जयपुर। मध्यप्रदेश और राजस्थान के किसानों के मंगलवार का दिन ऐतिहासिक रहा है। दरअसल पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना को दोनों राज्यों के बीच एमओयू पर साइन हो गया है। जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी मप्र के सीएम मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने मेमोरेंडम आॅफ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए। दोनों राज्यों के सीएम ने पीएम मोदी का आभार भी जताया। इस दौरान केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल मप्र के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट भी मौजूद थे। मौजूद रहे।
पीएम मोदी ने चंबल नदी के जल से युक्त कलश के जल को एक बड़े कलश में प्रवाहित किया। इसके बाद उन्होंने सीएम मोहन द्वारा दिए गए कालीसिंध नदी के जल से युक्त कलश के जल और भजनलाल शर्मा द्वारा दिए गए पार्वती नदी के जल से युक्त कलश के जल को भी उसी बड़े कलश में प्रवाहित किया। एमओयू कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा है कि पार्वती- कालीसिंध -चंबल लिंक परियोजना मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों राज्यों को ‘सुजलाम-सुफलाम’ बनाएगी।
वह सामान्य सहमति पत्र
पीएम ने कहा कि आज यहां पर मध्य प्रदेश राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच जो अनुबंध सहमति पत्र (मेमोरेंडम आॅफ एग्रीमेंट) हस्ताक्षरित हुआ है, वह सामान्य सहमति पत्र नहीं है, यह आने वाले कई दशकों तक याद रखा जाएगा। इसके लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार तथा जनता सभी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि परियोजना पर बिना रुके काम आगे बढ़ता रहेगा और समय से पहले परियोजना पूरी होगी।
नदी जोड़ो योजना को पूर्व सरकारों ने उलझाए रखा
पीएम ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेई ने नदियों को जोड़ने का विजन (सपना) रखा था और उसके लिए विशेष समिति भी बनाई गई थी। नदियों को जोड़ने की योजना तो बन गई पर उन्हें पूर्व सरकारों ने अनावश्यक रूप से उलझाए रखा। परंतु हमारी सरकार विवाद नहीं- संवाद की, विरोध नहीं- सहयोग की नीति पर कार्य करती है। इसी का परिणाम है कि आज पार्वती- कालीसिंध -चंबल लिंक परियोजना के अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं। परियोजना के अंतर्गत चंबल व उसकी सहायक नदियों पार्वती, कालीसिंध और चम्बल को आपस में जोड़ा जाएगा। इससे मध्यप्रदेश और राजस्थान में विकास के नए द्वार खुलेंगे।
नदियों को जोड़ने से दो समस्याओं का होगा समाधान
पीएम मोदी ने कहा कि नदियों को जोड़ने से बाढ़ व सूखे दोनों समस्याओं का समाधान संभव है। हम जल के महत्व को समझते हैं। पानी पारस है, जहां भी स्पर्श करता है, नई ऊर्जा व शक्ति को जन्म देता है। यह नदियों के पानी को जोड़ने का ही परिणाम है कि साबरमती नदी जो एकदम सूख गई थी, आज फिर से सजीव हो गई है। पार्वती- कालीसिंध -चंबल लिंक परियोजना से दोनों राज्यों को सिंचाई और पेयजल के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा।