26.9 C
Bhopal

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार से भड़कीं भाजपा नेत्री, की यह मांग, एमएल मेंदोला ने भी यूनूस पर किया वार

प्रमुख खबरे

इंदौर। बांग्लादेश में हिंदुओं के हो रहे नरसंहार और उत्पीड़न के खिलाफ मध्यप्रदेश में भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। बुधवार को संघ और अन्य हिन्दू संगठनों ने इंदौर समेत पूरे प्रदेश में में ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था। हिंदु संगठनों ने प्रदर्शन के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने की मांग की है। अब इस मुद्दे पर भाजपा की पूर्व मंत्री उषा ठाकुर और विधायक रमेश मेंदोला का बड़ा बयान सामने आया है। एक जोर जहां उषा ठाकुर ने इंदौर के सराफा बाजार और सदर बाजार में रहकर काम कर रहे बांग्लादेशियों की जांच कर उन्हें तत्काल यहां से रवाना किया जाए। वहीं रमेश मेंदोला ने कहा है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख युनुस मोहम्मद से नोबेल शांति पुरस्कार वापस लिए जाए।

भाजपा नेत्री उषा ठाकुर ने कहा कि, हम जिला प्रशासन को पत्र लिखकर यह मांग कर रहे है कि जितने भी बांग्लादेशी कारोबारी और मजदूर यहां काम करने आए है इनका भी परिक्षण किया जाना चाहिए। इनका आधार कार्ड और समग्र आईडी चेक करना चाहिए। जितने भी बांग्लादेशी है उन सभी की तत्काल प्रभाव से विदाई कर देनी चाहिए।

विधायक मेंदोला ने नोबल पुरस्कार समिति से की मांग

इंदौर 2 के विधायक रमेंश मेंदोला ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं के नरसंहार और उत्पीड़न के विरुद्ध इंदौर से उठी आवाज अब वैश्विक स्वर ले रही है। मैं नोर्वे स्थित नोबल पुरस्कार समिति से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख युनुस मोहम्मद से नोबल विश्व शान्ति पुरस्कार वापस लेने की मांग करता हूं। नोबल प्राइज कमेटी से मांग करते हुए मेंदोला ने कहा कि- पुरस्कार की नीति की समीक्षा करनी चाहिए। जो व्यक्ति अपने देश का मुखिया रहते हुए हिंदू उत्पीड़न, अवैध धर्मांतरण और नरसंहार का जिम्मेदार है। वह नोबल विश्व शान्ति पुरस्कार विजेता कहलाने के योग्य नहीं हो सकता। बता दें कि युनुस मोहम्मद को नोबल प्राइज कमेटी ने साल 2006 में नोबल विश्व शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था।

इंदौर सराफा बाजार में 15,000 से अधिक बंगाली परिवार
गौरतलब है कि इंदौर के सराफा बाजार में 15,000 से अधिक बंगाली कारीगर सोने के जेवर बनाने का काम करते हैं। ये कारीगर सराफा बाजार के आसपास किराए के मकानों में रहते हैं और सराफा बाजार में दबढ़ेनुमा कमरों में बैठ कर काम करते है। इन कारिगरों की एक एसोसिएशन भी है। सूत्रों के मुताबिक, इन कारीगरों में कुछ बांग्लादेश से आए लोग भी शामिल हो सकते हैं, लेकिन उनकी सही संख्या का कोई पुख्ता रिकॉर्ड नहीं है।

- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

ताज़ा खबरे