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नीट परीक्षा परिणाम में धांधाली: PM पर हमलावर हुए जीतू, बोले- BJP सरकार इसके लिए सबसे बड़ी जिम्मेदार

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भोपाल। नीट परीक्षा के परिणामों में हुर्इं गड़बड़ियों के मामले में दिल्ली से लेकर मध्यप्रदेश तक की सियासत गरमाई हुई है। कांग्रेस से लेकर पूरा विपक्ष केन्द्र सरकार पर हमलावर हो गया है। इसी कड़ी में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया मीडिया के माध्यम से पीएम मोदी से सवाल किया है। पीसीसी चीफ ने कहा कि डबल इंजन की सरकार को छात्रों के भविष्य असमंजस में है। पीएम को जवाब देना चाहिए।

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि प्रधानमंत्री जी डबल इंजन सरकार के नेतृत्व में प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर भर्ती परीक्षाओं तक यदि किसी प्रदेश में सबसे ज्यादा शर्मनाक दौर देखा है तो वह हमारा मध्यप्रदेश है। नीट के माध्यम से एक बार फिर देश के लाखों बच्चों का भविष्य गंभीर असमंजस का सामना कर रहा है। बीजेपी सरकार ही इसके लिए सबसे बड़ी जिम्मेदार है। केंद्र सरकार को देश को यह बताना ही चाहिए कि एक ही परीक्षा सेंटर पर छह टॉपर कैसे? क्योंकि टॉपर्स की मेरिट लिस्ट में आठ छात्रों के रोल नंबर एक ही सीरीज के हैं।

सीरियल नंबर 62 से लेकर 69 तक कुल आठ छात्र में से छह छात्रों ने रैंक-1 हासिल की। इन सभी को 720 में से 720 अंक मिले। इन सभी ने बहादुरगढ़ स्थित एक ही एग्जाम सेंटर पर परीक्षा दी थी। कैसे 718, 719 नंबर मिले? यह सवाल इसलिए कि कई छात्रों को 718, 719 अंक दिए गए। एनटीए ने कहा था कि उन्हें ये अंक ग्रेस मार्क्स के तौर पर दिए गए हैं। दरअसल, नीट का पेपर 720 अंक का होता है और नीट की तैयारी कर रहा बच्चा-बच्चा भी यह जानता है कि हर सवाल के चार अंक मिलते हैं। हर गलती के एक अंक कटते हैं। अब ऐसे में यदि कोई एक सवाल छोड़ देता है तो उसे 716 अंक मिलेंगे! यदि कोई सिर्फ एक सवाल गलत करता है तो उसे 715 अंक मिलेंगे। ऐसे में 718, 719 अंक पाना असंभव है?

ग्रेस मार्क्स जैसी सुविधा बिना जानकारी के क्यों लागू की गई?
पटवारी ने आगे पूछा कि ग्रेस मार्क्स जैसी सुविधा बिना जानकारी के क्यों लागू की गई? इसीलिए देश के लाखों स्टूडेंट्स अब बिना ग्रेस मार्क्स के नीट की ओरिजिनल मेरिट लिस्ट जारी करने की मांग कर रहे हैं। मांग तो ये भी है कि जिन सेंटरों पर ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं, उनका नाम बताया जाए। पूछा तो यह भी जाना चाहिए कि ग्रेस मार्क्स पाने का आधार क्या है? कितना समय बर्बाद होने पर कितने नंबर दिए गए? समय बर्बाद होने के कथित कारण कितने असली हैं? सेंटर्स पर इसकी निगरानी करने वाले कितनी ईमानदारी से इस व्यवस्था को देख और परख रहे थे? तीसरी बार, अविश्वास लगातार। जवाब दो मोदी सरकार?

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