भोपाल। केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को मप्र के दौरे पर रहीं। उन्होंने राजधानी भोपाल स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान परिसर में शैक्षणिक भवन और व्याख्यान कक्ष का शिलान्यास किया। इसके साथ ही वित्तमंत्री ने संस्थान के 11वें दीक्षांत समारोह का भी शुभारंभ किया। दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई और उनकी उपलब्धियों पर सम्मानित किया गया। दोनों कार्यक्रमों में उनके साथ मुख्यमंत्री मोहन यादव भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय वित्तमंत्री सीतारमण ने भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के छात्रों से नवाचार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी ताकत के बल पर जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि देश कहीं और से पैसा आने का इंतजार नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, सरकार सिर्फ बातें नहीं कर रही है। वह अनुसंधान एवं विकास में पैसा लगा रही है। यह पैसा कराधान से आता है। यह मेरा काम है, इसलिए मैं आपको यह बता रही हूं। मेरा काम राजस्व एकत्रित करना है, लेकिन लोगों को परेशानी में डालने के बिना, मैं आपको यह आश्वासन देती हूं। लेकिन, पैसा भी चाहिए क्योंकि हमें अनुसंधान को भी वित्त पोषित करना है।
छात्रों से शोध करने की अपील
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने वैज्ञानिक अनुसंधान में भारी निवेश किया है। उन्होंने कहा, मैं यहां उपस्थित स्नातक, पीएचडी धारकों से आग्रह करती हूं कि वे भारत की चुनौतियों को समझें। इस दौरान उन्होंने देश की वर्तमान कर प्रणाली को जायज ठहराया। सीतारमण ने कहा कि देश को विभिन्न चुनौतियों से निपटने और अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के लिए संसाधनों की आवश्यकता है। सीतारमण ने छात्रों से नवीकरणीय ऊर्जा के भंडारण पर अधिक शोध करने की अपील की।
भारत की चुनौतियां गंभीर
केन्द्रीय वित्तमंत्री ने कहा कि दुनिया ने जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ऊर्जा में बदलाव के लिए काफी पैसा देने का वादा किया है। लेकिन वह पैसा अभी तक नहीं आया है। उन्होंने कहा, लेकिन भारत ने इंतजार नहीं किया। पेरिस समझौते में जो वादे किए गए थे, उन्हें हमने अपने संसाधनों से पूरा किया। उन्होंने कहा कि बतौर वित्त मंत्री मैं कहना चाहती हूं कि किसी व्यक्ति से टैक्स न लिया जाए, लेकिन देश की तरक्की के लिए यह जरूरी है। कई बार लोगों के सवाल होते हैं कि हमारे कर ऐसे क्यों हैं? हम इसे और कम क्यों नहीं कर सकते? उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं कि इसे शून्य तक ला सकूं, लेकिन भारत की चुनौतियां गंभीर हैं और इन्हें दूर करना होगा।
दक्षिण भारत में हैं अच्छी यूनिवर्सिटी
सीतारमण ने कहा कि बनारस से लेकर केरला तक इंडियन ट्रेडिशन है, दक्षिण भारत में अच्छी यूनिवर्सिटी हैं। आईआईएसईआर ने तीन हजार पेपर पब्लिश किए हैं, देश भर में रैकिंग भी अच्छी है। यहां के छात्रों की मेहनत से आठ से नौ पेटेंट रिसर्च हैं। उन्होनें कि हमें नई तकनीक के साथ रिसर्च करने की जरूरत है। डेटा साइंस के क्षेत्र में ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, भोपाल के लोकसभा सांसद आलोक शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।