नई दिल्ली। शराब घोटाले में जेल की हवा खा रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए आज का दिन काफी अहम है। दरअसल केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। केजरीवाल की ओर से दाखिल याचिका में सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है। केजरीवाल ने सीबीआई की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अपनी गिरफ्तारी और जमानत से दिल्ली हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती देते हुए दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं। सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को आज अगर राहत मिल जाती है तो उनके बाहर आने का रास्ता साफ हो जाएगा। ऐसा इसलिए कि धन शोधन मामले में शीर्ष अदालत उन्हें पहले ही जमानत दे चुकी है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ दोनों याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। पीठ में न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइंया भी शामिल हैं। पीठ ने पांच सितंबर को केजरीवाल की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सीबीआई ने इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख को 26 जून को गिरफ्तार किया था। उस वक्त वो मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद थे। सबसे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल को 21 मार्च को उनके सरकारी आवास से गिरफ्तार किया था। 10 दिन की पूछताछ के बाद 1 अप्रैल को उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया। करीब 51 दिन बाद 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने 21 दिन के लिए आम चुनाव में प्रचार के लिए केजरीवाल की रिहाई को मंजूरी दी। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की एक जून तक की रिहाई मंजूर की थी। 2 जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था। शुक्रवार यानी 13 सितंबर को केजरीवाल की रिहाई होती है तो कुल जेल गए 177 दिन हो जाएंगे। अगर 21 दिन की रिहाई को कम कर दिया जाए तो केजरीवाल का कुल 156 दिन जेल में रहने का रिकॉर्ड बन जाएगा।
फैसले की टाइमिंग अहम
हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले आज से ही चुनाव प्रचार का असली दौर शुरू होगा, क्योंकि कल यानी 12 सितंबर तक नामांकन की प्रक्रिया चल रही थी। ऐसे में अरविंद केजरीवाल का बेल पर छूट कर बाहर आना टाइमिंग के हिसाब से परफेक्ट हो सकता है। इसके अलावा दिल्ली में भी राष्ट्रपति शासन की सुगबुगाहट चल रही है। बड़ी दलील ये है कि मुख्यमंत्री के जेल में बंद होने के कारण देश की राजधानी में कामकाज ठप पड़ा है। राष्ट्रपति ने दिल्ली के बीजेपी विधायकों की राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग को केंद्रीय गृह सचिव के पास विचार के लिए भेजा है। लेकिन केजरीवाल के बाहर आने के बाद बीजेपी के इस मुहिम की हवा निकल सकती है।