इस वजह से हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं।

रिपोर्ट से 100% हिंदू पक्ष का दावा हो रहा साबित
वहीं हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने दावा किया कि ‘भोजशाला को लेकर तैयार रिपोर्ट से 100% हिंदू पक्ष का दावा साबित हो रहा है। यहां 94 आर्टिकल्स मिले, इनमें टूटी मूर्तियां, शिलालेख और संस्कृत के श्लोक हैं। इससे प्रतीत होता है कि मां वाग्देवी मंदिर ही था और धार्मिक शिक्षा दी जाती थी। अलग-अलग कालखंड के करीब 30 सिक्के भी इनमें शामिल हैं। वकील हरि शंकर जैन कहते हैं कि आज बहुत खुशी का मौका है। हिंदू जनता सदियों से धार में पूजा करने के लिए तरस रही थी, जिसके लिए आंदोलन चलाए गए थे और पहली याचिका जो हिंदुओं की तरफ से मैंने दाखिल की थी, उसमें महत्वपूर्ण सफलता मिली है। ये बात रिपोर्ट में साबित हो गई, प्रमाणित हो गई है, कोई इसे काट नहीं सकता कि वहां पहले हिंदू मंदिर था। और वेद शास्त्र, संस्कृत, धार्मिक शिक्षा के पठन-पाठन का कार्य वहां होता था। और उस जगह पर केवल हिंदू पूजा ही हो सकती है। 7 अप्रैल 2003 को जो अरक ने आदेश दिया था, नमाज पढ़ने का, वो असंवैधानिक है। दूसरी बात, 94 से ज्यादा टूटी मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। वहां सारे खंभों पर वेद-शास्त्रों के चिन्ह मिले हैं, श्लोक लिखे मिलें हैं। पुरानी कलाकृतियां मिली हैं। और बहुसंख्या में इतनी सामग्री है,कि कोई भी देखकर कह देगा कि यह भव्य पाठशाला और मंदिर था। केवल हिंदू था। पढ़ाई के लिए था, यही नहीं इस रिपोर्ट ने आंख खोल दिया है कि मुस्लिम आक्रांताओं ने जितनी ज्यादतियां की थीं, उन सबका पदार्फाश एक एक कर हो रहा है।

इमारत राजा भोज के काल की ही साबित होगी
हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने दावा किया कि जो सर्वे हमारे सामने हुआ था, उस आधार पर हम कह रहे हैं कि यह इमारत राजा भोज के काल की ही साबित होगी, जिसे वर्ष 1034 में बनाया गया था। एएसआई को इस सर्वे में कई प्राचीन मूर्तियां मिली हैं, जो परमारकालीन हो सकती हैं। इस तरह ये परमारकालीन इमारत है। सर्वे के दौरान सामने आए अवशेषों से लगभग तय माना जा रहा है कि यह परमारकालीन यानी 9वीं से 11वीं शताब्दी के बीच का निर्माण है। इस बीच, एक गर्भगृह के पास 27 फीट लंबी दीवार भी मिली, जो ईंटों से बनी है। पुरातत्वविदों का मानना है कि ईंटों से निर्माण और भी प्राचीन समय में होता था। मोहन जोदड़ो सभ्यता के समय, यानी यह स्थान और भी प्राचीन हो सकता है।

सार्वजनिक नहीं होगी रिपोर्ट
एएसआई की रिपोर्ट की प्रतियां दोनों ही पक्षों को सौंपी जाएगी। कोर्ट ने दोनों ही पक्षों को सख्त निर्देश दिए हैं कि रिपोर्ट को सार्वजनिक न करें। एएसआई ने कार्बन डेटिंग, जीपीएस सहित अन्य तकनीक इस सर्वे में अपनाई है। भोजशाला के बड़े हिस्से में खुदाई भी की गई है। दावा किया गया है कि खुदाई के दौरान पुरानी मूर्तियों के अवशेष, धार्मिक चिह्न मिले हैं। अफसरों ने सर्वे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी कराई है। सर्वे रिपोर्ट में खुदाई में मिले अवशेषों के फोटो भी प्रस्तुत किए गए।

वर्ष 1902 में भी हुआ था सर्वे
धार भोजशाला का इतिहास वर्षों पुराना है। अंग्रेजों के शासनकाल में एएसआई ने धार भोजशाला का सर्वे किया था। तब की रिपोर्ट में मंदिर के अलावा परिसर के एक हिस्से में मस्जिद का उल्लेख भी किया गया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नए सिरे से स्टडी के निर्देश दिए थे। यह सर्वे रिपोर्ट हाईकोर्ट में चल रही याचिका के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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