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…देख लो सरकार: नंदिनी और उसकी दो बहनों के लिए मजाक बनकर रह गई योजनाएं, यतीम होते हुए भी नहीं मिल रहा लाभ

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श्योपुर। यूं कहें तो अनाथ हो चुके बच्चों के लिए मप्र सरकार की ओर से बाल आशीर्वाद योजना सहित अन्य कई योजनाएं संचालित की जा रही है। लेकिन यह सब योजनाएं जमीन पर दिखाई नहीं दे रही हैं। ऐसा देखने को मिला है श्योपुर जिले में। यहां के आदिवासी विकासखंड कराहल के ग्राम चक पटौदा की तीन सगी अनाथ बहनों को सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं रहा है। बड़ी बहन नंदिनी की उम्र 8 साल है, जबकि बंदनी की 6 और अंजनी 4 वर्ष की है। बताया जा रहा है कि डेढ़ साल के अंदर ही इनके माता की मौत हो गई थी। बच्चियों के लालन-पालन की जिम्मेदारी 70 वर्षीय वृद्ध दादा गंगोला आदिवासी उठा रहा है।

यही नहीं, अनाथ हुई नंदिनी को अब गंभीर बीमारी ने भी घेर लिया है। बीमारी इतनी गंभीर है कि उसका इलाज श्योपुर जिला अस्पताल में होना संभव नहीं है और बाहर ले जाकर उसका इलाज कराने का सामर्थ उसके वृद्ध दादा के पास नहीं है। ऐसे में प्रश्न खड़े हो गए है कि उसकी जान कैसे बच पाएगी। वृद्ध गंगोला आदिवासी ने बताया कि ये तीनो बालिकाएं मेरे बेटे श्याम की बेटियां है। जिसकी मृत्यु बीमारी के चलते करीब डेढ वर्ष पहले हो गई। इसके बाद बीमारी के कारण इन बच्चियों की मां बतो बाई का भी निधन हो गया। अब वहीं इन तीनों बच्चियों का भरण पोषण कर रहा है।

समाजसेवियों ने उपलब्ध कराएं कपडे,फल और आर्थिक मदद
कुछ समय खेलते वक्त नंदिनी अपने गांव में एक दीवार से गिर गई थी। जिस कारण उसके सिर में चोट आ गई। जिसे दिखाने के लिए वृद्ध गंगोला आदिवासी दो दिन पहले जिला अस्पताल में भर्ती हुआ। उसके साथ नंदिनी के अलावा उसकी दो छोटी बहने बंदनी और अंजनी भी थी। उनके पास पहनने के लिए सिर्फ एक जोडी कपडे थे और वो काफी गंदे हो रहे थे। समाजसेवी बिहारी सिंह सोलंकी सहित अन्य समाजसेवी युवाओं को जब इसका पता चला था, उन्होंने पहले तीनो बच्चियों को नहलाकर नए कपडे लाकर पहनाए और फिर फल और 1500 रूपए की आर्थिक मदद उपलब्ध कराई। साथही गंगोला आदिवासी को भरोसा दिलाया कि वे उनकी हर संभव मदद करेंगे।

श्योपुर में संभव नहीं आॅपरेशन
जिला अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ दिनेश गोयल ने बताया कि दो दिन पहले जिला अस्पताल में भर्ती हुई नंदिनी आदिवासी की सीटी स्कैन रिपोर्ट में उसके सिर में गठान होने की बात सामने आई है। गठान की वजह से उसके सिर में पानी भी भर गया है और लगातार सिर के अंदर पानी का प्रेशर बढ़ रहा है। ऐसे में उसका शीघ्र आॅपरेशन होना जरूरी है। आॅपरेशन भी दो होंगे। एक आॅपरेशन के दौरान उसके सिर का पानी निकाला जाएगा और दूसरा आॅपरेशन गठान को निकालने के लिए किया जाएगा। जिला अस्पताल में इतने बडे स्तर के आॅपरेशन होना संभव नहीं है। उन्हें बाहर ले जाने की जरूरत है। हम रैफर भी करने को तैयार है,लेकिन नंदिनी के साथ वृद्ध दादा के अलावा कोई और व्यक्ति नहीं है।

न बना आधार कार्ड और न जुड सका राशनकार्ड में नाम
अनाथ नंदिनी आदिवासी और उसकी दो छोटी बहनों को शासन की ओर से मिलने वाली आर्थिक मदद जिम्मेदारों की अनदेखी और नियम कायदो में उलझ गई है। क्यांकि इन तीनो बहनों के पास न तो उनके आधार कार्ड है और न ही उनका नाम राशनकार्ड में जुड सका है। स्कूल में उनका दाखिला भी नहीं हो सका है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि बिना दस्तावेज उन्हें शासन की योजनाओं का लाभ मिलने में खासी दिक्कते आएंगी।

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