नई दिल्ली। झारखंड की सियासत में आज का दिन काफी अहम रहने वाला है। ऐसा इसलिए कि की राज्य के पूर्व सीएम और दिग्गज आदिवासी नेता चंपई सोरेन बेटे बाबूलाल सोरेन के साथ भाजपा का दामन थाम लेंगे। सदस्यता ग्रहण कार्यक्रम दोपहर तीन बजे रांची के शहीद मैदान में आयोजित किया गया। चंपई ने कल गुरुवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा से इस्तीफा दे दिया है। बता दें कि चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने की जानकारी खुद असम सीएम हिमंत विश्वा सरमा ने दी थी। उन्होंने कहा था कि सोरेन 30 अगस्त को रांची में पार्टी में शामिल होंगे। इसके साथ ही उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ सोरेन की मुलाकात की एक तस्वीर पोस्ट की थी।
चंपाई 7 बार के विधायक हैं और सरायकेला से चुनाव जीतते आ रहे हैं। वे झारखंड की राजनीति में कोल्हान टाइगर नाम से भी जाने जाते हैं। चंपाई का कोल्हान इलाके की 14 विधानसभा सीटों पर खासा प्रभाव है। इससे पहले 21 अगस्त को चंपाई ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया था। उन्होंने 1991 में पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता था। उसके बाद 1995 में खटट के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते। चंपाई ने खटट सुप्रीमो शिबू सोरेन की अगुवाई में झारखंड आंदोलन (अलग राज्य की मांग) में हिस्सा लिया और आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़कर खुद की अलग पहचान बनाई। वे ट्रेड यूनियन के नेता भी रहे और औद्योगिक शहर जमशेदपुर और आदित्यपुर में कई व्यापारिक आंदोलन चलाए। चंपाई को शिबू सोरेन का वफादार भी माना जाता है। 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय ने जब हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले में गिरफ्तार किया, तब चंपाई को विधायक दल का नया चुना नेता गया और उन्होंने 2 फरवरी को झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
झामुमो से क्यों अलग हुई चंपई सोरेन की राह
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता सोरेन ने पार्टी नेतृत्व पर उनका अपमान करने का आरोप लगाया था और घोषणा की थी कि वह जल्द ही अपने अगले राजनीतिक कदम के बारे में फैसला करेंगे। जिसके बाद से ही इस बात के अनुमान लगाए जा रहे थे कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। आखिरकार ये कयास सच साबित हुए और सीएम हिमंत विश्व शर्मा ने उनके बीजेपी में शामिल होने की पुष्टि कई दिन पहले ही कर दी। हालांकि आधिकारिक तौर पर वो आज बीजेपी का दामन थामेंगे। झारखंड की राजनीति के जानकारों का दावा है कि बाबू लाल मरांडी इस बात से खुश नहीं हैं कि सोरेन भारतीय जनता पार्टी में आएं। इसी वजह से वो अभी पिछले हफ्ते तक सोरेन के बीजेपी में शामिल होने से इनकार करते रहे हैं। यही नहीं चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने को लेकर चले घटनाक्रम में भी मरांडी दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि वो बीजेपी झारखंड के बड़े नेता है।
6 महीने में कैसे बदल गए राजनीतिक हालात?
दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खनन लीज के आवंटन में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग में पूछताछ के बाद हेमंत को 31 जनवरी की रात गिरफ्तार किया था। उन्होंने जेल जाने से पहले सीएम पद से इस्तीफा दिया था। करीब 5 महीने बाद हेमंत को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई और वो रिहा हो गए। ऐसे में चंपाई को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी और 4 जुलाई को एक बार फिर हेमंत ने सीएम पद की शपथ ली। चंपाई कहते हैं कि 3 जुलाई से पहले मेरे सीएम रहते सारे कार्यक्रम स्थगित किए गए। अपमान किया गया। मुझे विधायक दल की बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया। बैठक के दौरान मुझसे इस्तीफा मांगा गया। आत्म-सम्मान पर चोट लगने से भावुक हो गया। पिछले चार दशकों के अपने बेदाग राजनैतिक सफर में पहली बार भीतर से टूट गया। तीन दिनों तक अपमानजनक व्यवहार किया गया। उन्हें (हेमंत) सिर्फ कुर्सी से मतलब था। मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है। कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हमने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। इतने अपमान और तिरस्कार के बाद मैं वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गया। हालांकि, अब तक हेमंत सोरेन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
चंपई ने बयां किया था दर्द
3 जुलाई को राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद चंपाई राजभवन से बाहर निकले और मीडिया से बातचीत में कहा था, ‘पिछले दिनों राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से मुझे मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद हमारे गठबंधन ने निर्णय लिया है वो फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे।’ चंपाई ने 18 अगस्त को एक्स पर पोस्ट लिखा और इसमें अपना दर्द बयां किया। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर का भी जिक्र किया और 31 जनवरी से अब तक के घटनाक्रम के बारे में सिलसिलेवार बताया।